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Pahalgam Attack: जिंदा बचे शख्स ने सुनाई आपबीती, कहा- जिन्दगी का सबसे मुश्किल समय था वो 5 मिनट

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Pahalgam Attack:

मुंबई। Pahalgam Attack: 22 मार्च को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में घायल सुबोध पाटिल अब ठीक हो गये हैं। उन्हें पहलगाम आर्मी अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है। अब वे अपने घर आ गये हैं। हमले की घटना को याद करते हुए 60 साल के सुबोध बताते हैं कि, उनकी जिन्दगी का सबसे मुश्किल समय था वह पांच मिनट। उन्होंने बताया कि, कैसे आतंकियों ने सभी हिंदू पर्यटकों को एक लाइन में खड़े होने को कहा और उनके नाम पूछे, उनकी आईडी देखी और उन्हें गोली मार दी।

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 गर्दन के पार निकल गई थी गोली 

Pahalgam Attack:

पाटिल बताते हैं कि, कुछ पर्यटकों ने विनती की और जान बक्शने की भीख मांगी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इसके अलावा कुछ ने विरोध करने की भी कोशिश की, तो आतंकियों ने उन्हें भी गोली मार दी गई। सुबोध कहते हैं कि, आतंकियों ने मुझे भी गोली मारी, जो मेरी गर्दन के आर-पार हो गई, जिससे मैं वहीं गिर गया और वहीं बेहोश हो गया। उन्होंने बताया, जब उन्हें होश आया तो उन्होंने खुद को कई लाशों के बीच पाया। सुबोध ने उन टट्टू चालक संचालकों का आभार जताया, जिन्होंने उस हमले में घायलों लोगों की मदद की और उन्हें पानी पिलाया, जिस टट्टू संचालक को हमने रखा रहा था, उसने हमारी मदद की।

 हेलीकॉप्टर से ले गये सेना के अस्पताल

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सुबोध कहते हैं कि, जब मैंने अपनी पत्नी के बारे में पूछा तो उसने कहा, उनकी चिंता न करो, वह ठीक हैं। इस दौरान, एक अन्य व्यक्ति ने उन्हें खड़े होने में मदद की, सहारा देने के लिए अपना कंधा दिया और कहा,  क्या तुम चल सकते हो। उन्होंने कहा, वे लोग उन्हें बार-बार कह रहे थे कि, डरो मत। वे उसे कैंपस से बाहर ले गए और उसे बैठने के लिए एक खाट दी। कुछ देर बाद, वे एक वाहन लेकर आए और उसे भारतीय सेना चिकित्सा केंद्र ले गए। वहां से उन्हें हेलीकॉप्टर से सेना के अस्पताल ले जाया गया।

कहा- कभी नहीं भूल सकता वह क्षण

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पाटिल ने पास के न्यू पनवेल टाउनशिप के निवासी देसले को भी याद किया, जो उस दिन हमले में मारे गए महाराष्ट्र के छह पर्यटकों में से एक थे। उन्होंने कहा, हम दोनों एक साथ मौके पर पहुंचे थे। पाटिल ने कहा, देसले ने रोपवे की सवारी का विकल्प चुना और पारंपरिक कश्मीरी पोशाक में अपनी पत्नी के साथ तस्वीरें भी खिंचवाईं। पाटिल ने कहा, सब कुछ पांच मिनट में हुआ, लेकिन वह उस पांच मिनट उनकी जिन्दगी का सबसे मुश्किल और दहशत भरा क्षण था, जिसे वह कभी भी नहीं भूल सकेंगे।

 

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