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भारत के 80 फीसदी घरों पर नजर रख रहा चीन, सर्वे में हुआ चौंकाने वाला खुलासा, सरकार उठा सकती है ये कदम

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नई दिल्ली। भारत स्मार्टफोन और इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स एक बहुत बड़ा बाजार है और ये प्रोडक्ट्स सबसे ज्यादा चीन (China) में बनाये जाते हैं। वहीं से दुनिया भर में सप्लाई किये जाते हैं। ऐसा भी कह सकते हैं कि इन पर चीन का ही कब्जा है। दुनिया के अधिकांश घरों में चाइनीज प्रोडक्ट्स इस्तेमाल किये जाते हैं जो आने वाले टाइम में देश के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकते  हैं। हालांकि सोशल मीडिया पर कई बार चीनी प्रोडक्ट बायकाट भी ट्रेंड होता है, लेकिन इसका असर न के बराबर होता है। वजह साफ है कि चीनी गैजेट अन्य देशों के गैजेट के मुकाबले सस्ते होते हैं, जिससे इसे आम आदमी आसानी से खरीद लेता  है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में ‘मन की बात’ कार्यक्रम में जनता से अपील की थी कि वह चीनी प्रोडक्ट खरीदने से परहेज करें।

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डाटा एक्सपोजर का है जोखिम

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बताया जा रहा है कि एक लोकल सर्किल नाम की कंपनी द्वारा किये  गये सर्वे में सामने आया है कि 79 फीसदी से अधिक भारतीय परिवारों में एक या दो सदस्यों के पास चाइनीज प्रोडक्ट हैं, जो सर्विलांस के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकते  हैं। इसके अलावा 37 फीसदी लोग इन प्रोडक्ट से सबंधित एप का इस्तेमाल करते हैं, जो डाटा एक्सपोजर का खतरा बढ़ा रहे हैं।

एप्पल ऐप स्टोर और गूगल प्लेस्टोर के साथ मिल कर काम करे भारत 

अगर इस सर्वे पर गौर किया जाये तो भारत के 25 प्रतिशत घरों में एक या दो मेड इन चाइना डिवाइस है। वहीं 54 फीसदी घरों में तीन से ज्यादा चाइनीज डिवाइस हैं। इन डिवाइस से जुड़े कई चाइनीज ऐप वीडियो, फोटो जैसे यूजर डाटा को स्टोरेज और प्रोसेसिंग के लिए चीन भेज रहे हैं, जो भारतीयों के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकते हैं।  ऐसे में अब भारत को एप्पल ऐप स्टोर और गूगल प्लेस्टोर के साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है, ताकि कोई भी डेटा चीन न जाए।

आदेशों पर जल्द अमल कर सकती है भारत सरकार

लोकल सर्वे की रिपोर्ट ने ये भी सामने आया है कि, हाल ही में लेबनान में हुए पेजर विस्फोट के बाद मीडिया रिपोर्ट्स से संकेत मिल रहे हैं कि भारत जल्द ही सीसीटीवी कैमरे, स्मार्ट मीटर, पार्किंग सेंसर, ड्रोन पार्ट्स और यहां तक ​​कि लैपटॉप और डेस्कटॉप को सिर्फ विश्वसनीय जगहों से ही सोर्स हासिल करने के अपने आदेशों को अमल में ला सकता है। आपको बता दें कि इस साल की शुरुआत यानी मार्च और अप्रैल में सरकार ने दो अलग-अलग गैजेट नोटिफिकेशन जारी किए थे, जिसमें से एक सर्विलांस कैमरों के लिए ‘मेक इन इंडिया’ दिशा-निर्देशों से संबंधित था और दूसरा सीसीटीवी सर्टिफिकेशन के क्राइटेरिया को लेकर था।

पहले भी कई एप्स पर लग चुका है बैन 

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से कहा गया है कि, इन नोटिफिकेशन्स का लक्ष्य सभी तरह के सर्विलांस उपकरणों की सप्लाई चेन से चीन के विक्रेताओं को बाहर निकालना था।  गौरतलब है कि इससे पहले, भारत सरकार जासूसी सॉफ़्टवेयर रखने के चलते कई चीनी ऐप और उत्पादों पर बैन लगा चुकी है।

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