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Trump Tariffs: आज से लागू हो सकता है ट्रंप टैरिफ, जानें भारत के किन-किन उद्योगों पर पड़ेगा असर

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Trump Tariffs

नई दिल्ली। Trump Tariffs: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 2 अप्रैल से कई देशों के खिलाफ पारस्परिक टैरिफ लगाने का ऐलान करने जा रहे हैं। ट्रंप ने इस दिन को एक खास नाम भी दिया है- मुक्ति दिवस। हालांकि, आर्थिक विशेषज्ञों ने उनके इस ऐलान को दुनिया के खिलाफ व्यापार युद्ध छेड़ने वाला दिन करार दिया है। दरअसल, ट्रंप का कहना है कि, कई देश अमेरिकी उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाते हैं, जबकि अमेरिका उन देशों के उत्पादों पर कम आयात शुल्क लेता है।

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अमेरिका को हो रहा व्यापार घाटा 

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अमेरिकी राष्ट्रपति का मानना ​​है कि, इससे अमेरिका को 1 ट्रिलियन डॉलर का व्यापार घाटा उठाना पड़ता है, जो अमेरिकी उद्योगों और कामगारों के लिए नुकसानदेह है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि, डोनाल्ड ट्रंप आज ​​आयात शुल्क को लेकर क्या बड़े ऐलान कर सकते हैं? उनके टैरिफ संबंधी ऐलानों के दायरे में कौन-कौन से देश आ सकते हैं? ट्रंप के पारस्परिक टैरिफ का भारत पर क्या असर होगा और देश के किन उद्योगों पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ने की संभावना है? इसके अलावा ट्रंप के टैरिफ लगाने के ऐलान से अमेरिका को फायदा होगा या नुकसान? आइए जानते हैं…

अलग-अलग होगी टैरिफ व्यवस्था

खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि, वे उन सभी देशों पर जवाबी टैरिफ लगाने की घोषणा करने जा रहे हैं, जो अमेरिकी उत्पादों के आयात पर शुल्क लगाते हैं। ट्रंप ने साफ कहा है कि, वे हर देश पर उतना ही टैरिफ वसूलेंगे, जितना दूसरे देश अमेरिकी उत्पादों पर वसूलते हैं। ट्रंप का कहना है कि, अमेरिका के आयात शुल्क हर देश में उद्योग दर उद्योग या उत्पाद दर उत्पाद पर निर्भर करेंगे यानी जो उद्योग ज्यादा आयात शुल्क लगाएगा, उसे उतना ही जवाबी टैरिफ लिया जायेगा यानी एक ही देश के अलग-अलग उद्योगों पर अलग-अलग टैरिफ की व्यवस्था की जा सकती है।

25% जवाबी टैरिफ लगाएंगे ट्रंप

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ट्रंप प्रशासन के एक दूसरे धड़े का कहना है कि, ये टैरिफ औसतन अलग-अलग देशों पर भी लगाए जा सकते हैं। उदाहरण के लिए, अगर कोई देश अमेरिकी कारों पर 30% टैरिफ और फार्मा सेक्टर पर 20% टैरिफ लगाता है, तो ट्रंप प्रशासन पूरे देश के उत्पादों पर औसतन 25% का जवाबी टैरिफ लगा सकता है। व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने रविवार को मीडिया को बताया कि, इन शुल्कों से अमेरिका प्रति वर्ष 600 बिलियन डॉलर जुटा सकता है, जिसका अर्थ होगा कि, सभी देशों में आयात शुल्क में औसतन लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि होगी।

कनाडा-चीन पर लगा चुके हैं टैरिफ

ट्रंप अब तक कई देशों पर टैरिफ लगाने की चेतावनी दे चुके हैं। उनके पहले निशाने पर चीन, कनाडा और मैक्सिको थे। इसके बाद उन्होंने कई मौकों पर अपने अन्य सहयोगियों- यूरोपीय संघ, दक्षिण कोरिया, भारत, ब्राजील आदि का नाम लिया। ट्रंप ने अपने ताजा बयान में कहा- हम सभी देशों से शुरुआत करना चाहेंगे। देखते हैं आगे क्या होता है।

‘डर्टी 15’ का किया जिक्र

इस बयान के बाद यह साफ नहीं हो पाया कि, ट्रंप 2 अप्रैल को किन देशों को टैरिफ के दायरे में ला सकते हैं। हालांकि, अमेरिकी वाणिज्य मंत्री स्कॉट बेसेंट ने अपने एक बयान में ‘डर्टी 15’ का जिक्र किया। उन्होंने अपने बयान में साफ कर दिया कि 2 अप्रैल से अमेरिका के 15 फीसदी व्यापारिक साझेदार, जो हम पर भारी टैरिफ लगाते हैं और अमेरिकी उत्पादों के लिए व्यापार बाधाएं पैदा करते हैं, सबसे पहले निशाने पर होंगे।

कई देशों से हो रहा घाटा 

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अमेरिकी वाणिज्य मंत्रालय के 2024 के आंकड़ों पर गौर करें, तो पता चलता है कि, अमेरिका का कुछ देशों के साथ सबसे ज्यादा व्यापार घाटा है। इनमें चीन सबसे ऊपर है। बताया जाता है कि इन देशों का अमेरिका के साथ सबसे ज्यादा व्यापार असंतुलन है और ऐसे में ये देश ट्रंप प्रशासन के नए टैरिफ के दायरे में आ सकते हैं।

