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चीन की विस्तारवादी नीति से उड़ी पड़ोसी मुल्कों की नींद, ड्रैगन ने अब भूटान पर भी किया कब्जा

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China occupies Bhutan

तिब्बत। दुनिया भर में चीन (China) की विस्तारवादी नीति की चर्चा होती रहती है। पड़ोसी देशों की जमीन पर कब्जा करना चीन की पुरानी आदत है। उसकी इस आदत की वजह से पड़ोसी देशों से उसके रिश्ते हमेशा तनावपूर्ण रहते हैं। तिब्बत, मंगोलिया, हांगकांग और भारत के बाद अब खबर आ रही है कि ड्रैगन ने भूटान की जमीन पर भी कब्जा कर लिया है। इस बात का खुलासा एक रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन ने भूटान में सीमा से लगी जमीन पर लगभग 22  गांव बसा लिए हैं। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद भारत समेत कई देश परेशान हो गये हैं।

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चीन ने भूटान में बनाए 22 गांव 

China occupies Bhutan

जानकारी के मुताबिक ये रिपोर्ट तिब्बती विश्लेषकों के नेटवर्क ‘टर्कोइस रूफ’  द्वारा तैयार की गई है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन ने सीमा से सटे भूटान के क्षेत्र  में 19 गांव और तीन छोटी बस्तियां बसा ली है। बता दें कि इससे पहले 2023 में खबर आई थी कि चीन ने भूटान की जमीन पर सात गांव बसा लिए हैं। वहीं अब खबर आ रही है कि उसने 19 गांव और तीन छोटी बस्तियां बसा ली है। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन की इस विस्तारवादी नीति से सिर्फ भूटान को ही नहीं बल्कि ने पड़ोसी देशों को भी खतरा है। बताया जा रहा है कि चीन ने जहां गांव बसाये हैं वहां की सड़कें भूटान और चीन सीमा से सटी हैं। रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि चीन अपने लोगों को यहां बसा रहा है। उसने अभी तक लगभग 7000 लोगों को बसा दिया है। ये गांव 3 से 4 हजार फीट की ऊंचाई पर बनाये गये हैं।

दक्षिण चीन सागर में भी करता है दादागिरी 

बता दें कि चीन की इस विस्तारवादी नीति के चलते हर पड़ोसी देश से उसका सीमा विवाद चलता रहता है। भारत के अलावा मंगोलिया, लाओस, वियतनाम, म्यांमार, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, कजाखिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान के साथ भी चीन के सबंध तनावपूर्ण ही रहते हैं। हालांकि इन देशों के साथ चीन के आर्थिक संबंध हैं,  लेकिन कोई भी देश उस पर भरोसा नहीं कर पाता है। जमीन तो जमीन चीन पानी में भी अपनी दादागिरी दिखाता है। वह दक्षिण चीन सागर में भी जब तब विस्तार करने की योजना बनाता रहता है। ड्रैगन यहां भी अकेले राज करना चाहता है। यही वजह है कि दक्षिण चीन सागर में हमेशा तनाव की स्थिति बनी रहती है। यहां  मलेशिया, इंडोनेशिया, फिलीपींस, वियतनाम और ब्रूनेई समेत कई देशों से उसकी तनातनी रहती है।

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ये है चीन की सेना और परमाणु हथियार 

बता दें कि चीन, अमेरिका के साथ सीधे तौर पर व्यापार युद्ध में शामिल है। वह दुनिया के एक बड़े सुपरपावर मुल्क से कंपटीशन करने की होड़ में हमेशा कुछ न कुछ ऐसा करता रहता है, जिससे भारत समेत हर वह देश चिंतित हो जाता है जो विश्व शांति व सद्भावना की नीति में भरोसा करता है। बात करें चीन की सैन्य शक्ति की तो मौजूदा समय में चीन के पास 34,40,000 सक्रिय सेना है, तो वहीं आरक्षित सेना की संख्या  12,00,000, है। चीन के पास वायुसेना 4,00,000 और नौसेना 2,55,000 है। रिपोर्ट्स की मानें तो चीन के पास सैंकड़ों की संख्या मे परमाणु हथियार भी हैं। कुछ रिपोर्ट्स में तो ये दावा किया गया है कि चीन के पास साढ़े चार सौ परमाणु हथियार हैं।

