कल 19 सितंबर से अश्विन मास की शुरुआत हो रही है। ये महीना मां दुर्गा की उपासना के लिए बेहद खास माना जाता है। इसी महीने में शारदीय नवरात्रि (Navratri) भी पड़ते हैं। पितरों के लिए भी बेहद ख़ास माना जाना वाला पितृपक्ष भी इसी महीने में पड़ता है। दरअसल इस माह की पूर्णिमा के दिन अश्विनी नक्षत्र होता है। यही कारण है कि इसे अश्विन महीना कहते हैं। अश्विन माह में इंदिरा एकादशी, जीतिया व्रत, नवरात्रि (Navratri) और दशहरा जैसे कई महत्वपूर्ण त्यौहार पड़ते हैं। अश्विन माह 19 सितंबर से 17 अक्टूबर तक रहेगा। आइये जानते हैं इस महीने में कौन-कौन से व्रत और त्यौहार पड़ेंगे।
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25 सितंबर को है जीवित्पुत्रिका व्रत
19 सितंबर दिन गुरुवार से अश्विन माह की शुरुआत होगी। 21 सितंबर दिन शनिवार को संकष्टी चतुर्थी और 25 सितंबर दिन बुधवार को जीवित्पुत्रिका व्रत है। ये व्रत माताएं अपनी संतान की सुरक्षा, खुशहाली और उनकी लम्बी आयु के लिए रखती हैं। संतान प्राप्ति के लिए भी महिलाएं इस व्रत को करती हैं। 26 सितंबर 2023 (गुरुवार) को गुरु पुष्य योग है। मान्यता है कि इस दिन सोना-चांदी, वाहन, घर आदि खरीदना बेहद शुभ होता है, लेकिन इस बार गुरु पुष्य योग पितृ पक्ष के दौरान पड़ रहा है और पितृ पक्ष में शुभ चीजों की खरीदारी नहीं की जाती है। 28 सितंबर दिन शनिवार को इंदिरा एकादशी पड़ रही है। इस दिन व्रत रखने से 7 पीढ़ियों के पितरों की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। 29 सितंबर दिन रविवार को प्रदोष व्रत (कृष्ण) और 30 सितंबर दिन सोमवार को मासिक शिवरात्रि है।
9 अक्टूबर से शुरू होगी दुर्गा पूजा
वहीं 2 अक्टूबर 2024 बुधवार को अश्विन अमावस्या, सर्व पितृ अमावस्या और सूर्य ग्रहण है। ज्योतिष कहते हैं कि इस दिन जिन लोगों की मृत्यु तिथि याद न हो उनका श्राद्ध कर्म किया जाता है। मान्यता है कि इससे सद्गति प्राप्त होती है। इसी दिन साल का दूसरा सूर्य ग्रहण भी लग रहा है। पितृपक्ष खत्म होते ही 3 अक्टूबर 2024 गुरुवार से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। इसी दिन घटस्थापना होगी। शारदीय नवरात्रि को सभी नवरात्रियों में खास माना गया है। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा आराधना की जाती है। 9 अक्टूबर 2024 बुधवार से दुर्गा पूजा का शुभारभ होगा।
पारण 12 अक्टूबर को
बता दें कि दुर्गा पूजा बंगाली कम्यूनिटी का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है, जो नवरात्रि के षष्ठी तिथि से दशहरा तक चलता है। मान्यता है कि इसमें दुर्गा, लक्ष्मी जी और मां सरस्वती अपने मायके आती हैं। इस खुशी में धूमधाम से ये पर्व मनाते हैं। 10 अक्टूबर दिन गुरुवार को नवपत्रिका पूजा, 11 अक्टूबर दिन शुक्रवार को दुर्गा महा नवमी पूजा, दुर्गा महा अष्टमी पूजा और 12 अक्टूबर दिन शनिवार को दशहरा, शारदीय नवरात्रि पारणा। 13 अक्टूबर दिन रविवार को दुर्गा विसर्जन,14 अक्टूबर दिन सोमवार को पापांकुशा एकादशी, 15 अक्टूबर दिन मंगलवार को प्रदोष व्रत (शुक्ल) और 17 अक्टूबर दिन गुरुवार को शरद पूर्णिमा व्रत, तुला संक्रांति है।
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