



वाशिंगटन। India Is Proud Kash Patel: भारत के लिए ये बेहद गर्व की बात है कि, भारतीय मूल के लोग दुनिया भर में अपना लोहा मनवा रहे हैं। बाइडन शासन में कमला हैरिस अमेरिका की उपराष्ट्रपति बनी थी, तो अब डोनाल्ड ट्रंप के शासन में काश पटेल को संघीय जांच एजेंसी का निदेशक बनाया गया है। इससे भी अच्छी बात ये रही कि काश ने शनिवार को भगवद गीता पर हाथ रखकर शपथ ली और पद की जिम्मेदारी संभाली। काश पटेल ने क्रिस्टोफर रे की जगह ली है। क्रिस्टोफर को भी ट्रंप ने ही साल 2017 में नियुक्त किया था, लेकिन बाद में उनके बीच मतभेद हो गए थे, जिससे क्रिस्टोफर ने इस्तीफा दे दिया था।
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जीवन का सबसे बड़ा सम्मान है- काश
वॉशिंगटन डीसी स्थित व्हाइट हाउस परिसर के आइजनहावर एग्जीक्यूटिव ऑफिस बिल्डिंग में आयोजित शपथ ग्रहण में अमेरिकी अटॉर्नी जनरल पैम बॉन्डी ने काश को पद की शपथ दिलाई। एफबीआई का नेतृत्व करने वाले नौवें व्यक्ति बने पटेल ने इस अवसर को अपने जीवन का सबसे बड़ा सम्मान बताया। उन्होंने कहा, मैं अमेरिकी सपने को जी रहा हूं। आप पहली पीढ़ी के एक ऐसे भारतीय से संवाद कर रहे हैं जो दुनिया के सबसे महान राष्ट्र की कानून प्रवर्तन एजेंसी (एफबीआई) का नेतृत्व करने जा रहा है। ऐसा कहीं और नहीं हो सकता। शपथ ग्रहण के बाद समारोह में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए काश ने कहा, मैं वादा करता हूं कि FBI के अंदर और इसके बाहर जो कुछ भी होगा उसकी जवाबदेही मेरी होगी। उन्होंने ये भी कहा, कि उनकी यात्रा और सफलता उस अमेरिकी सपने का प्रतीक है, जिसे किसी भी नागरिक के लिए संभव किया जा सकता है, चाहे वह किसी भी पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखता हो।
सबसे सफल व्यक्ति साबित होंगे काश-ट्रंप
रिपोर्ट्स के मुताबिक, काश पटेल, ट्रंप के बेहद करीबियों में से एक हैं। साथ ही वे एफबीआई एजेंटों के बीच भी काफी लोकप्रिय हैं। उनकी नियुक्ति की सराहना करते हुए ट्रंप ने कहा, एजेंसी के एजेंट उनका सम्मान करते हैं, इसीलिए मैं भी उनका पसंद करता हूं और उन्हें इस पद पर नियुक्त करना चाहता था। ट्रंप ने भरोसा जताया है कि काश इस पद पर अब तक के सबसे सफल और बेहतरीन व्यक्ति साबित होंगे। ट्रंप नेआगे कहा, काश दृढ़ और मजबूत विचारों वाले व्यक्ति हैं। बता दें कि काश पटेल पूर्व में एक आतंकवाद विरोधी अभियोजक और रक्षा सचिव के चीफ ऑफ स्टाफ रह चुके हैं। उस दौरान वे एफबीआई के घोर आलोचक भी थे। ऐसे में उनकी नियुक्ति को लेकर डेमोक्रेट्स चिंता जाहिर कर रहे हैं।
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काश की नियुक्ति पर उठे सवाल
डेमोक्रेट्स का मानना है कि, उनके नेतृत्व में एजेंसी की स्वायत्तता प्रभावित हो सकती है। आमतौर पर एफबीआई डायरेक्टर का कार्यकाल 10 साल का होता है, ताकि राजनीतिक हस्तक्षेप से इसे बचाया जा सके, लेकिन काश पटेल की ट्रंप के साथ करीबी को देखते हुए इस पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। सीनेटर एडम शिफ का कहना है कि, एफबीआई को डोनाल्ड ट्रंप की निजी सेना बनने से बचना चाहिए। मालूम हो कि, बीते गुरुवार को एफबीआई की नियुक्ति के लिए अमेरिकी सीनेट में मतदान हुआ, जिसमें काश ने 51-49 के अंतर से जीत हासिल की। इस चुनाव में दो रिपब्लिकन सांसदों, मेन की सुसान कोलिन्स और अलास्का की लिसा मुर्कोव्स्की ने पार्टी के नेताओं के खिलाफ जाकर पटेल के विरोध में मतदान किया।
ऐसा रहा काश का शुरूआती जीवन
कश्यप प्रमोद विनोद पटेल उर्फ काश पटेल का जन्म न्यूयॉर्क के गार्डन सिटी में 25 फरवरी को हुआ था। 45 वर्ष के होने जा रहे पटेल के पिता का नाम प्रमोद कश्यप और माता का नाम अंजना है। उनकी एक बहन है, जिसका नाम निशा है। भारतीय गुजराती आप्रवासी उनके माता-पिता 70 के दशक में पूर्वी अफ्रीका के युगांडा से कनाडा और फिर वहां से अमेरिका चले गए थे। अमेरिका में उनके पिता एक विमानन फर्म में वित्तीय अधिकारी थे। काश के परिवार को साल 1988 में अमेरिका की नागरिकता मिल गई। काश ने अपनी स्कूली शिक्षा लॉन्ग आइलैंड के गार्डन सिटी हाईस्कूल से पूरी की। इसके बाद उन्होंने रिचमंड विश्वविद्यालय से बीए ऑनर्स और पेस यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ लॉ से ज्यूरिस डॉक्टर की डिग्री ली। तत्पश्चात 2006 से 2014 तक मियामी-डेड काउंटी, फ्लोरिडा में एक पब्लिक डिफेंडर के तौर पर प्रैक्टिस शुरू की। 2014 से 2017 तक वह यूएस डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस में ट्रायल अटॉर्नी रहे।
नस्लीय भेदभाव का कर चुके हैं सामना
हालांकि, अमेरिका में ही जन्मे काश को बचपन में ही नस्लीय भेदभाव का सामना करना पड़ा, लेकिन ये भेदभाव भी उनके हौसले को डिगा सके। काश ही ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने 2016 में हर ओर से घिरे ट्रंप को कोर्ट में अपने तर्कों से बेदाग साबित किया। वे राम मंदिर के बड़े समर्थक हैं। साथ ही वे जय श्री कृष्ण का उद्घोष करने से नहीं झिझकते हैं। उन्होंने बच्चों के लिए एक किताब भी लिखी है जिसमें उन्होंने खुद को जादूगर के रूप में प्रदर्शित किया है और ट्रंप के संकटमोचक बने हैं।
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