



निशा शुक्ला
Russia–Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध को किसी भी हालत में खत्म कराने की कोशिश में जुटे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अब पुतिन को धमकी दे डाली है। उन्होंने रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबन्ध और टैरिफ लगाने की बात कही है। इससे पहले ट्रंप यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर पर युद्धविराम का दवाब बना चुके हैं, लेकिन इस दौरान उनकी जेलेंस्की से तीखी बहस ही गई थी, जिसे पूरी दुनिया ने देखा था। इस घटना के बाद पूरी दुनिया में उथल-पुथल मच गई थी। वहीं, यूरोप दो धड़ों में बंट गया है। कुछ देश ट्रंप का समर्थन कर रहे हैं, तो कुछ युक्रेन के साथ खड़े हैं।
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बातचीत की टेबल पर आने का दवाब
अब यूक्रेन संकट पर ट्रंप का नया रुख सामने आया है। उन्होंने ऐलान किया है कि रूस जब तक यूक्रेन के साथ युद्धविराम और शांति समझौता नहीं कर लेता तब तक वे उस पर बड़े पैमाने पर बैंकिंग प्रतिबंध, सामान्य प्रतिबंध और टैरिफ लगाने की सोच रहे हैं। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, ‘इस तथ्य के आधार पर कि रूस अभी भी युद्ध के मैदान में यूक्रेन को कुचल रहा है, मैं रूस पर बड़े पैमाने पर बैंकिंग व सामान्य प्रतिबंध के साथ ही टैरिफ़ लगाने पर विचार कर रहा हूं।’ इसके साथ उन्होंने रूस और यूक्रेन से अपील की, कि अब वे बातचीत की मेज पर आएं, इससे पहले कि बहुत देर हो जाए। धन्यवाद!’
ओवल ऑफिस में हुई थी बहस
बता दें कि, ट्रंप का यह बयान ऐसे समय में आया है जब पिछले हफ्ते यूक्रेन के राष्ट्रपति मिनरल डील पर साइन करने के लिए अमेरिका पहुंचे थे, जहां ओवल ऑफिस में ट्रंप से मुलाकात की थी। इसी दौरान मीडिया के सामने ही युद्धविराम को लेकर दोनों के बीच बहस ही गई थी। इसके बाद जेलेंस्की बिना डील साइन किये ही व्हाइट हाउस से वापस आ गये थे। हालांकि जेलेंस्की ने बातचीत को पटरी पर लाने की कोशिश की थी, लेकिन ट्रंप के अधिकारियों में उन्हें बाहर जाने के लिए कह दिया था।
जेलेंस्की पर डाला था शांति समझौते का दबाव
दरअसल, ओवल ऑफिस में हुई मुलाकात के दौरान ट्रंप ने जेलेंस्की पर दवाब डाला की वह शांति समझौते की अनिवार्यता को एक्सेप्ट करें और युद्ध विराम करें जिस पर जेलेंस्की ने विरोध जताया और पुतिन पर युक्रेनियों को मारने का आरोप लगाया। इससे ट्रंप भड़क गये थे और जेलेंस्की को “तानाशाह” कहा था। साथ ही उन्होंने उन पर अपने ही लोगों की हत्या कराने का आरोप लगा दिया था। ट्रंप ने कहा था, ‘आप तीसरे विश्व युद्ध के साथ जुआ खेल रहे हैं।’ उन्होंने ज़ेलेंस्की से सवाल किया था कि ‘वह युद्धविराम के लिए क्यों तैयार नहीं हैं, जो और खूनखराबे को रोक सकता है’, जिस पर जेलेंस्की ने जवाब दिया था कि ‘शांति समझौता स्थायी होना चाहिए, रूस सीजफायर को नहीं मानता है, पिछले एक दशक में वह 25 बार सीजफायर का उल्लंघन कर चुका है।’
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मॉस्को को कमजोर करना है मकसद
खैर, ट्रंप का यह बयान उनकी विदेश नीति की दोहरी रणनीति को दर्शा रहा है। वे ऐसा करके एक तरफ रूस पर आर्थिक दबाव बढ़ा रहे हैं जिससे वह बातचीत की टेबल आये। साथ ही वे रूस पर प्रतिबंध और टैरिफ लगाने की धमकी दे रहे हैं, इससे मॉस्को कमजोर होगा और यूक्रेन पर उसकी सैन्य बढ़त कम होगी। अपनी पोस्ट में ट्रंप ने लिखा है, ‘रूस, यूक्रेन को कुचल रहा है’, ये जेलेंस्की को अपमानजनक लग सकता है। ट्रंप की इस तरह की टिप्पणी का मतलब है कि वे दोनों देशों को बातचीत की टेबल आने के लिए मजबूर कर रहे हैं।
पश्चिमी देशों से समर्थन मांग रहे जेलेंस्की
दरअसल, जेलेंस्की लगातार पश्चिमी देशों से समर्थन और हथियारों की मांग कर रहे हैं। ट्रंप का यह रुख उनकी उस सोच से भी जुड़ा है, जिसमें वह बार-बार कहते रहे हैं कि अमेरिका को इस रूस-यूक्रेन युद्ध में इतना उलझना नहीं चाहिए, खासकर जब रूस के 2022 के हमले को अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने बिना कारण की आक्रामकता करार दिया था। ट्रंप का मानना है कि, यूक्रेन संकट अमेरिका के संसाधनों पर ऐसा बोझ है, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
रूस की अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ सकते हैं प्रतिबन्ध
फ़िलहाल, ट्रंप अगर इस धमकी को अमल में लाते हैं तो, पहले से ही पश्चिमी प्रतिबंधों से जूझ रहे रूस की अर्थव्यवस्था पर ये भारी पड़ सकता है। हालांकि, रूस के पास चीन जैसे शक्तिशाली देश समेत अन्य सहयोगी देशों का समर्थन है, जो इन प्रतिबंधों के असर को कम कर सकता है, लेकिन अगर ट्रंप की योजना कामयाब होती है और दोनों देशों के बीच शांति स्थापित होती है, तो यह उनकी कूटनीतिक जीत होगी। वहीं, अगर वह इसमें विफल होते हैं तो यूरोप में तनाव और बढ़ सकता है।
अपनी-अपनी शर्तों पर अड़े पुतिन-जेलेंस्की
ट्रंप का ये कदम जोखिम भरा है। एक तरफ तो वह रूस को दंडित करना चाहते हैं और दूसरी तरफ यूक्रेन को शांति के लिए मजबूर करना चाहते हैं। ऐसा करके वे अमेरिका को इस संकट से बाहर निकालना चाहते हैं, लेकिन ज़ेलेंस्की और पुतिन, दोनों ही युद्धविराम को लेकर अपनी-अपनी शर्तों पर अड़े हैं। ज़ेलेंस्की का तर्क है कि युद्धविराम को लेकर की गई जल्दबाजी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को फिर से हथियार जमा करने और युद्ध को दोबारा भड़काने का मौका दे सकती है। यूक्रेन का मानना है कि बिना मजबूत शर्तों के शांति समझौता रूस को उसकी आक्रामकता का इनाम होगा। अब ये देखना दिलचस्प होगा अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की यह रणनीति युद्ध को ख़त्म करने में सफल होती है या इसे और जटिल बना देगी।
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