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Omar Reaction To Jaishankar Ttatement: …तो वापस ले लो न पीओके…किसने रोका है… चीन वाले हिस्से को भी लो

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 जम्मू कश्मीर। Omar Reaction To Jaishankar Ttatement:  हाल ही में लन्दन के चैथम हाउस में भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर के कश्मीर मुद्दे पर दिए गये बयान पर अब जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है। उन्होंने कहा, पीओके को वापस लेने से कौन रोक रहा है, ले लो…। दरअसल, विदेश मंत्री ने एक पत्रकार के सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि, कश्मीर की समस्या तभी हल होगी, जब चुराया गया कश्मीर का आधा हिस्सा वापस भारत को मिलेगा।

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विदेश मंत्री के बयान पर दी प्रतिक्रिया

Omar Reaction To Jaishankar Ttatement:

जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री ने ये प्रतिक्रिया विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण के बाद धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के दौरान जाहिर की। साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए। उमर ने केंद्र सरकार से सवालिया लहजे में कहा, कश्मीर का एक हिस्सा पाकिस्तान के पास और एक हिस्सा चीन के पास भी है। हमने कभी कहा की मत लाओ, अगर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को वापस ला सकते हो… तो जरूर लाइए। अब्दुल्ला ने करगिल युद्ध का ज़िक्र करते हुए कहा, उस समय पीओके को वापस लिया जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। कटाक्ष करते हुए मुख्यमंत्री ने आगे कहा, उस समय नहीं किया जा सका, ठीक है, लेकिन अगर आप आज इसे वापस ले सकते हैं, तो हम में से कौन ऐसा है जो कहेगा कि मत लाओ?’

चीन के हिस्से वाले कश्मीर को भी वापस लें

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इस दौरान उन्होंने केंद्र से कहा, ‘जब आप पीओके वापस लें, तब कृपया हम पर एक एहसान करें, आप चीन के हिस्से वाले कश्मीर को भी वापस ले आएं।’ उन्होंने सवाल उठाया कि, पीओके पर तो खूब चर्चा होती है, लेकिन चीन के कब्जे वाले हिस्से का जिक्र कोई क्यों नहीं करता है। बता दें कि उमर अब्दुल्ला का ये बयान भारत-चीन सीमा विवाद और अक्साई चिन के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण सवाल उठाता है, जिसे अक्सर कश्मीर मुद्दे से अलग रखा जाता है।

सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी न करे केंद्र

बता दें कि, पीओके को वापस लेने की बात भारतीय रजनीति में जब तब उठती रहती है, लेकिन इसे वापस लेना आसान नहीं है। ऐसे में उमर अब्दुल्ला का यह बयान केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा करने वाला है। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि, केंद्र सरकार सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी तक सीमित रहे, बल्कि वह इसे अमल में भी लाए और पीओके को वापस भारत में शामिल करें। मुख्यमंत्री ने चीन के कब्जे वाले हिस्से का मुद्दा उठाकर कश्मीर के पूरे परिप्रेक्ष्य को चर्चा में लाने की कोशिश की है। ऐसे में अब ये देखना दिलचस्प होगा कि केंद्र इस चुनौती का कैसे जवाब देती है और यह मुद्दा भारत-पाकिस्तान के बीच कैसा तनाव पैदा करता है।

370 हटने के बाद भी नहीं बदले हालात 

इस दौरान, उमर अब्दुल्ला ने बीजेपी पर जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष राज्य के दर्जे ख़त्म करने और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा, केंद्र सरकार भले ही ये दावा करती है कि 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर में हालात बेहतर हुए हैं, लेकिन सच ये है कि यहां आज भी आतंकवाद, आस्थिरता और भ्रष्टाचार बरकरार है। उन्होंने कहा,  370 खत्म करने क्या हासिल हुआ है…कुछ भी नहीं… यहां के रियासी, पुंछ और जम्मू जैसे इलाकों में आतंकी हमले बढ़ गये हैं… जो 2019 से पहले आतंकवाद से मुक्त थे। अब्दुल्ला ने बीजेपी पर जम्मू कश्मीर के अंतिम डोगरा शासक महाराजा हरि सिंह की विरासत को नष्ट करने का आरोप लगाया और कहा, ‘आपने उनके राज्य को दो हिस्सों में बांट दिया और उन कानूनों को भी समाप्त कर दिया जो स्थानीय लोगों को जमीन और रोजगार की सुरक्षा देते थे।

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मालूम हो कि, विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने लंदन में एक बातचीत एक दौरान कहा था कि कश्मीर का मुद्दा तब तक हल नहीं होगा, जब तक पीओके भारत को वापस नहीं मिलता। विदेश मंत्री का ये बयान भारत की उस लंबे समय से चली आ रही स्थिति को दोहराता है, जिसमें पीओके को भारत का अभिन्न अंग बताया जाता है।

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