मणिपुर। मणिपुर (Manipur) के जिरीबाम जिले में सोमवार को सीआरपीएफ जवानों के साथ मुठभेड़ में कई उग्रवादी मार गिराए गये हैं। यह मुठभेड़ उस वक्त शुरू हुई जब कुकी उग्रवादियों ने सीआरपीएफ कैंप पर हमला कर दिया। हालांकि इस एनकाउंटर में एक जवान के भी घायल होने की खबर है, जिसे तत्काल हेलीकाप्टर से अस्पताल पहुंचाया गया।
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तीन दिन से लगातार हो रहे हमले
जानकारी के मुताबिक, मणिपुर के पूर्वी इंफाल जिले में सोमवार सुबह एक किसान उस समय घायल हो गया जब उग्रवादियों ने आसपास की पहाड़ियों से गोलीबारी की। यह हमला इंफाल घाटी में काम कर रहे किसानों पर कुकी उग्रवादियों के लगातार तीसरे दिन हमले करने की घटना का हिस्सा है। हमले की खबर मिलते ही सुरक्षा बल मौके पर पहुंचे आर जवाबी कार्रवाई की। इसी दौरान सुरक्षाबलों और उग्रवादियों के बीच एक छोटी मुठभेड़ हुई। वहीं घायल किसान को इलाज के लिए पीएचसी यांगून पोकेपी ले जाया गया, जहां उसकी हालत स्थिर बनी हुई है।
खेती का काम कर रही महिला की हत्या
इससे पहले शनिवार 9 नवंबर को अपने खेत में काम कर रही एक 34 वर्षीय महिला किसान की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। यह हमला चुराचांदपुर जिले के पहाड़ी इलाके में हुआ था। इस हमले के बाद से क्षेत्र में तनाव और बढ़ गया है। इसके बाद रविवार को भी संनसबी, साबुंखोक खुन्नौ और थम्नापोकपी क्षेत्रों में भी इसी तरह के हमले किये गये।
लंबा रहा है यहां जातीय संघर्ष का इतिहास
गौरतलब है कि मणिपुर में लगभग एक साल से अधिक समय से जातीय संघर्ष चल रहा है। इस संघर्ष में अब तक दो सौ से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। वहीं हजारों लोग अपना घर छोड़कर भागने को मजबूर हुए हैं। यह हिंसा इंफाल घाटी में रहने वाले मैतेई समुदाय और आसपास के पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी समुदाय के बीच चल रही है। मणिपुर में हिंसा का इतिहास जातीय और राजनीतिक संघर्षों से जुड़ा हुआ है। राज्य में कुकी, नागा और मैतेई समुदायों के बीच लंबे समय से तनाव बना हुआ है।
कई चरमपंथी गुट उभरे हैं
मणिपुर का मुद्दा स्वतंत्रता, पहचान और स्वशासन के अधिकार से भी जुड़ा है। 1990 के दशक से, जातीय पहचान की रक्षा करने और राज्य से अलगाव की मांग करने के उद्देश्य से मणिपुर में कई चरमपंथी संगठन उभरे हैं। परिणामस्वरूप, हिंसा, गोलीबारी और सैन्य कार्रवाइयां अक्सर होती रहती हैं, जिससे देश के सामाजिक और राजनीतिक माहौल में अस्थिरता पैदा होती है।
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