21 देशों की हुई पहचान

उधर, अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय (यूएसटीआर) ने भी 21 देशों की पहचान की है, जिनके व्यापार असंतुलन की समीक्षा की जा रही है। इस बार ट्रंप के टैरिफ के दायरे में आने वाले ‘डर्टी 15’ देशों को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा है, हालांकि उनके बयानों पर ध्यान दें तो आयात शुल्क से प्रभावित होने वाले देशों की संख्या इससे भी ज्यादा हो सकती है।

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 4.9 फीसदी हो जायेगा शुल्क

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार, भारत में अलग-अलग अमेरिकी उत्पादों पर औसत टैरिफ करीब 7.7 फीसदी है। वहीं दूसरी ओर, अमेरिका भारत से आयात होने वाली चीजों पर औसतन 2.8 फीसदी आयात शुल्क लगाता है। इसका मतलब यह है कि, दोनों देशों के बीच औसत टैरिफ में करीब 4.9 फीसदी का अंतर है। इसका मतलब यह है कि, अगर ट्रंप सभी भारतीय उत्पादों पर टैरिफ का ऐलान करते हैं तो वह आयात शुल्क में 4.9 फीसदी की बढ़ोतरी का ऐलान कर सकते हैं।

भारत-अमेरिका आयात शुल्क में अंतर

अगर, अमेरिका पूरे देश पर औसत टैरिफ लगाने की बजाय उद्योगों को टारगेट करता है, तो वह कृषि उद्योग से अमेरिका जाने वाले उत्पादों पर 32.4 फीसदी और औद्योगिक उत्पादों पर 3.3 फीसदी आयात शुल्क बढ़ा सकता है। दरअसल, अमेरिका अभी भारत से आयात होने वाले कृषि उत्पादों पर 5.3 फीसदी आयात शुल्क लगाता है। वहीं, भारत अमेरिकी कृषि उत्पादों पर 37.7 फीसदी टैरिफ लगाता है। इसकी तुलना में, अमेरिका वर्तमान में भारत से आयातित उत्पादों पर केवल 2.6% टैरिफ लगाता है। आयात शुल्क में यह अंतर 3.3% है।

कम हो जायेगा भारत का निर्यात 

अगर, अमेरिका भारतीय सेक्टरों को निशाना बनाता है, तो सबसे ज्यादा नुकसान उन सेक्टरों को होगा, जिनमें भारत ज्यादा आयात शुल्क वसूलता है यानी जिन सेक्टरों में आयात शुल्क में अंतर सबसे ज्यादा है, वे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। अगर ट्रंप आयात शुल्क बढ़ाने का ऐलान करते हैं, तो भारत द्वारा निर्यात की जाने वाली कई चीजों के दाम अमेरिका में बढ़ जाएंगे। नतीजतन, अमेरिका में उनकी खपत घट सकती है और भारत का निर्यात घट सकता है।

 कम प्रभावित होंगे ये सेक्टर्स 

अमेरिका के आयात शुल्क लगाने के फैसले से सबसे कम नुकसान अयस्क, खनिज और पेट्रोलियम सेक्टर को होगा, क्योंकि अमेरिका भारत से आयात होने वाले इस सेक्टर के 3.33 अरब डॉलर के उत्पादों पर ज्यादा टैरिफ लगाता है। इसी तरह, गारमेंट सेक्टर के 4.93 अरब डॉलर के निर्यात पर अमेरिकी टैरिफ का कोई असर नहीं होगा। अमेरिकी राष्ट्रपति काफी समय से कई देशों पर आयात शुल्क लगाने की धमकी दे रहे हैं। इसके चलते ज्यादातर देशों ने अमेरिकी टैरिफ से निपटने की तैयारी भी कर ली है, जिसमें चीन और कनाडा पहले नबंर पर हैं। वहीं, यूरोपीय संघ ने भी अप्रैल के मध्य से जवाबी आयात शुल्क लगाने की बात कही है।

भारत ने शुरू की तैयारी

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दूसरी ओर, दक्षिण कोरिया और मैक्सिको ने अभी तक अपने कदमों का खुलासा नहीं किया है। हालांकि, दोनों ने कहा है कि, वे आर्थिक रूप से जरूरी कदम उठाएंगे। ट्रंप के आने के बाद से ही भारत ने अमेरिकी टैरिफ से निपटने की तैयारी शुरू कर दी थी। मोदी सरकार के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल पिछले कुछ दिनों में अमेरिका का दौरा कर चुके हैं और व्यापक व्यापार समझौते पर चर्चा कर चुके हैं।

अमेरिकी उप विदेश मंत्री से मिले विक्रम मिस्री 

इसके बाद पिछले सप्ताह अमेरिकी उप विदेश मंत्री क्रिस्टोफर लैंडौ ने भी भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री से मुलाकात की थी और व्यापार समझौते के जरिए व्यापार में आने वाली बाधाओं को दूर करने की प्रतिबद्धता जताई थी। माना जा रहा है कि दोनों देश इस साल के अंत तक व्यापार समझौते को मंजूरी दे सकते हैं। इसके तहत भारत कई महत्वपूर्ण अमेरिकी उत्पादों पर आयात शुल्क कम कर सकता है। हालांकि, भारत के विदेश मंत्रालय ने अभी तक ट्रंप के टैरिफ लगाने के बयानों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

 

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