



नई दिल्ली। Important Information Hacked: प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की सुरक्षा व्यवस्था क्या है? अगर कोई खतरा हुआ, तो देश के इन सुपर वीवीआईपी को कैसे बचाया जाएगा? ये सभी गंभीर सुरक्षा जानकारियां हैं, जो हैकर्स के हाथ लग गई हैं। जी हां, हैकर्स के कुछ समूहों ने भारतीय रक्षा मंत्रालय की कुछ गोपनीय जानकारियां चुरा ली हैं। उन हैकर्स ने ये जानकारियां डार्क वेब पर भी डाल दी हैं। इस खबर ने देश की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है।
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डीआरडीओ के प्रोजेक्ट भी लीक
मिली जानकारी के मुताबिक, इन फाइलों में टी-90 टैंकों को बेहतर बनाने से लेकर आने वाले समय में डीआरडीओ के कई संवेदनशील प्रोजेक्ट की जानकारी भी शामिल है। बताया जा रहा है कि इस साइबर हमले की जिम्मेदारी बाबुक लॉकर 2.0 नाम के हैकिंग ग्रुप ने ली है। इस समूह का दावा है कि, उन्होंने 10 मार्च को DRDO के सिस्टम से डेटा चुराया था। तीन दिन बाद यानी 13 मार्च को इन साइबर हैकर्स ने 753 एमबी डेटा सार्वजनिक कर दिया। इस डेटा के सार्वजनिक होते ही भारतीय सुरक्षा व्यवस्था में सेंध लगने का खतरा पैदा हो गया है।
बढ़ा चढ़ा पेश कर रहे दावे
बाबुक 2.0 पहले एक थाई ग्रुप था। अब इसे नए हैकर्स चला रहे हैं। इन लोगों का दावा है कि उनके पास 20TB का संवेदनशील डेटा है। इनका यह भी दावा है कि उन्होंने भारत के एक बेहद अहम और गोपनीय प्रोजेक्ट की जानकारी चुराई है। हालांकि सूत्रों के मुताबिक हैकर्स अपने दावे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहे हैं यानी बढ़ा-चढ़ाकर बता रहे हैं। एक सूत्र के मुताबिक हैकर्स ने जो भी ब्योरा दिया है उससे पता चलता है कि हैकिंग हुई है, लेकिन जानकारी चार साल या उससे भी ज्यादा पुरानी है।
हैकिंग का नहीं मिला सबूत
रक्षा मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक, हैकिंग का कोई सीधा सबूत तो नहीं मिला है, लेकिन संकेत मिले हैं कि, यह डेटा रक्षा विभाग में संयुक्त सचिव का पद संभाल चुके एक आईएएस अधिकारी के इंटरनेट से जुड़े कंप्यूटर से लीक हुआ है। हैकर्स का दावा है कि उन्हें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और देश के दूसरे वीवीआईपी लोगों को निकालने के लिए ज़रूरी प्रोटोकॉल की जानकारी मिली है। खास तौर पर एयर स्ट्राइक के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले प्रोटोकॉल की। हालांकि, सरकारी सूत्र इसे खारिज कर रहे हैं। उनका कहना है कि, ये प्रोटोकॉल रक्षा उत्पादन विभाग के दायरे में नहीं आते। इन सभी मामलों को एक अलग टीम संभालती है।
पहले भी लीक हो चुकी है जानकारी
गौरतलब है कि, इस लीक की जानकारी सबसे पहले एक निजी साइबर और डेटा सुरक्षा फर्म एथेनियन टेक ने दी थी। एथेनियन टेक ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें उसने रक्षा डेटा लीक होने की बात पर सहमति जताई थी। एथेनियन टेक के सीईओ कनिष्क गौड़ ने मीडिया को बताया कि “लीक संभवतः आईएएस अधिकारी के डेस्कटॉप या किसी हैंडहेल्ड डिवाइस से हुई है, जो नियमित इंटरनेट से जुड़ी थी।” कनिष्क गौड़ ने आगे कहा कि “ऐसा नहीं लगता कि, यह लीक बहुत ही कड़ी पहुंच वाले रक्षा मंत्रालय के सुरक्षित नेटवर्क से जुड़े डेस्कटॉप से हुई है।
2020 का एक गुप्त दस्तावेज भी हुआ था लीक
सूत्र बता रहे हैं कि, लीक हुई फाइलों में विभिन्न प्रकार की रक्षा खरीद रिपोर्ट, तकनीकी जानकारी, अनुबंध और व्यक्तिगत रिकॉर्ड शामिल हैं। इनमें दिसंबर 2020 का एक ‘गुप्त’ दस्तावेज भी शामिल है, जो भारतीय वायुसेना के एक प्रोजेक्ट से जुड़ा था। इसके अलावा डीआरडीओ के पुणे केंद्र द्वारा विकसित 84 मिमी आरएलएमके-III बैरल का विवरण भी लीक हुआ थ। लीक हुए डेटा में बजट, खरीद योजनाओं, सैन्य आधुनिकीकरण और विदेशी सहयोग की जानकारी भी थी। इसमें फिनलैंड, ब्राजील और अमेरिका के साथ भारत के रक्षा सहयोग की फाइलें शामिल थीं। एथेनियन टेक के मुताबिक, यह डेटा लीक तो हुआ है लेकिन इसका असर उतना बड़ा नहीं है जितना हैकर्स दावा कर रहे हैं।
बार-बार मांग बदल रहे हैकर्स
साइबर सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, बाबुक लॉकर 2.0 के दावों में कई विसंगतियां हैं। इसके साथ ही इस हैकर समूह की मांगें भी बार-बार बदल रही हैं। शुरुआत में इन्होंने डेटा के बदले 25,000 डॉलर की फिरौती मांगी थी। बाद में इसे घटाकर 5,000 डॉलर कर दिया गया। पूरी सीरीज में यह एक बड़ा आश्चर्य था।
आमतौर पर ऐसे हमलों में फिरौती की रकम बढ़ती रहती है। इसके अलावा हैकर्स ने यह भी दावा किया है कि, डीआरडीओ ने उन्हें 3 लाख डॉलर दिए, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने डेटा बेचने की कोशिश की। इससे पता चलता है कि, इस समूह का असली मुद्दा जासूसी से ज्यादा अपना वर्चस्व स्थापित करना है। इस घटना ने भारत की साइबर सुरक्षा में मौजूदा खामियों को उजागर कर दिया है। साइबर सुरक्षा के सिद्धांतों के मुताबिक किसी भी निजी कंप्यूटर पर संवेदनशील दस्तावेज रखना सुरक्षा में बड़ी चूक बन सकता है।
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