



नई दिल्ली। Boycott Pakistan: पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता के बाद भारत में पाकिस्तान के खिलाफ गुस्सा और आक्रोश तेजी से बढ़ता जा रहा है। अब इस विरोध ने आर्थिक मोर्चे पर भी रूप लेना शुरू कर दिया है। देशभर में ‘बायकॉट पाकिस्तान’ अभियान को नया बल मिला है, और सरकार ने भी सख्ती दिखाते हुए ठोस कदम उठाए हैं।
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अमेजन और फ्लिपकार्ट को जारी किया नोटिस
सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (CCPA) ने ई-कॉमर्स कंपनियों जैसे अमेजन और फ्लिपकार्ट को नोटिस जारी कर साफ कहा है कि, वे अपने प्लेटफॉर्म्स से पाकिस्तान के झंडे और वहां के उत्पादों को तत्काल हटा लें। सीसीपीए का मानना है कि, इस प्रकार के उत्पादों की बिक्री उपभोक्ता संरक्षण कानूनों का उल्लंघन है।
केंद्रीय मंत्री ने सोशल मीडिया पर पोस्ट की जानकारी
उपभोक्ता मामलों के केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट कर यह जानकारी साझा की और ई-कॉमर्स कंपनियों को चेतावनी दी कि इस तरह की असंवेदनशील चीजें अब बर्दाश्त नहीं की जाएंगी।
The CCPA has issued notices to @amazonIN, @Flipkart, @UbuyIndia, @Etsy, The Flag Company and The Flag Corporation over the sale of Pakistani flags and related merchandise. Such insensitivity will not be tolerated.
E-commerce platforms are hereby directed to immediately remove all… pic.twitter.com/03Q4FOxwCX— Pralhad Joshi (@JoshiPralhad) May 14, 2025
तुर्किए और अजरबैजान पर भी असर
केवल पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि उसके समर्थक देशों जैसे तुर्किए और अजरबैजान के खिलाफ भी देश में बहिष्कार की मुहिम तेज हो रही है। लोग न केवल तुर्किए के उत्पादों का बायकॉट कर रहे हैं, बल्कि वहां की यात्रा से भी परहेज करने लगे हैं।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के महासचिव और सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने कहा, भारतीय पर्यटकों द्वारा तुर्किए और अजरबैजान की यात्रा में गिरावट से इन देशों के टूरिज्म सेक्टर पर गहरा असर पड़ सकता है। आंकड़ों के अनुसार, 2024 में 3.3 लाख से ज्यादा भारतीयों ने तुर्किए की यात्रा की थी, जो अब गिरावट की ओर है।
अभियान का उद्देश्य
इस अभियान का उद्देश्य न केवल पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय मंच पर घेरना है, बल्कि उसे आर्थिक रूप से भी कमजोर करना है। सरकार और आम जनता की यह साझा कोशिश दिखाती है कि भारत अब कड़े रुख के साथ अपनी सीमाओं की सुरक्षा और संप्रभुता के साथ कोई समझौता नहीं करेगा।
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