



निशा शुक्ला
नई दिल्ली। Railway Station Stampede: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में चल रहा महाकुंभ वैसे तो धर्म और आस्था का आयोजन है। इसकी दिव्यता और भव्यता की साक्षी पूरी दुनिया बन रही है, लेकिन ये महाकुंभ बहुत लोगों को जीवन भर दर्द देने वाला बन रहा है। कारण ये है कि इस महाकुंभ में आने वाले तमाम श्रद्धालु कई बड़े हादसों का शिकार हो रहे हैं जिसे वह कभी नहीं भूल सकते। जैसे कि शनिवार 16 फरवरी को रात करीब नौ बजे नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़। इस भगदड़ में 18 लोगों की मौत हो गई। वहीं कई लोग जख्मी हो गये हैं। मरने वालों में महिलाओ और बच्चों की संख्या अधिक है।
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नाकाफी थे इंतजाम
बताया जा रहा है कि स्टेशन पर महाकुंभ आने वाले श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जमा हो गई थी, इसके अलावा अन्य यात्री भी थे जो अपने गन्तव्य पर जाने के लिए स्टेशन पर मौजूद थे। बढ़ती भीड़ को देखकर भी रेलवे प्रशासन की तरफ से कोई खास इंतजाम नहीं किये गये। वहीं दो ट्रेनों के संचालन में हुई देरी की वजह से हालात बेकाबू हो गये और भगदड़ जैसी वीभत्स घटना घट गई। महज 10 मिनट की ये घटना प्रशासन की लापरवाही की पोल खोल रही है। इससे पहले महाकुंभ मेले में भी भगदड़ की घटना घट चुकी है। उस घटना में भी कई श्रद्धालुओं को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। वहीं सैकड़ों लोग घायल हो ये थे। ये दोनों ही घटनाएं प्रशासन की लापरवाही से हुईं या फिर इसके पीछे कोई राजनीतिक साजिश थी, ये जांच का विषय है। फिलहाल इन दोनों ही घटनाओं पर जमकर राजनीति हो रही है।
सवालों के घेरे में आया प्रशासन
दरअसल, प्रशासन ने शुरुआत में जिस तरह से भगदड़ को अफवाह बताते की कोशिश, उससे वह सवालों के घेरे में आ गया है। यहां ये भी सवाल उठ रहा है कि क्या सरकार तथ्यों को छिपा रही है? क्या मौत की संख्या को भी छिपाया जा रहा है? वहीं विपक्ष सत्ता पक्ष पर हमलावर हो गया है। उसका आरोप है कि सरकार मामले में लीपापोती कर रही है। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रीया श्रीनेत ने कहा है, इस घटना के बाद रेल मंत्री को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने कहा, शनिवार 15 फरवरी की रात नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मची और महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाने जा रहे श्रद्धालुओं की मौत हुई, वह बेहद दुखद है, लेकिन सरकार इस बात से बेफ़िक्र है। वह इस तरह की घटनाओं को रोकने में असफल साबित हो रही है। सरकार बस घटनाओं को छिपाने और उसमें मरने वालों की संख्या को छिपाने में व्यस्त रहती है, तभी तो भगदड़ के बाद ‘ऑपरेशन लीपापोती’ चलाया गया।” कांग्रेस ने कहा है, ‘रेल मंत्री को तत्काल इस्तीफा देना चाहिए और देश से माफी मांगनी चाहिए।’
सरकार पर लगा सच छिपाने का आरोप
वहीं, समाजवादी पार्टी ने सरकार को सच न छिपाने को कहा है। अखिलेश यादव ने कहा, ‘नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर महाकुंभ जाने वाले श्रद्धालुओं की दर्दनाक मौत हृदयविदारक है। सरकार में बैठे लोगों को एक नेता की तरह नहीं बल्कि उस परिवारवाले की तरह सोचना होगा, जिसने अपने मां-बाप, भाई-बहन, बच्चे और नाते-रिश्तेदार खोये हैं। सरकार को चाहिए कि वह मृतकों के शवों को ससम्मान उनके परिजनों तक पहुंचाने के इंतजाम करे और घायलों को सर्वश्रेष्ठ उपचार उपलब्ध कराए न कि मौतों को छिपाने और मामले पर लीपापोती करने की कोशिश करे।
