



अमेरिका। Hands Off Movement: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके करीबी सलाहकार, अरबपति उद्यमी एलन मस्क के खिलाफ शनिवार को अमेरिका में हजारों लोग सड़कों पर उतरे। “हैंड्स ऑफ!” नामक इस आंदोलन में देश भर में 1,200 से अधिक रैलियां आयोजित की गईं। विरोध प्रदर्शन सभी 50 राज्यों में हुए। विरोध प्रदर्शनों में नागरिक अधिकार कार्यकर्ता, श्रमिक संघ, LGBTQ+ समूह, सैन्य दिग्गज और अन्य संगठन शामिल थे, जिन्होंने ट्रंप प्रशासन की नीतियों, खासकर सरकारी कटौतियों, सार्वजनिक सेवाओं में कमी और विवादास्पद सामाजिक नीतियों के खिलाफ आवाज उठाई।
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ट्रंप की नीतियों पर जताई नाराजगी
प्रदर्शनकारी ट्रंप प्रशासन और मस्क के नेतृत्व में नवगठित “सरकारी दक्षता विभाग” (DOGE) द्वारा लागू की जा रही नीतियों से नाराज़ हैं। टेस्ला, स्पेसएक्स और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के मालिक मस्क इस विभाग के प्रमुख के तौर पर बड़े पैमाने पर सरकारी खर्च में कटौती कर रहे हैं। उनके मुताबिक इन कटौतियों से करदाताओं के अरबों डॉलर बच रहे हैं।
HAPPENING NOW: A MASSIVE protest is taking place in downtown Chicago for the “Hands Off!” movement against Elon Musk and Donald Trump pic.twitter.com/NVEiTFi8Iy
— Marco Foster (@MarcoFoster_) April 5, 2025
पूरे अमेरिका में फैला आन्दोलन
हालांकि, प्रदर्शनकारियों का मानना है कि, ये कदम ज़रूरी सेवाओं को नष्ट कर रहे हैं। ख़ास तौर पर, सामाजिक सुरक्षा कार्यालयों को बंद करना, संघीय कर्मचारियों की बड़े पैमाने पर छंटनी, स्वास्थ्य सेवा और एचआईवी फंडिंग में कटौती जैसे मुद्दों ने लोगों के गुस्से को भड़काया। इसके अलावा LGBTQ+ समुदाय के लिए सुरक्षा में कटौती को भी प्रदर्शनकारियों ने बड़ा मुद्दा बनाया। यह आंदोलन पूरे अमेरिका में फैल चुका है।
तख्तियों के साथ किया मार्च
वाशिंगटन डीसी के नेशनल मॉल, विभिन्न राज्यों की राजधानियों और न्यूयॉर्क से लेकर लॉस एंजिल्स तक के शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए। वाशिंगटन डीसी में भीड़ को संबोधित करते हुए कार्यकर्ता ग्रेलेन हैगलर ने कहा, “उन्होंने एक सोए हुए दिग्गज को जगा दिया है और यह तो बस शुरुआत है।” न्यूयॉर्क में, प्रदर्शनकारियों को मैनहट्टन की सड़कों पर “हमारे लोकतंत्र से हाथ हटाओ” और “विविधता, समानता, समावेश अमेरिका को मजबूत बनाते हैं” जैसे नारे लिखे हुए तख्तियों के साथ मार्च करते देखा गया।
मस्क बोले- दवाब बनाने की नीति
प्रदर्शनकारियों ने एलन मस्क पर एक अनिर्वाचित व्यक्ति के रूप में सरकार पर अनुचित प्रभाव डालने का आरोप लगाया। उनकी नीतियों को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया गया। मस्क का दावा है कि, वे सरकारी नौकरशाही को कम करके देश को मजबूत कर रहे हैं, लेकिन आलोचकों का कहना है कि, यह कदम लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर कर रहा है। दूसरी ओर, ट्रंप पर आरोप है कि, वे मस्क के साथ मिलकर संघीय सरकार को अपनी मर्जी के मुताबिक ढाल रहे हैं, जिससे आम लोगों का जीवन प्रभावित हो रहा है।
इसलिए हो रहा विरोध
संघीय छंटनी रोकें
हज़ारों सरकारी कर्मचारियों की नौकरी जाने से लोग नाराज़ हैं।
सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की बहाली
बंद सामाजिक सुरक्षा कार्यालयों को फिर से खोलने और स्वास्थ्य निधि में कटौती को वापस लेने की मांग।
LGBTQ+ अधिकारों की रक्षा
समुदाय के लिए सुरक्षा को कम करने वाली नीतियों को निरस्त करना।
लोकतंत्र की रक्षा
सरकार के पुनर्गठन को रोकना, जिसे प्रदर्शनकारी “लोकतांत्रिक संस्थाओं को नष्ट करने” का प्रयास मानते हैं।
आंदोलन को 150 से ज्यादा संगठनों का समर्थन
इस आंदोलन को 150 से ज़्यादा संगठनों का समर्थन प्राप्त है, जिसमें मूवऑन, इंडिविज़िबल, मज़दूर संघ, LGBTQ+ वकालत समूह और नागरिक अधिकार संगठन शामिल हैं। वाशिंगटन में मानवाधिकार अभियान के प्रमुख केली रॉबिन्सन ने कहा, “वे हमारी किताबों पर प्रतिबंध लगाने, एचआईवी रोकथाम निधि में कटौती करने, हमारे डॉक्टरों, शिक्षकों, परिवारों और जीवन को अपराधी बनाने की कोशिश कर रहे हैं।” यह बयान प्रदर्शनकारियों के गुस्से और उनकी मांगों की गंभीरता को दर्शाता है।
पेरिस में “रेसिस्ट टायरेंट” के नारे लगे
इन मुद्दों पर अमेरिका के साथ-साथ यूरोप में भी प्रदर्शन हुए। जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन और पुर्तगाल जैसे देशों में लोगों ने ट्रंप और मस्क की नीतियों के खिलाफ जोरदा आवाज उठाई। पेरिस में “रेसिस्ट टायरेंट” और “सेव डेमोक्रेसी” जैसे नारे लगाए गये। वहीं, लंदन में प्रदर्शनकारियों ने “हैंड्स ऑफ कनाडा” और “हैंड्स ऑफ यूक्रेन” जैसे नारे लगाये और अपना विरोध जताया।
आगे और तेज होगा आन्दोलन
“हैंड्स ऑफ!” आंदोलन ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में सबसे बड़ा संगठित विरोध बन गया है। यह न केवल अमेरिकी सरकार की नीतियों के खिलाफ़ जन आक्रोश को दर्शाता है, बल्कि एलन मस्क जैसे प्रभावशाली उद्यमियों के राजनीतिक प्रभाव पर भी सवाल उठाता है। प्रदर्शनकारियों का मानना है कि, यह आंदोलन अभी अपने शुरुआती दौर में है और आने वाले दिनों में यह और तेज़ हो सकता है।
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