



Prediction On The World End: वैसे तो अक्सर ही पृथ्वी के विनाश और दुनिया के अंत की भविष्यवाणियां की जाती रहती है, लेकिन यह विनाश और अंत कैसे होगा? इसको लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं। हालांकि इसके तरीके अज्ञात हैं, वैज्ञानिक समय-समय पर इसके कई तरीके बताते रहते हैं। भूविज्ञानी पृथ्वी, जीवन और दुनिया के विनाश की वजह इन्सान को मान रहे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि मानवजनित कारणों से ही धरती पर से जीवन समाप्त होगा।
इसके अलावा ब्रह्मांड में होने वाली घटनाएं और प्राकृतिक आपदाएं भी पृथ्वी के विनाश की वजह बनेंगी। वैज्ञानिक वर्तमान में पांच कारणों से पृथ्वी, जीवन और विश्व के विनाश की भविष्यवाणी कर रहे हैं। इनमें पृथ्वी पर क्षुद्र ग्रहों की टक्कर, ज्वालामुखी विस्फोट, जलवायु परिवर्तन, परमाणु युद्ध और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शामिल हैं। आइए जानते हैं कि दुनिया के विनाश में ये पांचों तत्व किस तरह की भूमिका निभाएंगे।
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परमाणु युद्ध
परमाणु बम और परमाणु युद्ध भी पृथ्वी के विनाश की वजह बन सकते हैं। देशों द्वारा परमाणु हथियारों के उपयोग से होने वाले विस्फोट से न केवल पृथ्वी को नुकसान होगा, बल्कि जीवन की भी हानि होगी। परमाणु विस्फोट से शहर और जंगल जल जायेंगे। उनसे निकलने वाला धुआं और राख सूर्य के प्रकाश को अवरुद्ध कर देगा और वैश्विक तापमान में गिरावट होगी। इससे कृषि क्षेत्र को भी काफी नुकसान होगा। भोजन और पानी के अभाव में लोग मरेंगे। परमाणु विकिरण पर्यावरण को प्रदूषित करेगी और बीमारी की वजह बनेगी। कार्ल सागन और रिचर्ड पी. टर्को ने इस सिद्धांत को दुनिया के सामने पेश किया। उनका सिद्धांत जलवायु पर परमाणु विस्फोटों के प्रभावों के वैज्ञानिक अनुसंधान पर आधारित है।
एस्ट्रॉयड का पृथ्वी से टकराव
एस्ट्रॉयड दुनिया के अंत का कारण बन सकते हैं। इतिहास में इस बात के प्रमाण मिले हैं। ऐसा माना जाता है कि लगभग 65 मिलियन वर्ष पहले एक विशाल क्षुद्रग्रह पृथ्वी से टकराया था और डायनासोर विलुप्त हो गए थे। अगर आज भी ऐसी कोई घटना घटती तो वह विनाशकारी होगी। एक बार जब कोई एस्ट्रॉयड पृथ्वी से टकराता है, तो उससे बड़ी मात्रा में ऊर्जा निकलती है, जिससे वैश्विक विनाश और अग्निकांड होता है और भूकंप, तूफान, बाढ़ और सुनामी जैसी स्थिति पैदा होती है। इसके साथ ही अंतरिक्ष में छोड़ी गई धूल और गंदगी सूर्य के प्रकाश को अवरुद्ध कर सकती है, जो जलवायु परिवर्तन का कारण बन सकती है। इससे संभवतः पृथ्वी पर जीवन नष्ट हो सकता है। यही वजह है कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी, नासा और दुनिया भर की अन्य अंतरिक्ष एजेंसियां पृथ्वी के चारों ओर तैरने वाली वस्तुओं पर नज़र रख रही हैं। लुइस अल्वारेज़ और उनके बेटे वाल्टर अल्वारेज़ का दावा है कि एक एस्ट्रॉयड प्रभाव के कारण ही पृथ्वी पर से डायनासोर विलुप्त हो गये थे।
ज्वालामुखी विस्फोट
वैज्ञानिकों का कहना है कि ज्वालामुखी विस्फोट एक प्राकृतिक आपदा है जो दुनिया के अंत की संभावित वजह बन सकती है। ज्वालामुखी विस्फोट होने की स्थिति में पृथ्वी की गहराई से जलता हुआ लावा, ज्वलनशील राख और गैसें निकलती हैं, जो कई बार विनाशाकरी साबित होती हैं। वैसे तो पृथ्वी पर ज्वालामुखी विस्फोट होते रहते हैं, लेकिन आखिरी सबसे भीषण ज्वालामुखी विस्फोट लगभग 74,000 साल पहले इंडोनेशिया के टोबा काल्डेरा में हुआ था। इस विस्फोट की वजह से पृथ्वी पर सर्दी और गर्मी का दौर शुरू हुआ था। आज, जब कोई सुपर ज्वालामुखी फूटता है, तो उससे निकली राख सूरज की रोशनी को अवरुद्ध कर देगी। तापमान तेजी से गिरेगा, कृषि और खाद्य आपूर्ति प्रभावित होगी। अकाल पड़ेगा और सामाजिक पतन होगा। स्टीफन सेल्फ और कई अन्य शोधकर्ताओं ने टोबा में हुए ज्वालामुखी विस्फोट के परिणामों का अध्ययन किया है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
21वीं सदी की तकनीक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस दुनिया के अंत का कारण भी बन सकती है। हालांकि ये तकनीक मानव जीवन में क्रांति ला रही है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि जब सुपरइंटेलिजेंट मशीनें बन जाएंगी तो उन्हें नियंत्रित करना मुश्किल हो जाएगा। उनमें इंसानों की तरह सोचने-समझने की क्षमता नहीं होती। ऐसे में अगर आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस नियन्त्रण से बाहर हो गई या ज्यादा विकसित हो गई, तो यह मानवता के अस्तित्व को खतरे में डाल सकती है। निक बोस्ट्रोम ने दुनिया को आर्टिफिशियल इतेलिजेंस के खतरे से दुनिया को आगाह किया है। सोशल नेटवर्क एक्स के संस्थापक एलन मस्क ने भी दुनिया को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के खतरे से सतर्क रहने की सलाह दे चुके हैं।
जलवायु परिवर्तन
वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन भी पृथ्वी पर जीवन के लिए खतरे की वजह बन सकता है। ईंधन जलाने और वनों की कटाई से जलवायु परिवर्तन होगा। जेम्स हेन्सन और माइकल ई. मान जैसे जलवायु शोधकर्ता इसे पृथ्वी के विनाश की एक महत्वपूर्ण वजह मानते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण वैश्विक तापमान बढ़ रहा है। इससे बर्फ पिघल रही है। समुद्र में जल स्तर बढ़ रहा है, मौसम में तेजी से बदलाव हो रहा है। अगर जलवायु परिवर्तन को रोका नहीं गया तो पृथ्वी रहने लायक नहीं रह जायेगी। पृथ्वी पर अन्न और जल की कमी हो जायेगी। तूफान, सूखा और गर्मी की लहरें जैसी घटनाएं बढ़ जाएंगी और पृथ्वी पर जीवन को नष्ट कर देंगी।
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