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Attack On Hindu Temple: वोट बैंक या कुछ और, क्यों खालिस्तानी आतंकियों को पाल रहे हैं पीएम ट्रूडो?

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Canadian Prime Minister Justin Trudeau

कनाडा। ब्रैम्पटन में हिंदू सभा मंदिर पर हमले (Attack On Hindu Temple) ने एक बार फिर कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के खालिस्तानी प्रेम को उजागर कर दिया है। खालिस्तानी कट्टरपंथियों के विरोध प्रदर्शन के बारे में पहले से जानकारी होने के बावजूद ट्रूडो सरकार ने सुरक्षा व्यवस्था में लापरवाही बरती। हालांकि घटना के बाद हर तरफ से विरोध और फजीहत का सामना करने के बाद हरकत में आई कनाडाई सरकार ने कार्रवाई की और हमले के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया। वहीं हमले में शामिल एक पुलिस अधिकारी को सस्पेंड कर दिया गया है, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर खालिस्तानियों को शह कहां से मिल रही है।

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सामने आया ट्रूडो का दोहरा चेहरा

Attack on Hindu Temple

इस हमले के बाद कनाडाई सांसद चंद्र आर्य ने इसकी आलोचना की और कहा कि यह हमला दिखाता है कि कनाडा में खालिस्तानी उग्रवाद हिंसक हो गया है। खालिस्तानी चरमपंथियों ने लाल रेखा पार कर ली है। वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री ट्रूडो का दोहरा चेहरा नजर आ रहा है, जिन्होंने मामला गरमाने के बाद घटना की निंदा तो की, लेकिन इस कृत्य को अंजाम देने वालों के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा। इससे साफ है कि खालिस्तानी कट्टरपंथी उनके बेहद करीब हैं। सांसद ने कहा, कुल मिलाकर हम यह कह सकते हैं कि ट्रूडो ने अपने देश में जिस आतंक को शह दी है वह अब उनके लिए भस्मासुर बनता जा रहा है।

आतंकियों को कनाडा में दी जा रही शरण

एक रिपोर्ट में मुताबिक, कनाडा सरकार ने इस साल अगस्त तक अपने देश में 217 खालिस्तानी आतंकियों को शरण दी। इन आतंकियों ने कनाडा सरकार से कहा था कि उन्हें भारत में खतरा है क्योंकि वहां उनके खिलाफ आतंकवाद से जुड़े मामले दर्ज किये जा रहे हैं। इससे ये साफ़ है कि कनाडाई प्रधान मंत्री ट्रूडो ने जानबूझकर उन्हें अपने देश में शरण दी। रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले चार वर्षों से यहां खालिस्तानी चरमपंथियों को शरण दी जा रही है। रिपोर्ट में एक दस्तावेज़ का हवाला देते हुए बताया गया है कि पिछले चार वर्षों में कनाडा सरकार ने खालिस्तान आतंकवादियों के अलावा भारत में आतंक फ़ैलाने वाले और  618 लोगों को शरण दी है।

कनाडा में सरकारी नौकरी भी कर रहे खालिस्तानी आतंकी

इसके अलावा, प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन बब्बर खालसा के कई आतंकी भी कनाडा में एक्टिव हैं और वे वहीं से टेरर फंडिंग भी करते हैं। इन्हीं में से एक नाम है  पर्वकर सिंह दुलाई का। पिछले साल, भारत सरकार ने कनाडा के साथ 21 लोगों की एक सूची साझा की थी, जो कनाडा में बैठकर खालिस्तान के नाम पर टेरर फंडिंग कर रहे हैं। इस सूची में पर्वकर सिंह दुलाई का नाम भी था लेकिन कनाडा सरकार ने उनके खिलाफ कोई भी एक्शन नहीं लिया। कनाडा ने दुलाई को अपनी नो-फ्लाई सूची में डाल रखा है। कनाडा सरकार ने खुद दावा किया था कि ये शख्स विमान में आतंकी घटना को अंजाम दे सकता है। इसके बावजूद, दुलाई केवल पूरे कनाडा में खुलेआम घूमते हैं, बल्कि कनाडा की सत्ताधारी पार्टी के नेताओं के साथ बैठकों में भी शामिल होता है। और उनके बीच रहते हैं। कनाडा में कई खालिस्तानी  आतंकी सरकारी नौकरी भी कर रहे हैं। दरअसल, ट्रूडो को खालिस्तानी प्रेम होने की मुख्य वजह वोट बैंक है।

इकोसिस्टम तैयार करते हैं खालिस्तानी 

सरकारी संरक्षण में खालिस्तानी कनाडा में वोट बैंक और राजनीतिक चंदे का एक पूरा इकोसिस्टम तैयार करते हैं। इसके अलावा कनाडा में रहकर खालिस्तानी आंदोलन को बढ़ावा देने वालों में जगमीत सिंह का नाम भी शामिल है। रिपोर्ट के मुताबिक जगमीत के ही समर्थन से ट्रूडो सरकार  चल रही है।  338 सीटों वाले कॉमन सदन में ट्रूदो के पास मात्र 153 सीटें हैं। ऐसे में ट्रूडो को जगमीत सिंह की पार्टी एनडीपी ने बाहर से समर्थन प्राप्त है। एनडीपी के पास 25 सीटें हैं। अगर एनडीपी अपने समर्थन वापस ले लेती है तो ट्रूडो सरकार अल्पमत में आ जाएगी। यही वजह है कि प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो खालिस्तान को खुला समर्थन करते हैं।

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