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White House Deportation Video: बेड़ियों में जकड़े निर्वासितों का वीडियो जारी कर आखिर क्या जताना चाहते हैं ट्रंप?

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Video Of Deportees Bound In Shackles

अमेरिका। White House Deportation Video: अमेरिका में आधे अधूरे या फिर बिना किसी वैध दस्तावेज के साथ रहे दूसरे मुल्कों को लोगों लेकर डोनाल्ड ट्रंप काफी सख्त रुख अपना रहे हैं। नतीजतन वे उन्हें बेहद अपमानजनक और अमानवीय तरीके से वापस उनके मुल्क भेज रहे हैं। दरअसल, अमेरिका से जिन लोगों को निर्वासित किया जा रहा है, उनके हाथों को हथकड़ी और पैरों को बेड़ियों से जकड़ा गया है। इसे लेकर दुनिया भर में ट्रंप प्रशासन की तीखी आलोचना हो रही है। बावजूद इसके अब एक बार फिर व्हाइट हाउस से ऐसा वीडियो जारी किया गया है, जिसमें आप्रवासियों के हाथों में हथकड़ी और पैरों में बेड़ियां लगी हुई नजर आ रही हैं। इस वीडियो के देखने के बाद लोगों में मन में ये सवाल उठने लगा है कि, इस तरह का अमानवीय काम करने के बाद उसका वीडियो जारी करने का व्हाइट हाउस का मकसद कही दुनिया पर धौंस जमाना और दूसरे देशों को बेइज्जत करना तो नहीं है।

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अपमानजनक कैप्शन साथ जारी हुआ वीडियो 

दरअसल, व्हाइट हाउस से जारी किये गये हाथों में हथकड़ी और पैरे में बेड़ी पहने निर्वासितों के वीडियो के साथ एक कैप्शन भी लिखा है, जिस पर एलन मस्क ने भी प्रतिक्रिया दी है। वीडियो के साथ लिखा है- ‘इलीगल एलियन डिपोर्टेशन फ्लाइट’।

निर्वासितों को किया गया कैद

White House deportation video

बता दें कि, ट्रंप प्रशासन लगातार ऐसे वीडियो जारी कर रहा है, जिसमें अवैध प्रवासी हाथों में हथकड़ी और पैरों ने बेड़ी पहने हुए नजर आ रहे हैं। वीडियो में बेहद अपमानजनक शब्दों का भी प्रयोग किया गया है। वह ऐसे लोगों को अपने सैन्य विमान से तो उनके मुल्क वापस भेज ही रहा है।  साथ ही उनमें से कुछ लोगों को पड़ोसी देशों में हिरासत में भी रख रहा है। ये मामला तब सामने आया, जब पनामा के एक होटल में बंद निर्वासितों ने खिड़की के शीशे पर लिख कर मदद की गुहार लगाई।

 पनामा के होटल में कैद हैं अप्रवासी

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इस मामले के सामने आने के बाद ट्रंप प्रशासन सवालों के घेरे में आ गया है। सवाल उठाया जा रहा है कि, अमेरिका जब अपने यहां से अवैध अप्रवासियों को निर्वासित कर उन्हें उनके देश वापस भेज रहा है, तो उसने क़रीब 300 निर्वासितों को पनामा के एक होटल में कैद करके क्यों रखा है? रिपोर्टस के मुताबिक,  इन निर्वासित लोगों में अधिकतर भारत, ईरान, नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, चीन सहित 10 एशियाई देशों के लोग हैं। व्हाइट हाउस से जारी हुए वीडियो और निर्वासितों को कैद किये जाने का मामला सामने आते ही दुनिया भर के तमाम देशो में हड़कंप  मच गया है और अमेरिका की हर तरफ आलोचना हो रही है। बताया जा रहा है कि पनामा के होटल में कैद प्रवासियों को निकलने की अनुमति नहीं है। ऐसे में वे खिड़कियों के शीशों पर ‘मदद करें’, ‘हम हमारे देश में सुरक्षित नहीं’ जैसे मैसेज लिखकर मदद की गुहार लगा रहे हैं।

 

