नई दिल्ली। Right To Education Act: केंद्र सरकार ने आधिकारिक तौर पर बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार 2010 (आरटीई) के नियमों में संशोधन किया है, जिसके बाद अब राज्य सरकारों को कक्षा 5 और 8 के लिए नियमित परीक्षा आयोजित करने की अनुमति मिल गई। इस परीक्षा में असफल होने पर उन्हें रोकने के प्रावधान है। यह कदम नो-डिटेंशन नीतियों की लंबे समय से चली आ रही नीति से अलग है, जो 2009 में आरटीई अधिनियम के लागू होने के बाद से भारत के शिक्षा ढांचे की आधारशिला रही है।
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उसी कक्षा में रोक दिए जाएंगे छात्र
संशोधित नियमों के तहत, राज्य सरकार को प्रत्येक शैक्षिणक सत्र के अंत में परीक्षा आयोजित करने का अधिकार होगा। अगर छात्र फिर भी पदोन्नति के मानदंडों को पूरा करने में असफल रहता है, तो उसे आगे नहीं बढ़ाया जायेगा। बल्कि उस उसी कक्षा में रोक दिया जायेगा।
देश भर से आ रही मिली जुली प्रतिक्रिया
सरकार के इस फैसले पर अब देश भर से मिली जुली प्रतिक्रिया सामने आ रही है। इधर ओडिशा, मध्य प्रदेश, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक और दिल्ली समेत कुछ राज्यों ने पहले ही ऐसे उपायों को लागू करने का फैसला लिया है, जो इन कक्षाओं में फेल होने वाले छात्रों को रोक सकते हैं।
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