



मास्को/कजान। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार (23 अक्टूबर) को 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन (BRICS Summit 2024) को संबोधित करते हुए कहा कि भारत युद्ध का नहीं बल्कि कूटनीति और संवाद का समर्थन करता है। उन्होंने चीन और रूस जैसे प्रमुख देशों के राष्ट्रपतियों के सामने भी आतंकवाद पर हमला बोला है और उसका खत्मा करने में सहयोग की अपील की। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के प्रति लोगों दोहरा रवैया किसी के लिए भी ठीक नहीं है।
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आज दुनिया कई गंभीर चुनौतियों से जूझ रही है
पीएम मोदी ने कहा, “शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा हम ऐसे समय में मिल रहे हैं जब दुनिया युद्ध, संघर्ष, आर्थिक अस्थिरता, जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद जैसी कई गंभीर चुनौतियों से जूझ रही है।” विश्व में नार्थ-साउथ और पूर्व-पश्चिम डिवाइडेशन जैसे मुद्दे जोर पकड़ रहे हैं।। प्रौद्योगिकी, साइबर सुरक्षा, डीप फेक, दुष्प्रचार आदि के युग में मुद्रास्फीति को रोकना, खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा, जल सुरक्षा के मुद्दे सभी देशों की प्राथमिकता में शामिल हैं, लेकिन ये सभी इस समय गंभीर चुनौती बने हुए हैं। ऐसे में ब्रिक्स में हमें काफी उम्मीदें हैं।
आतंकवाद पर सख्त हुए मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “आतंकवाद और आतंकवाद की फंडिंग करने वालों से लड़ने के लिए हम सभी को एक साथ आना चाहिए और इसके खिलाफ मजबूती से काम करना चाहए” ऐसे गंभीर मामले में दोहरे मापदंड को अपनाना किसी के भी हित में नहीं है।’ हमें अपने देश के युवाओं के कट्टरपंथ को रोकने के लिए निवारक उपाय करने चाहिए। हमें संयुक्त राष्ट्र में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ व्यापक सम्मेलन के मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए।”
सभी मामलों में सकारात्मक भूमिका निभाए ब्रिक्स
प्रधानमंत्री ने कहा, “मेरा मानना है कि ब्रिक्स, एक विविध और समावेशी मंच है, ये दुनिया के तमाम गंभीर मामलों में सकारात्मक भूमिका निभाने में पूरी तरह सक्षम है।” इस संदर्भ में हमारा दृष्टिकोण जन-केंद्रित बना रहना चाहिए। हमें दुनिया को यह संदेश देना चाहिए कि ब्रिक्स कोई विभाजनकारी समूह नहीं है, बल्कि सार्वजनिक हितों का प्रतिनिधित्व करने वाला समूह है।”
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हमें विश्व स्तर पर उदाहरण स्थापित करना चाहिए
उन्होंने कहा, ”ब्रिक्स एक ऐसा संगठन है जो समय के साथ बदलाव की इच्छा रखता है। हमें दुनिया के लिए एक उदाहरण स्थापित करना चाहिए और सर्वसम्मति से वैश्विक संस्थानों में सुधार की वकालत करनी चाहिए। हमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, बहुपक्षीय विकास बैंकों और डब्ल्यूटीओ जैसे वैश्विक संस्थानों में समय पर सुधारों को बढ़ावा देना चाहिए। ब्रिक्स प्रयासों को बढ़ावा देने में हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि इस संगठन की छवि ऐसी न बने कि हम वैश्विक संस्थाओं में सुधार नहीं, बल्कि उनकी जगह लेना चाहते हैं।
हम बातचीत और कूटनीति के समर्थक हैं
दुनिया के प्रति भारत के दृष्टिकोण का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “हम युद्ध पर बातचीत और कूटनीति का समर्थन करते हैं। हम हमारी आने वाली पीढ़ियों को एक सुरक्षित, मजबूत और समृद्धकारी भविष्य देना चाहते हैं। हमने कोविड-19 जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए मिलकर काम किया है। आगे भी हमें मिलकर काम करने की जरूरत है।
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