पनामा के सुरक्षा मंत्री ने दी सफाई

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अप्रवासी निर्वासितों को कैद करके रखे जाने को लेकर उपजे विवाद पर कुछ अधिकारियों का जवाब आया है। एक रिपोर्ट के हवाले से कहा जा रहा है कि कुछ ऐसे देश हैं, जहां के लोगों को सीधे निर्वासित करने में अमेरिकी प्रशासन को कठिनाई हो रही है। ऐसे में वह पनामा को एक पड़ाव के रूप में इस्तेमाल कर रहा है। हालांकि जिस तरह निर्वासितों को करावास में रखा जा रहा है और उन्हें कानूनी उलझें झेलनी पड़ रही हैं, उससे पनामा भी चिंतित है। उसकी ये चिंता अब और ज्यादा बढ़ गई है क्योंकि होटल में बंद लोगों की तस्वीरें और खिड़की के शीशे पर मदद की मांग करने वाली तस्वीरें अब दुनिया के सामने आ गई हैं। हालांकि इस पर सफाई देते हुए पनामा के सुरक्षा मंत्री फ्रैंक अब्रेगो ने मंगलवार को कहा कि, पनामा और अमेरिका के बीच हुए प्रवास समझौते के तहत होटल में रखे गये आप्रवासियों को खाना-पानी और चिकित्सीय सुविधाएं बराबर मिल रही हैं। इन लोगों पर लगने वाला सारा खर्च अमेरिकी प्रशासन वहन कर रहा है।

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अपने देश न लौटने वालों को अस्थायी फैसिलिटी में रखा जाएगा

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इसके साथ ही अब्रेगो ने इस बात से भी इनकार किया कि आप्रवासियों को कैद करके रखा गया है, जबकि हक़ीकत इससे ठीक उलट है। खबर है कि पनामा में रखे गये आप्रवासियों को उनके होटल के कमरे से बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा है। साथ ही उन पर पुलिस का कड़ा पहरा भी है। रिपोर्ट के अनुसार, पनामा के सुरक्षा मंत्री अब्रेगो का कहना है कि, 299 में से 171 ने  निर्वासितों ने स्वेच्छा से अपने देश लौटने की इच्छा जताई है। ऐसे में इंटरनेशनल डिपोर्टेशन संगठन और संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी उन्हें उनके देश भेजने में मदद करेगी। एक निर्वासित आयरिश नागरिक पहले ही अपने देश लौट चुका है। अब्रेगो ने ये भी कहा कि जो लोग अपने देश नहीं लौटना चाहते है, उन्हें अस्थायी रूप से एक फैसिलिटी में रखा जाएगा।

ससम्मान होनी चाहिए वापसी

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अमेरिका में रह रहे अवैध प्रवासियों के साथ किये जा रहे इस तरह के अमानवीय व्यवहार को लेकर दुनिया में तमाम देशों न कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है। भारत ने भी इस पर नाराजगी जाहिर की है। बता दें कि बीते 5 फरवरी को अमेरिका से भेजे गये 104 भारतीय जब अमृतसर एयरपोर्ट पर उतरे थे, तब उनके भी हाथों में हथकड़ी और पैरों में बेड़ी थी, जिसे देख कर हंगामा मच गया। इसे लेकर देश में मोदी सरकार की जमकर आलोचना हुई। इसके बाद भारतीयों को लेकर दूसरा और तीसरा विमान भी आया। अमेरिका के इस रवैये पर भारत ने आपत्ति जताई। सवाल उठाया गया कि उन्हें सैन्य विमान की बजाय सम्मान वापस भेजा जाना चाहिए। ऐसे अपराधियों की तरह भेजा उचित नहीं है।

कोलंबिया ने नहीं उतरने दिया अमेरिकी सैन्य विमान

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बता दें कि भारत में ये सवाल इसलिए भी उठा क्योंकि कोलंबिया ने उसके देश के अप्रवासियों को लेकर आये अमेरिकी सैन्य विमान को अपने यहां उतरने नहीं दिया, उसे वापस लौटा दिया, जिस पर तिलमिलाते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने उस पर टैरिफ लगाने की धमकी दे दी। हालांकि, कोलंबिया ट्रंप की इस धमकी के आगे नहीं झुका। रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि, कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने अप्रवसियों को जंजीरों में जकड़ कर भेजने पर आपति जताई और इसी वजह से उन्होंने अमेरिका सैन्य विमान को अपने यहां नहीं उतरने दिया।

 

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