



अमेरिका। War-Torn Gaza Strip: डेढ़ साल से अधिक समय से युद्ध की त्रासदी झेल रहे फिलिस्तीन के लोगों को अब लीबिया में बसाने की योजना बनाई जा रही है। ये प्लान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बनाया है। उनका प्लान है कि, गाजा में रहने वाले लगभग 10 लाख फिलिस्तीनियों को स्थायी रूप से लीबिया में स्थानांतरित किया जायेगा।
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शुरू हुई लीबिया से बातचीत
एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि, इस योजना को लेकर की गई चर्चा की प्रत्यक्ष जानकारी रखने वाले दो व्यक्तियों और एक पूर्व अमेरिकी अधिकारी का कहना है कि, ट्रंप इस योजना पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं और अमेरिका व लीबिया के नेतृत्व के बीच इस मुद्दे को लेकर पहले से ही बातचीत चल रही है।
अमेरिकी सरकार के प्रवक्ता ने किया इंकार
रिपोर्ट में कहा गया है कि, फिलिस्तीनियों को लीबिया में बसाने के लिए अमेरिकी सरकार वहां के लिए अरबों डॉलर की धनराशि रिलीज करेगी, जिसे करीब एक दशक से भी ज्यादा समय पहले रोक दिया गया था। हालांकि, अभी इस मामले को लेकर दोनों देशों के बीच अंतिम समझौता नहीं हुआ है, लेकिन इजरायल को अमेरिकी प्रशासन की इस चर्चा से अवगत करा दिया गया है। वहीं, अमेरिकी सरकार के प्रवक्ता ने इस रिपोर्ट को झूठी करार दिया। उन्होंने कहा, ऐसी किसी योजना का कोई जमीनी आधार नहीं है और न ही इस बारे में किसी भी तरह की चर्चा की जा रही है। उन्होंने कहा, ये खबरें महज अफवाह हैं, इनका कोई मतलब नहीं है…।
दो हिस्सों में बंटा है लीबिया
बता दें कि, नाटो समर्थित विद्रोह के बाद साल 2011 में लीबिया में भारी अराजकता फैल गई थी और लंबे समय से शासन कर रहे तानाशाह मुअम्मर गद्दाफी को सत्ता से बेदखल कर दिया गया, बाद में उनकी हत्या कर दी गई। इसी अराजकता के माहौल में देश का विभाजन भी हो गया। लीबिया के पूर्वी और पश्चिमी इलाकों पर दो प्रतिद्वंद्वी मिलिशिया समूहों का कब्जा हो गया।
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दो सरकारों का है शासन
मौजूदा समय में लीबिया में दो प्रतिस्पर्धी प्रशासनों का शासन है। इनमें पहली है अब्दुल हामिद दबीबेह के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय एकता सरकार, जिसे इंटरनेशनल स्तर पर मान्यता प्राप्त है और दूसरी है प्रतिनिधि सभा समर्थित राष्ट्रीय स्थिरता सरकार। इस सरकार के नेतृत्व लीबियाई नेशनल आर्मी और उसके कमांडर खलीफा हफ्तार के वास्तविक शासन के अंतर्गत ओसामा हम्माद द्वारा किया जाता है।
नियंत्रण की रहती है होड़
लीबियाई नेशनल आर्मी की सरकार जीएनयू त्रिपोली में स्थित है और देश के पश्चिमी हिस्से पर शासन करती है। वहीं, जीएनएस पूर्वी और मध्य क्षेत्र को कंट्रोल करता है। इस विभाजन के बाद लीबिया में शासन करने वाली इन दोनों सरकारों के बीच वैधता और देश पर नियंत्रण की होड़ मची रहती है।
इजराइल ने बरसाई मिसाइलें
इधर, गाजा में चल रहा इजराइल-हमास संघर्ष रुकने का नाम नहीं ले रहा है। शुक्रवार 16 मई को भी इजराइल ने गाजा में दर्जनों मिसाइलें बरसाई। इन हमले में भी 108 लोगों के मारे जाने की खबर है। स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि, मरने वालों में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं। इजरायली अधिकारियों का कहना है कि, ये हमले हमास पर बंधकों को रिहा करने के लिए दबाव बनाने के अभियान की शुरुआत है। जब तक हमास इजराइली बंधकों को नहीं छोड़ेगा, तब तक उस पर हमले होते रहेंगे।
यमन के बन्दरगाहों को बनाया निशाना
गाजा के अलावा इजराइल ने यमन में भी दो बंदरगाहों को निशाना बनाया। इस हमले को लेकर इजराइली अधिकारियों का कहना है कि, ये दोनों बन्दरगाह हूती उग्रवादी समूह द्वारा हथियारों को स्थानांतरित करने के लिए इस्तेमाल किये जाते थे। यमन के स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा, इस हमले में अभी एक व्यक्ति की मौत हो गई और नौ घायल हैं।
युद्धविराम के समझौते से किया इंकार
इधर, इजराइल के हमले के बाद हमास के गाजा प्रमुख ने कहा, समूह सभी बंधकों को इजरायल की जेल में बंद फिलिस्तीनियों की एक निश्चित संख्या के साथ बदलने के लिए तत्काल बातचीत करने को तैयार है, अगर ऐसा हो जाता है, तो इस क्षेत्र में युद्ध समाप्त हो जाएगा। इजरायल के साथ अप्रत्यक्ष बातचीत के लिए हमास वार्ता दल का नेतृत्व करने वाले खलील अल-हय्या ने टेलीविजन पर हुई एक बातचीत में कहा, समूह ने अंतरिम युद्धविराम समझौते को अस्वीकार कर दिया है।
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