नई दिल्ली। देश में जातीय जनगणना कराने के विवाद के बीच केंद्र ने बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने ऐलान किया है कि अगले साल जनगणना (Census in India) शुरू हो जाएगी। दरअसल जनगणना 2021 में ही होनी थी, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से इसे स्थगित कर दिया गया था। अब संभावना जताई जा रही है कि जनगणना 2025-2026 तक शुरू हो सकती है। कहा जा रहा है कि अब जनगणना चक्र में भी बदलाव हो जायेगा।
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2021 में होनी थी जनगणना
गौरतलब है कि जनगणन हर दस साल में कराई जाती है। इस बार की जनगणना 2021 में होनी थी, लेकिन कोविड 19 की वजह से नहीं हो सकी। अब ये 2025-26 के बीच शुरू होगी। ऐसे में अगली जनगणना 2035, 2045 और 2025 में कराई जाएगी। 2021 की जनगणना 2025 में शुरू होने की उम्मीद है। हालांकि, जनगणना की शुरुआत की तारीख अभी तक निर्धारित नहीं की गई है, लेकिन नागरिक पंजीकरण की तैयारियां तेज हो गई हैं। जनगणना में कम से कम दो साल तक का समय लग सकता है। जनगणना के संबंध में कुछ नीतिगत निर्णय सरकार के स्तर पर लिए जाने हैं।
2028 तक पूरी होगी परिसीमन की प्रक्रिया
सूत्रों के हवाले से ये भी बताया जा रहा है कि जनगणना पूरी होने के बाद परिसीमन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, जो 2028 तक पूरी हो सकती है। उल्लेखनीय है कि कई विपक्षी दल लंबे समय से जातीय जनगणना कराने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने इस बारे में अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है और न ही इस पर किसी भी तरह का बयान दिया है।
संप्रदाय से जुड़ा सवाल भी पूछा जाएगा
अभी तक होने वाली जनगणना आम तौर पर धर्म और वर्ग को लेकर सवाल पूछे जाते थे। जैसे कि सामान्य, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को ध्यान में रखकर जनगणना की जाती थी, लेकिन इस बार लोगों से ये भी सवाल किया जायेगा कि वे की संप्रदाय के अनुयायी हैं। उदाहरण के लिए, कर्नाटक में सामान्य वर्ग में आने वाले लिंगायत खुद को एक अलग संप्रदाय का मानते हैं। इसी प्रकार से अनुसूचित जातियों में भी वाल्मिकी, रविदासी जैसे कई अलग-अलग संप्रदाय हैं। इसका मतलब है कि इस बार सरकार धर्म, वर्ग और संप्रदाय के आधार पर जनगणना कराने पर विचार कर रही है।
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