नई दिल्ली। भारतीय सेना को जल्द ही स्वदेशी लाइट टैंक ‘जोरावर’ (Joravar Tank) मिलेगा। इसका अंतिम परीक्षण गुरुवार को लद्दाख में शुरू हो गया। इससे पहले मैदानी और रेगिस्तानी इलाकों में इसका सफल परीक्षण किया जा चुका है। अगर यह परीक्षण सफल रहा तो जोरावर टैंक को अगले साल सेना में शामिल कर लिया जाएगा।
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‘ज़ोरावर’ का अंतिम परीक्षण 21 नवंबर से 15 दिसंबर तक लद्दाख की ऊंची चोटियों पर किया जायेगा। अभी तक इसका परीक्षण पहले राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों और मैदानी इलाकों में किया गया था, जहां यह सेना की उम्मीदों पर खरा उतरा था। सफल परीक्षणों के बाद अगले साल यानी 2025 में इसे सेना को सौंप दिया जायेगा।
Compare the movement due to recoil of these two tanks while firing from a static position. Zorawar seems to be noticeably more stable than its Chinese counterpart, Type-15. Means better accuracy, less wear & tear and better crew comfort.
Nice job, DRDO and L&T. https://t.co/B7pZH7wVST pic.twitter.com/1zjHluJSL9
— Jaidev Jamwal (@JaidevJamwal) September 13, 2024
चीन से मुकाबला करने को तैयार
ज़ोरावर टैंक की आवश्यकता गलवान दंगों के बाद से ज्यादा महसूस की जाने लगी थी। जब चीन ने अपने ZTQ-15 ब्लैक पैंथर लाइट बैटल टैंक को लद्दाख सीमा पर तैनात किया। इसके बाद सेना ने हल्के टैंकों की जरूरत पर बल दिया। इसके बाद से जोरावर टैंक पर काम शुरू हुआ। इसे बनाने में 4 साल का समय लग गया। इस टैंक का निर्माण डीआरडीओ और L$T ने मिलकर किया है।
ज़ोरावर टैंक की खूबियां
यह एक तेज तर्रार टैंक है। ये लेजर, मशीन गन और एंटी टैंक मिसाइल जैसे आधुनिक हथियारों से लैस है। इसका वज़न 25 टन है, जो अन्य टैंकों से लगभग आधा है। यह 105 मिमी की शक्तिशाली बंदूक से सुसज्जित है और इसे महज तीन सैनिकों द्वारा ही संचालित किया जा सकता है।
सैन्य जरूरतों के लिए तैयार
ज़ोरावल टैंक को मारक क्षमता, गतिशीलता और सुरक्षा के मानदंडों के आधार पर डिजाइन किया गया है। इसके हल्के वजन के कारण इसकी तैनात ऊंचाई वाले क्षेत्रों में की जा सकती है। इसे विमान द्वारा वहां आसानी से पहुंचाया जा सकता है। फ़िलहाल सेना ने 359 हल्के टैंकों की आवश्यकता बताई है। हालांकि अभी तक केवल 59 टैंकों का ही ऑर्डर दिया गया है। ये टैंक सेना के पुराने टी-72 टैंकों की जगह लेंगे।
लद्दाख के विजेता जोरावर के नाम पर रखा गया है नाम
ज़ोरावर टैंक का नाम जनरल ज़ोरावर सिंह कालिया के नाम पर रखा गया है। डोगरा शासन के दौरान जनरल जोरावर सिंह ने लद्दाख, तिब्बत और गिलगित-बलिस्तान पर विजय प्राप्त की थी। उन्होंने किश्तवाड़ के राज्यपाल के रूप में भी कार्य किया था।
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