



ताइपे। Taiwan–China dispute: चीन और ताइवान के बीच बढ़े तनाव को लेकर हाल ही में अमेरिकी कांग्रेस समिति और एक थिंक टैंक द्वारा एक युद्ध सिमुलेशन आयोजित किया गया था। इस सिमुलेशन में पाया गया कि अगर चीन ताइवान पर हमला करता है, तो ताइवान को कम से कम एक या दो महीने तक अपनी रक्षा के लिए अकेले ही लड़ना होगा। इसके बाद ही अमेरिका अपने सेना भेज सकेगा।
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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह सिमुलेशन अमेरिकी हाउस सेलेक्ट कमेटी और सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (CSIS) द्वारा आयोजित किया गया था, जिसका मकसद ताइवान पर चीनी हमले के परिणामों का मूल्यांकन करना था।
रक्षा मंत्रालय के विशेषज्ञ ने दी जानकारी
अमेरिकी युद्ध सेमुलेशन के नेतृत्व कर्ता और CSIS के रक्षा विशेषज्ञ मार्क कैनसियन ने युद्ध के बढ़ते खतरे पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ताइवान का पहाड़ी इलाका चीनी सेना के लिए चुनौती है क्योंकि वहां दो संकीर्ण तटीय गलियारे हैं जिससे ताइवान पर कब्जा करना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि ताइवान की सेना देश के उत्तर में तैनात है, जो एक महत्वपूर्ण औद्योगिक क्षेत्र भी है और यह चीन के लिए एक रणनीतिक चुनौती है।
चीन के पास हैं ये दो विकल्प
चीन के युद्ध विकल्पों के बारे में कैनसियन ने बताया कि चीन के पास दो विकल्प हैं। पहला, वह उत्तर से ताइवान पर हमला कर सकता है, लेकिन उसे भयंकर प्रतिरोध का सामना करना पड़ेगा और दूसरा, वह दक्षिण से हमला कर सकता है, जहां से हमला करना उसके लिए आसान होगा। अगर चीन ने उत्तर से हमला किया तो ताइपे पर कब्ज़ा करना मुश्किल हो जाएगा। इसके साथ ही कैनसियन ने यह भी जोड़ा कि इस बीच ताइवान को जल्दी से घेर लिया जाएगा और अमेरिका को इस नाकाबंदी तोड़ने में तीन से चार सप्ताह लग सकते हैं।
सिमुलेशन में बनी चीनी हमले की रणनीति
सिमुलेशन से यह भी पता चला कि अगर चीन ने दक्षिण से हमला किया, तो पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को ताइवान में एक बंदरगाह या हवाई अड्डे पर तुरंत कब्जा करना होगा क्योंकि अमेरिका और जापान मिलकर चीनी जहाजों पर हमला करेंगे। अगर ये जहाज नष्ट हो गए तो पीएलए के लिए ताइवान में सेना भेजना मुश्किल हो जाएगा। हालांकि, कैनसियन ने कहा कि अधिकांश परिदृश्यों में अमेरिकी और जापानी सेनाएं ही जीतेंगी, लेकिन सभी को इसकी भारी कीमत चुकानी होगी।
ताइवान को एक से दो महीने तक अकेले ही लड़ना होगा
इसके साथ ही कैनसियन ने ये भी कहा कि ताइवान को मजबूत करने के लिए अमेरिकी प्रयास पहले विफल भी हो सकते हैं क्योंकि ताइवान के चारों तरफ चीन की कड़ी नाकाबंदी होगी। ऐसे में ताइवान को लड़ाई के पहले एक या दो महीने तक अकेले ही लड़ना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि ताइवान को युद्ध से पहले ही मदद देने के लिए 500 हार्पून मिसाइल दे दी जानी चाहिए, जिन्हें वह मोबाइल लॉन्चर पर तैनात कर सके, ताकि ताइवान बिना अमेरिकी जमीनी बलों की मदद के चीनी जहाजों पर हमला कर खुद की रक्षा का सके।
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