लखनऊ। झांसी हादसे के बाद स्वास्थ्य विभाग जाग गया है और अब प्रदेश के जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों के आईसीयू, एआईसीयू और पीआईसीयू का नए सिरे से सर्वे कराएगा और जिन अस्पतालों में ये इकाइयां मानक के अनुरूप नहीं हैं, वहां सुधार किया जायेगा। इसके अलावा जहां सुधार की गुंजाइश नहीं होगी, वहां इन इकाइयों को दूसरी जगह शिफ्ट किया जायेगा। इसके लिए उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक (Deputy CM Brijesh Pathak) ने चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग में अलग-अलग टीमें गठित करने के निर्देश दे दिए हैं।
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घटना की पुनरावृत्ति रोकने की कोशिश
बताया जा रहा है कि ये टीमें वार्डो का सर्वे करेंगी और आवश्यकतानुसार बदलाव पर काम करेंगी। बताया जा रहा है कि झांसी हादसे के बाद मौके पर पहुंचे डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने जब हालात देखे तो उन्हें कुछ भी ठीक नहीं लगा, क्योंकि एनआईसीयू में सामान्य से ज्यादा बच्चे भर्ती होने के साथ-साथ कई दिक्कतें थीं। इसके अलावा वार्ड से बाहर निकलने का बस एक ही रास्ता था। यही वजह थी कि घटना के बाद स्टाफ चाह कर भी सभी बच्चों को बाहर नहीं निकाल पाया। अब स्वास्थ्य मंत्री ने ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए रणनीति तैयार करने का निर्देश दिया है।
तैयार की जाएगी सर्वे रिपोर्ट
स्वास्थ्य मंत्री के निर्देश के अनुसार, अब सेफ्टी ऑडिट और फायर ऑडिट के साथ आईसीयू के लिए भी अलग से सर्वे रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जो आईसीयू में एक अलग आपातकालीन द्वार बनाने के विकल्प का तलाश करेगी। वहीं अगर किसी आईसीयू में आपातकालीन द्वार बनाने की व्यवस्था नहीं होगी तो उस इकाई को कहीं और शिफ्ट किया जायेगा। इसमें मेडिकल कॉलेज की रिपोर्ट चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक द्वारा और स्थानीय अस्पतालों से रिपोर्ट स्वास्थ्य महानिदेशक द्वारा तैयार की जाएगी। इसके अलावा टीम अन्य राज्यों के आपदा प्रबंधन नियमों की भी जांच करेगी।