दुनिया के हर देश और हर समुदाय में मनुष्य के मरने (Death) के बाद उसका अंतिम संस्कार किया जाता है। इसके लिए उनके अपने रीती रिवाज होते हैं। वहीं कुछ ऐसे भी स्थान हैं जहां अंतिम संस्कार की प्रक्रिया अजोबोग़रीब है। आज हम आपको एक ऐसे ही जगह और समुदाय के बारे में बताएंगे जहां मरने के बाद वहां के लोग उसके शव को काटकर सड़ाकर खाते हैं।
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आठ सौ साल पुरानी है प्रथा
आमतौर पर जब कोई व्यक्ति मरता है तो उसके परिजन पूरे विधि विधान और रीति रिवाज से उसका अंतिम संस्कार करते हैं ताकि उसकी आत्मा को शांति मिल सके। लेकिन इंडो यूरोपीय इलाकों के कुछ ऐसी जगह हैं जहां लोग मरने के बाद शवों को काटकर खा जाते हैं। उनकी ये प्रथा आठ सौ साल पुरानी है। वहीं कुछ ऐसी जगहें भी हैं जहां लोग शवों को सड़ाकर खाते हैं। ये लोग शव को तब तक सड़ाते हैं, जब तक कि उसमें से पानी जैसा तरल पदार्थ नहीं निकलने लगता है। हालांकि ये प्रथा सुनाने में अजीब लगती है लेकिन आज भी लोग इस प्रथा को बखूबी निभाते हैं। वहीं इस प्रथा के कुछ जानकारों का कहना है कि शव को सड़ाकर उसमें से निकलने वाले पानी से शराब बनाई जाती है और मृतक की याद में उसके परिजन उसे पीते हैं।
स्वास्थ्य के हानिकारक है ये प्रथा
ये प्रथा इंडो-यूरोपीय इलाकों में ग्रामीण और आदिवासी समुदायों में प्रचलित है। इसके अलावा दुनिया के और भी तमाम देश और समुदाय हैं जहां अजीबो गरीब प्रथाएं प्रचलित हैं। हालांकि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से शव खाने की प्रक्रिया न तो स्वास्थ्य के लिए अच्छी है और न ही पर्यावरण के लिए।
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