



नई दिल्ली। Blast In Space: अंतरिक्ष में एक भयानक विस्फोट रिकोर्ड किया गया है। ये विस्फोट हमारी आकाशगंगा के निकट स्थित एक अन्य आकाशगंगा में हुआ। यह धमाका इतना शक्तिशाली था कि वहां का तापमान 30 लाख डिग्री तक पहुंच गया। वैज्ञानिकों ने इस घटना का अध्ययन करने के लिए टेलीस्कोप का उपयोग किया।
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छोटी आकाशगंगा में हुआ विस्फोट
वैज्ञानिकों का कहना है कि, हमारी आकाशगंगा ‘मिल्की वे’ के पास एक छोटी आकाशगंगा है, जिसे लार्ज मैगेलैनिक क्लाउड (LMC) कहा जाता है। यह आकाशगंगा हमारी ‘मिल्की वे’ के चारों तरफ चक्कर लगाती रहती है। इसी आकाशगंगा के एक तारे में यह विस्फोट देखा गया है, जिसे अब तक के सबसे गर्म विस्फोटों में से एक माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि, जिस तारे में यह विस्फोट हुआ, उसे वैज्ञानिकों ने LMCN 1968-12a नाम दिया है। इस तारे में पहले भी कई विस्फोट देखे जा चुके हैं।
मानी गई सबसे भयानक घटना
LMC एक बौनी आकाशगंगा है, जिसमें धातुओं की कमी है, जिससे यहां के छोटे तारे अपने बड़े साथी तारे से गैस खींचते हैं। LMCN 1968-12a भी यही प्रक्रिया अपनाता है, जिसके कारण इसमें लगातार विस्फोट होते रहते हैं। पिछले साल भी इसी तारे में एक बड़ा विस्फोट हुआ था, लेकिन इस बार का विस्फोट सबसे अधिक भयंकर बताया जा रहा है।
गर्मी और दबाव के कारण विस्फोट
जब ऐसे तारे धीरे-धीरे अपने पड़ोसी तारे से गैस लेते हैं, तो एक डिस्क बन जाती है, जिससे तारे में गर्मी और दबाव बढ़ने लगता है। जब तापमान एक निश्चित सीमा को पार कर जाता है, तो हाइड्रोजन फ्यूजन शुरू होता है और एक थर्मोन्यूक्लियर विस्फोट होता है। यह विस्फोट कुछ हफ्तों से लेकर महीनों तक देखा जा सकता है। इसके बाद भी तारा नष्ट नहीं होता।
56 साल पहले हुई थी तारे की खोज
इस तारे की खोज 1968 में की गई थी, इसलिए इसका नाम LMCN 1968-12a रखा गया। 1990 से इस तारे में विस्फोटों का रिकॉर्ड लगातार रखा जा रहा है। चिली में स्थित मैगेलन बाडे टेलीस्कोप और जेमिनी साउथ टेलीस्कोप से इस तारे और इसकी आकाशगंगा पर निरंतर अध्ययन किया गया है। हाल के विस्फोट में वैज्ञानिकों ने पाया कि विस्फोट के समय तारे में सिलिकॉन की अत्यधिक मात्रा थी, जबकि अन्य धातुएं अनुपस्थित थीं। यही कारण है कि यह विस्फोट अधिक भयंकर और गर्म रहा।
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