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SCO Summit 2024: एस. जयशंकर ने पाकिस्तान को उसी की जमीन पर लताड़ा, कहा-‘बेहतर रिश्ते के लिए भरोसा जरूरी’

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S Jaishankar

इस्लामाबाद।  SCO Summit 2024: भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर इस समय शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में शामिल होने के लिए पाकिस्तान की यात्रा पर हैं। विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि “एससीओ सीएचजी बैठक हर साल आयोजित की जाती है। इसमें संगठन के आर्थिक एजेंडे के साथ-साथ व्यापार पर भी ध्यान केंद्रित किया जाता है। इस साल ये बैठक पाकिस्तान के इस्लामाबाद में हो रही है।

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भारत में आतंकी गतिविधियों के लिए पाक को ठहराया जिम्मेदार 

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बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर इस समय  पाकिस्तान में हैं, जहां उन्होंने 23वें शंघाई काउंसिल समिट को संबोधित किया और पाकिस्तान को उसी की जमीन पर जमकर लताड़ लगाई।  उन्होंने भारत में हो रही आतंकी गतिविधियों के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, “आतंकवाद, अलगाववाद और कट्टरवाद से बचना चाहिए। रिश्तों को बेहतर बनाने के लिए विश्वास की आवश्यकता होती है। सभी की संप्रभुता का सम्मान करना सबसे जरूरी होता है।”

 

विकास की राह में कई बाधाएं आती हैं

उन्होंने आगे कहा, ‘विकास की राह में कई बाधाएं आती है, इनमें जलवायु, आपूर्ति श्रृंखला और वित्तीय अस्थिरता आदि शामिल हैं।” भारतीय विदेश मंत्री ने कहा,  ”एससीओ का मुख्य उद्देश्य आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से मुकाबला करना है, जो आधुनिक समय की सबसे बड़ी जरूरत हैं।, एससीओ को इन तीन बुराइयों से मुकाबला करने का दृढ़ संकल्प लेना होगा।”

पाक पीएम ने किया जयशंकर का स्वागत 

SHAHBAZ SHAREEF

इससे पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस्लामाबाद में शंघाई शिखर सम्मेलन के आयोजन स्थल पर जयशंकर का स्वागत किया। इस दौरान उन्होंने कहा साझा मुद्दों के समाधान के लिए एससीओ सदस्य देशों के बीच सहयोग की भावना होना आवश्यक है। उन्होंने क्षेत्र में स्थिरता और विकास को बढ़ावा देने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। वहीं जयशंकर ने अपने संबोधन में कहा, ‘सहयोग आपसी सम्मान और संप्रभु समानता के साथ-साथ क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता की मान्यता पर आधारित होना चाहिए। यह वास्तविक साझेदारी पर आधारित होना चाहिए, न कि एकतरफा एजेंडे पर। अगर हम वैश्विक प्रथाओं, विशेष रूप से व्यापार को अपनी पसंद के अनुसार चुनते हैं तो एससीओ की प्रगति संभव नहीं है।”

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