



कोलोरेक्टल कैंसर (colorectal cancer) अब मिलेनियल्स और जेनरेशन एक्स के लिए भी एक बड़ा खतरा बनता जा रहा है। पहले इसे उम्र दराज लोगों की बीमारी माना जाता था, लेकिन अब यह युवा पीढ़ी को भी प्रभावित कर रहा है। यूरोपीय देशों में कोलोरेक्टल कैंसर से कई किशोरों और वयस्कों को जान से हाथ धोना पड़ रहा है। जीवनशैली में बदलाव, अनियमित खान-पान और तनाव के कारण युवाओं में ये कैंसर तेजी से फ़ैल रहा है।
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पहले में चरण में इलाज संभव
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि ऐसी बीमारियों का इलाज पहले चरण में तो किया जा सकता है, लेकिन जब ये अंतिम चरण में पहुंच जाती है कि मरीज को अधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि कोलोरेक्टल कैंसर कैसे विकसित होता है, इसके लक्षण और उपचार के तरीके क्या हैं। यदि आप या आपके परिवार में किसी की उम्र 50 वर्ष से कम है, तो नीचे बताए गए लक्षणों पर विशेष ध्यान देना जरूरी है, क्योंकि केवल शुरुआती पहचान से ही इस बीमारी को रोकने में मदद मिल सकती है।
कोलोरेक्टल कैंसर क्या होता है
कोलोरेक्टल कैंसर एक ऐसा कैंसर है जो बड़ी आंत और रेक्टम में शुरू होता है। यह रेक्टम और आंतों की परत में गांठ के रूप में होता है और इसे पॉलीप कहते हैं। यह कैंसर छोटे पॉलीप के रूप में शुरू होता है और समय के साथ पॉलीप कैंसर में बदल जाता है।
कोलोरेक्टल कैंसर के कारण
- जेनेटिक्स वैरिएंट्स के कारण इसका रिस्क और भी ज्यादा बढ़ जाता हैं
ज्यादा वजन - अन्हेल्दी लाइफस्टाइल जैसे बाहर की ऑयली और मैदे वाली चीजें खाना
- सब्जियों का कम सेवन और प्रोटीन व फाइबर की कमी हो ऐसे खाने को डाइट में शामिल करना
- शराब जैसी नशीली चीजों को कंज्यूम करना ऐसी बीमारियों के रिस्क बढ़ा सकता है
- फिजिकल एक्सरसाइज का शामिल न होना
कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षण
- तेजी से वजन कम होना
- डायरिया और कॉन्स्टिपेशन होना
- कमर, पेट, पैरों में दर्द रहना
- टॉयलेट करते समय रेड, ब्लैक और ब्राउन कलर का ब्लड आना
- वीकनेस, गैस, ब्लोटिंग और उल्टियां जैसी समस्या होना
- अगर ये कैंसर पूरे शरीर में फ़ैल जाये तो पीलिया होने की संभावना बढ़ जाती है
कोलोरेक्टल कैंसर का इलाज
कोलोरेक्टल कैंसर के इलाज का एकमात्र तरीका सर्जरी है। सर्जरी की मदद से मरीज के शरीर से कैंसर वाले हिस्से को हटा दिया जाता है और आंत का पुनर्निर्माण किया जाता है। हालांकि इस बीमारी का इलाज व्यक्ति की अवस्था और स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करता है। आप जितना स्वस्थ रहेंगे, आपकी रिकवरी उतनी ही तेजी से होगी। इस उपचार के लिए कीमोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी और कैरोसर्जरी की भी आवश्यकता होती है। ये सभी उपचार मरीज़ के कैंसर की अवस्था पर निर्भर करते हैं।
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