कहां कितनी जमीन पर है कब्जा

अगर चीन की विस्तारवादी नीति को समझना हो, तो ला ट्रोबे यूनिवर्सिटी एशिया सुरक्षा रिपोर्ट को समझना होगा। इस रिपोर्ट में चीन की विस्तारवादी नीति के संबंध में जो दावे किए गए हैं वो चौंकाने वाले हैं। इस रिपोर्ट में साफ़ बताया गया है कि चीन ने अपने पड़ोस में स्थित किस देश में कितनी जमीन कब्जा की है।

पूर्वी तुर्किस्तान

रिपोर्ट के मुताबिक ड्रैगन पूर्वी तुर्किस्तान में लगातार जमीन  कब्जा रहा है। उसने वहां पर 16.55 लाख वर्ग किलोमीटर की जमीन अपने कब्जे में ले ली है।

तिब्बत

चीन ने पूरे तिब्बत पर कब्जा कर लिया है। यहां उसने सात अक्टूबर 1950 को 12.3 लाख वर्ग किलोमीटर में स्थित तिब्बत पर कब्जा किया और सीमा का विस्तार भारत तक कर लिया है।

हांगकांग

ड्रैगन ने साल  1997 में हांगकांग की जमीन को भी अपने कब्जे में ले लिया। अब वह वहां राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू कर शिकंजा कसने की कोशिश कर रहा है।

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मंगोलिया

चीन ने अक्टूबर 1945 में मंगोलिया पर हमला कर उसकी जमीन को भी हड़प लिया है।

रूस

रूस के 52 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर चीन कब्जा करने की कोशिश में है। इससे उसके और रूस के रिश्ते भी तल्ख हैं।

भारत

भारत के साथ चीन का सीमा विवाद हमेशा चलता ही रहा है। दरअसल ये दोनों देश सबसे लंबी 3,488 किलोमीटर की विवादित सीमा को साझा करता हैं। बता दें कि भारत-चीन सीमा तीन सेक्टर में बंटी हुई है, जिसे ईस्टर्न, मिडिल और वेस्टर्न के नाम से जाना जाता है। यहां ईस्टर्न सेक्टर में अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम आते हैं, मिडिल सेक्टर में हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की सीमा लगती है। वहीं वेस्टर्न सेक्टर में लद्दाख  बॉर्डर है। इन सभी जगहों पर ड्रैगन की नजर हमेशा रहती है और वह यहां आये दिन कुछ न कुछ नापाक हरकत करता रहता है।

इन हिस्सों पर है भारत-चीन विवाद 

भारत का चीन ने विवाद अरसे पुराना है। यहां  पैंगोंग त्सो झील (लद्दाख), डोकलाम (भूटान), तवांग (अरुणाचल प्रदेश), और  नाथू ला (सिक्किम) जैसे हिस्सों पर चीन के साथ भारत का सीमा विवाद हमेशा बना रहता है। बता दें कि भारत और चीन के बीच कभी भी कोई आधिकारिक सीमा रेखा नहीं रही। वजह ये है कि चीन किसी सीमा रेखा को नहीं मानता है। साल 1962 में चीन और भारत के बीच युद्ध हुआ था तब  चीन की सेना लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के तवांग क्षेत्र में घुस आई थी। बाद में जब युद्धविराम हुआ तो तय हुआ कि जिस देश की सेना जहां है, वहीं LAC यानी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल होगा। यही वजह है कि चीन अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख को अपने देश का हिस्सा मानता है।

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