दिल्ली में महाकुंभ के श्रद्धालुओं की दर्दनाक मौत हृदयविदारक है। सरकार में बैठे लोगों को राजनीतिज्ञ नहीं एक उस परिवारवाले की तरह सोचना होगा जिसने अपने माँ-बाप, भाई-बहन, बच्चे और नाते-रिश्तेदार खोये हैं। मृतकों के शवों को ससम्मान उनके परिजनों तक पहुँचाने का ईमानदार इंतज़ाम किया जाए… pic.twitter.com/cqSQo5SDlZ
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) February 16, 2025
राहुल गांधी ने जताई प्रतिक्रिया
इस घटना पर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी में भी अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है। उन्होंने कहा, ये घटना एक बार फिर से रेलवे की नाकामी और सरकार की असंवेदनशीलता को उजागर कर रही है। प्रयागराज जा रहे श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या को देखते हुए स्टेशन पर बेहतर इंतजाम किए जाने चाहिए थे। सरकार और प्रशासन को सुनिश्चित करना चाहिए कि बदइंतजामी और लापरवाही के कारण किसी को अपनी जान न गंवानी पड़े।
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मचने से कई लोगों की मृत्यु और कईयों के घायल होने की ख़बर अत्यंत दुखद और व्यथित करने वाली है।
शोकाकुल परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की आशा करता हूं।
यह घटना एक बार फिर रेलवे की नाकामी और सरकार…
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) February 16, 2025
हादसा नरसंहार हैं: सुप्रिया श्रीनेत
घटना के बाद कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि बीती रात नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर जो हुआ, वो हादसा नहीं बल्कि ‘नरसंहार’ है। उन्होंने आरोप लगाया, ‘इस दर्दनाक घटना के बाद रेल मंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए, लेकिन वह तो पूरी बेशर्मी पर उतर आए हैं और लीपा-पोती में करने में जुट गये हैं। वे सब कुछ कंट्रोल में है का नैरेटिव फैला रहे हैं और मौत के आंकड़ें छिपा रहे हैं। इसके लिए रिपोर्टर के फ़ोन ज़ब्त किए जाने लगे, फ़ुटेज डिलीट करने तक को कहा जाने लगा।
मोदी सरकार में ‘दो हिंदुस्तान’ हैं
• एक तरफ-
राजा कुंभ में अपने खास दोस्तों को VVIP डुबकी लगवाता हैदूसरी तरफ-
वही राजा आम लोगों को भीड़ में कुचलकर मर जाने को मजबूर कर देता है• एक तरफ-
राजा अपने दोस्तों को हेलीकॉप्टर से प्रयागराज की सैर करवाता हैदूसरी तरफ-
वही राजा आम… pic.twitter.com/Ddqw8nUICI— Supriya Shrinate (@SupriyaShrinate) February 16, 2025
18 people – including 5 children are dead
You are no more than a barbaric vulture https://t.co/m4eU6j4Dub
— Supriya Shrinate (@SupriyaShrinate) February 16, 2025
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रेल मंत्रालय ने की थी सेफ्टी रिव्यू मीटिंग
श्रीनेत ने ये भी कहा, कल के हादसे के कुछ घंटे पहले ही रेल मंत्रालय की सेफ्टी रिव्यू मीटिंग की थी। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा, रेलवे की उस मीटिंग का क्या निष्कर्ष निकला? क्या सेफ्टी रिव्यू मीटिंग सिर्फ चाय-समोसा खिलाने के लिए बुलाई गई थी? सुप्रिया ने कहा, ‘कल यानी शनिवार को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हर घंटे 1,500 जनरल टिकट कटे। ऐसे में रेलवे को अंदाजा हो गया था कि, वहां कितने श्रद्धालु जमा होने वाले हैं। तो क्या रेल प्रशासन को सतर्क नहीं हो जाना चाहिए था।
कांग्रेस ने उठाए ये सवाल
भीड़ को संभाले के लिए क्या इंतजाम किए गए?
