



नई दिल्ली। Delhi High Court Judge: सुप्रीम कोर्ट की कोलेजियम की सिफारिश पर दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा का ट्रांसफर उनके मूल हाई कोर्ट इलाहाबाद कर दिया गया है। ये सिफारिश चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाले तीन जजों की कोलेजियम ने की। दरअसल, हाल ही में जज यशवंत वर्मा के सरकारी बंगले में आग लग गई थी और वहां भरी भरकम खजाना मिला था। इस खजाने के सामने आते ही न्यायपालिका में हड़कंप मच गया। हालांकि कुछ जजों की मांग है कि मामले की जांच की जाये और यशवंत वर्मा का इस्तीफा लिया जाये।
इसे भी पढ़ें- JNU Is Being Destroyed? जेएनयू के प्रोफेसर्स को अपने ही हक के लिए क्यों बार-बार जाना पड़ता है कोर्ट?
जजों ने मांगा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा इस्तीफा
जजों का कहना है कि अगर न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा इस्तीफा देने से इनकार करते हैं, तो चीफ जस्टिस उनके खिलाफ 1999 की प्रक्रिया के तहत जांच शुरू कराएं। इस प्रक्रिया में किसी भी जज के खिलाफ शिकायत मिलने पर जांच की जाती है। बताया जा रहा है कि, जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में जब आग लगी थी, तब वह शहर में नहीं थे। आग लगने की जानकारी उनके परिवार वालों ने फायर ब्रिगेड और पुलिस को दी थी।
घर में मिला भारी मात्रा में कैश
आग बुझाने के बाद जब पुलिस और फायर ब्रिगेड कर्मी घर के अंदर दाखिल हुए, तो उन्हें एक कमरे में भारी मात्रा में नकदी मिली, जिसे देखकर वे चौंक गये। इसके बाद पुलिसकर्मियों ने तत्काल इसकी जानकारी उच्चाधिकारियों को दी। CJI ने मामले को गंभीरता से लिया और तत्काल कॉलेजियम की मीटिंग बुलाई, जिसमें जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर करने का निर्णय लिया गया। इसके बाद उनका ट्रांसफर उनके मूल कोर्ट इलाहाबाद हाईकोर्ट में कर गया। बता दें कि, जस्टिस वर्मा अक्टूबर 2021 में इलाहाबाद हाईकोर्ट से ट्रांसफर होकर दिल्ली हाईकोर्ट आए थे।
न्यायपालिका पर से उठ जाएगा भरोसा
इस मामले को लेकर कुछ जजों का कहना है कि, पूरी घटना की इन हाउस जांच होनी चाहिए। सिर्फ ट्रांसफर कर देने न्यायपालिका की छवि खराब होगी। जजों का कहना है कि, जस्टिस वर्मा से इस्तीफा लिया जाना चाहिए। अगर ऐसा नहीं किया जाता है, तो लोगों का न्यायपालिका से भरोसा उठ जाएगा।
क्या है इन-हाउस प्रक्रिया
यशवंत वर्मा मामले में कई जज सुप्रीम कोर्ट की 1999 में बनाई गई इन-हाउस प्रक्रिया के तहत जांच करने की मांग कर रहे हैं। इस प्रक्रिया के तहत संवैधानिक न्यायालय के जजों के खिलाफ भ्रष्टाचार, गलत काम या अनुचित व्यवहार के आरोपों की जांच की जाती है। इसके तहत CJI को शिकायत मिलने पर, वह जज से स्पष्टीकरण मांगते हैं, लेकिन यदि CJI जज के जवाब से संतुष्ट नहीं होते हैं या उन्हें लगता है कि मामले की जांच की जानी चाहिए, तो वह इन-हाउस जांच पैनल गठित कर सकते हैं, जिसमें एक सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश और दो हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शामिल होते हैं। पैनल की जांच के नतीजे के आधार पर इस्तीफा लिया जाता है या महाभियोग की कार्रवाई की जाती है।
इसे भी पढ़ें- Congress MP Arrested: दुष्कर्म के आरोप में कांग्रेस सांसद अरेस्ट, कोर्ट से ख़ारिज हो चुकी है अग्रिम जमानत याचिका