



शनिदेव को न्याय का देवता कहा जाता है। मान्यता है कि शनिदेव (Shanidev) हर किसी को उसके कर्म के हिसाब से दंड देते हैं, लेकिन अधिकतर लोग शनि के नाम से भी डर जाते हैं। जैसे ही किसी को पता चलता है कि उसकी कुंडली में शनिदोष है। वह तुरंत शनि महराज को खुश करने में लग जाता है। वहीं शनि की साढ़े साती और शनि की ढैय्या से भी लोग बहुत डरते हैं। कहते हैं जिस किसी पर शनि की साढ़े साती या फिर ढैय्या चलती है, उसने काफी कष्ट झेलने पड़ते हैं, लेकिन शास्त्रों में कई ऐसे देवताओं के बारे में बताया गया है, जिससे खुद शनि देव भी डरते हैं। ऐसे में जिन लोगों पर शनि की साढ़े साती या शनि की ढैय्या चल रही है उन्हें उन देवताओं की पूजा करनी चाहिए ,जिनसे शनिदेव डरते हैं।
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भगवान शिव
शास्त्रों में कहा गया है कि शनि देव भगवान शिव से भयभीत रहते हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार शिवजी ने शनि को सबक सिखाने के लिए उनके ऊपर जोरदार प्रहार किया था। इस घटना के बाद से शनि देव (Shanidev) उनसे डरने लगे थे। ऐसी मान्यता है कि शिवजी की आराधना करके शनि के प्रकोप से बचा जा सकता है।
हनुमान जी
शनि देव हनुमान से भी भयभीत रहते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि एक बार हनुमान जी ने शनि देव की रक्षा की थी, तब शनिदेव ने उन्हें वचन दिया था कि जो भक्त शनिवार के दिन हनुमान जी की पूजा करेगा उन्हें शनि के प्रकोप का सामना नहीं करना पड़ेगा।
श्रीकृष्ण
कहते हैं शनि देव भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त हैं। यही कारण है कि वे भगवान कृष्ण के भक्तों को कभी कष्ट नहीं पहुंचाते हैं। शनि देव ने श्रीकृष्ण को वचन दिया था कि, अच्छे कर्म करने वाले कृष्ण भक्तों पर उनकी साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव नहीं होता है।
अपनी पत्नी से भी डरते हैं शनि देव
पौराणिक कथा है कि, पत्नी के श्राप के कारण ही शनि देव की दृष्टि ऐसी हो गई कि वे जिसे भी देखते हैं उसकाअनिष्ट हो जाता है। शनि देव के प्रकोप से बचने के लिए लोग पीपल वृक्ष की भी पूजा करते हैं। कहा जाता है कि शनि देव को पीपल के वृक्ष से भी डर लगता है। शास्त्रों में बताया गया है कि एक बार ऋषि पिप्लाद पीपल वृक्ष के नीचे तपस्या कर रहे थे तभी शनि देव ने उनके पैर पर प्रहार कर दिया था, जिससे उनका पैर टूट गया। इसी के बाद से शनिदेव पीपल के वृक्ष से भी डरने लगे थे।
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