स्टेशन पर कितनी संख्या में पुलिसकर्मियों और आरपीएफ़ को तैनात किया गया?
क्या डिजास्टर मैनेजमेंट या दिल्ली पुलिसकर्मियों को बुलाया गया?
क्या वहां भीड़ को कंट्रोल करने के अनाउंसमेंट किए जा रहे थे?
होने चाहिए थे सुरक्षा के व्यापक इंतजाम
बता दें कि, इस समय यूपी के प्रयागराज में धर्म का सबसे बड़ा कार्यक्रम महाकुंभ चल रहा है। इस धार्मिक आयोजन में देश के कोने-कोने से लोग पहुंच रहे हैं। ऐसे में सरकार को हर जगह पर बेहतर से बेहतर इंतजाम करने चाहिए। सरकार को समझना चाहिए कि श्रद्धालु सिर्फ महाकुंभ में ही नहीं बल्कि हर रेलवे और बस स्टेशन पर होंगे। ऐसे में उसे हर जगह पर सुरक्षा व्य्वस्था के व्यापक इंतजाम करने चाहिए।
मौत के आंकड़े छिपाने का लगा आरोप
शनिवार रात में जब नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मची थी, तो शुरुआत में इसे अफवाह करार दिया गया। पहले कहा गया कि, मामूली घटना घटी है और कुछ लोगों को हल्की-फुल्की चोटें आई हैं। शुरुआत में सिर्फ़ 6 लोगों के घायल होने की बात सामने आई थी। बाद में जब मीडिया में भगदड़ मचने और कई लोगों के मरने की खबरें आने लगी तो प्रशासन ने भगदड़ की बात स्वीकारी। खबर है कि 18 लोगों की जान गई जिसमें नौ महिलाएं, पांच बच्चे और चार पुरुष शामिल हैं। इसी बीच आरोप लगाया जाने लगा कि मौत के आंकड़े छिपाए जा रहे हैं और मीडिया को कवरेज करने से भी रोका जा रहा है। ये घटना रात करीब 10 बजे प्लेटफार्म 13 और 14 पर उस वक्त हुई, जब हजारों श्रद्धालु महाकुंभ में जाने के लिए ट्रेनों में चढ़ने के लिए स्टेशन पर इकट्ठा हुए थे।
आरोप-प्रत्यारोप की बजाय मदद के लिए बढ़ाना चाहिए हाथ
दो ट्रेनों के लेट होने और प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर यात्रियों की भारी भीड़ के बीच एक विशेष ट्रेन चलाने का ऐलान। ये तीनों ही घटना की वजह मानी जा रही हैं। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, ये हृदयविदारक घटना रात 9.30 बजे से 10.15 बजे के बीच प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर हुई। इस दौरान कई लोग फुट ओवरब्रिज, सीढ़ियों और एस्केलेटर पर फंस गए थे। रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि दिल्ली फायर सर्विस को भगदड़ की पहली कॉल रात 9.55 बजे प्राप्त हुई थी। चाहे इस भगदड़ की घटना हो या बीते दिनों महाकुंभ में हुई भगदड़ की घटना, दोनों को जिस तरह राजनीतिक दिया गया या दिया जा रहा है, उससे साफ़ पता चल रहा है कि घटना में जान गंवाने वाले या घायल हुए लोगों से और न ही उनके परिजनों से किसी को कोई मतलब है। सभी पार्टियां सिर्फ अपनी-अपनी राजनीति करोटियां सेंक रही हैं। अगर किसी को सच में पीड़ितों की परवाह होती तो वह उससे मिलकर मद्द के लिए हाथ बढ़ाते न कि एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते।
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