बुलंदशहर। उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के सिकंदराबाद में ऑक्सीजन सिलेंडर विस्फोट (Cylinder Blast) से ध्वस्त हुए मकान के मलबे में दबे लोगों को बचा लिया गया है। रेस्क्यू ऑपरेशन रात 3 बजे तक चला। इस घटना में घायल हुए सात लोगों में से एक की हालत गंभीर है। वहीं हादसे में मारे गये छह लोगों के शवों का पोस्टमार्टम किया जा चुका है और उन्हें घर भेज दिया गया है। शवों को देखकर परिजनों में कोहराम मच गया। एक साथ एक ही परिवार के छह शवों को देखकर हर किसी का कलेजा मुंह को आ गया।
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शव देख फूट-फूट कर रोये परिजन
बता दें कि सोमवार शाम करीब 8 बजे गुलावठी रोड पर स्थित आशापुरी कॉलोनी में रियाजुद्दीन के घर में ऑक्सीजन सिलेंडर फट गया, जिसके चलते दो मंजिला मकान मलबे में तब्दील हो गया। इस घटना में रियाजुद्दीन और उनकी पत्नी रुखसाना समेत छह लोगों की मौत हो गई जबकि सात अन्य घायल हो गए। घटना की सूचना मिलने के बाद रात करीब 11 बजे एसडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची और फायर ब्रिगेड, पुलिस और जनता के साथ मिलाकर मलबा हटाकर घायलों को बाहर निकाला। मंगलवार की सुबह जब रियाजुद्दीन, रुखसाना, सलमान, तमन्ना, हिज्बा और आस मोहम्मद के शव मेडिकल परीक्षण के बाद घर पहुंचे तो परिजन फूट-फूट कर रोने लगे।
आक्सीजन सिलेंडर फटने से हुआ हादसा
पीड़ित के घर के पास काफी भीड़ जमा हो गई। परिजनों का रो-रो का बुरा हाल है। बताया जा रहा है कि मृतकों में शामिल रुखसाना को बुखार और सांस लेने में दिक्कत थी जिसके कारण उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां से डिस्चार्ज होकर वह रविवार को घर आई थी। दुर्घटना के बाद, पुलिस टीम ने घटनास्थल से मीटर लगा ऑक्सीजन सिलेंडर और अन्य उपकरण बरामद किए। उधर रियाजुद्दीन के बेटे शाहरुख की हालत गंभीर है। उसे दिल्ली के एक अस्पताल में इलाज के लिए एडमिट कराया गया था। वहीं सिराज का एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है। सिराज के बेटे सादाब, अलिश्बा, चांदनी, यास्मीन और अंजुम अब खतरे से बाहर हैं।
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हाथ पैर से विकलांग था सलमान
परिजनों के मुताबिक रियाजुद्दीन और उनके 11 वर्षीय बेटे सलमान का शव एक ही बिस्तर में पाया गया। सलमान हाथ-पैर से विकलांग था। वह चल भी नहीं सकता था। वहीं शाहरुख़ अपने परिवार से अलग पास में एक दूसरे घर में रहता था, लेकिन घटना के वक्त वह खाना लेकर आया, जिससे वह भी विस्फोट की चपेट में आ गया और उसकी भी मौत हो गई। शाहरुख की पत्नी और बच्चे घर पर थे, जिससे वह बच गये।
घटना के डेढ़ घंटे बाद पहुंची जेसीबी
घटनास्थल पर बचाव कार्य देर रात तक जारी रहा। घटना के तुरंत बाद आसपास के लोग घटनास्थल पर पहुंचे तो उन्हें मलबे में दबे लोगों की आवाजें सुनाई दे रही थीं। वे मदद मांग रहे थे और बचाओ-बचाओ चिल्ला रहे थे। बचाव कार्य में जुटे स्थानीय लोगों का कहना है कि हादसे के करीब डेढ़ घंटे बाद यानी साढ़े नौ बजे जेसीबी पहुंची और मलबा हटाने का काम शुरू हुआ, तब तक छह लोगों की मौत हो चुकी थी। लोगों का कहना है कि अगर जेसीबी समय से आ जाती तो सभी की जान बच सकती थी।
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