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The Sabarmati Report Review: विक्रम मैसी की एक और शानदार फिल्म, सधी हुई स्टोरी और कमाल का परफॉर्मेंस

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The Sabarmati Report Review

The Sabarmati Report Review: सच जानने के लिए देश मीडिया की तरफ देखता है और मीडिया अपने मालिकों की तरफ। धीरज सरना के डायरेक्शन में बनी ‘द साबरमती रिपोर्ट’  फिल्म का मेन डायलाग यही है। फिल्म में ये डायलाग विक्रांत मैसी बोलते हैं, तो विक्रांत बाबू हमें कभी मालिक अपनी तरफ देखने को नहीं बोलते हैं और उनकी तरफ देखें बिना मैं ये कह रहा हूं कि ये फिल्म हर किसी को जरूर देखनी चाहिए।

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सिनेमाघरों में हुई रिलीज

The Sabarmati Report Review

आपको बता दें कि 12वीं फेल में शानदार अभिनय कर हर किसी के दिल में खास जगह बना चुके विक्रांत मैसी को लेकर अब माना जाता है कि वे जिस भी फिल्म में होंगे, दर्शकों को एक बेहतरीन कंटेंट मिलेगा। गोधरा कांड पर बनी फिल्म ‘द साबरमती रिपोर्ट’ जैसी फिल्म से विक्रांत का जुड़ना इस बात का भरोसा है फिल्म बेहद स्पेशल होगी और हंगामेदार होगी। अब ये फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है और सच में एकदम बवाल है। बवाल ही नहीं महाबवाल कहो तो भी कम। जी हां ये फिल्म बेहद शानदार है और दर्शकों को एक भी सेकेण्ड के लिए कुर्सी छोड़ने की इजाजत नहीं देती है। फिल्म में विक्रांत का ही नहीं, रिद्धि डोगरा, राशि खन्ना और एकता कपूर ने भी अपना 100% दिया है।

ये है फिल्म की कहानी

यह फिल्म गोधरा कांड पर आधारित है, जहां 27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा में रेलवे स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस की बोगी में आग लगा दी गई थी और इस घटना में 59 निर्दोष लोगों की मौत हो गई थी। ये हादसा है या साजिश? फिल्म में रिपोर्टर को इसी की पड़ताल करते हुए दिखाया गया है।

 

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फिल्म को देखने के बाद ऐसा लग रहा है कि इसमें बड़ी हिम्मत के साथ साबरमती का सच दिखाया गया है। ये एक सधी हुई फिल्म है। फिल्म में मीडिया के नजरिए से चीजों को कैसे दिखाया जाता है। इसमें कुछ ऐसा भी दिखाया गया है जो मीडिया की इमेज खराब करता है, लेकिन बात जब 59 लोगों की मौत की होती है तो बात तो होनी चाहिए। ये फिल्म भी हर पहलू पर बात करती हुई दिख रही है। फिल्म में  गोधरा कांड को लेकर हुई कोर्ट की टिप्पणी को भी दिखाया गया है। ‘द साबरमती रिपोर्ट’ फिल्म शुरू से आखिर तक दर्शकों को बांधे रखने में सफल हुई है। स्थिति ये है इस केस का सच जानने के लिए फिल्म देख रहे लोग भी इन रिपोर्टर्स के साथ रिपोर्टर बन जाते हैं।

आज की पीढ़ी इस घटना के बारे में नहीं जानती होगी, इसलिए यह फिल्म उनके लिए एक दस्तावेज का भी काम करती है। ये फिल्म आपको कहीं बोर नहीं करती, कहीं ले जाती नहीं दिखती, सब कुछ तेज गति से होता है, हां इमोशनल कनेक्शन थोड़ा कम है, ऐसा होता तो फिल्म और भी बेहतर हो सकती थी।

शानदार अभिनय 

12वीं फेल के बाद विक्रांत मैसी एक बार फिर से फॉर्म में हैं। ‘द साबरमती रिपोर्ट’  के लिए भी सौ में सौ अंक मिल रहे  हैं। सच दिखाने वाला एक नया पत्रकार, एक हिंदी भाषी पत्रकार, ये भूमिका विक्रांत के अलावा शायद ही कोई और इतने बेहतरीन ढंग से निभा सकता था। फिल्म में उन्होंने इस किरदार को बखूबी निभाया है। रिद्धि डोगरा ने बहुत अच्छा काम किया है। मीडिया के लोग उनके किरदार से खुद को काफी रिलेट कर सकेंगे। रिद्धि के किरदार जैसे पत्रकार हर न्यूज़ रूम में मिलेंगे। फिल्म में उनका हर एक्सप्रेशन तारीफ़ के काबिल है।   फिल्म में ट्रेनी जनर्लिस्ट का किरदार निभा रही राशि खन्ना ने भी अपने किरदार को बखूबी निभाया है। एक महान पत्रकार के प्रशंसक से लेकर उन्हें सच्चाई का आईना दिखाने वाली पत्रकार तक का यह रोल उनकी सबसे बेहतरीन भूमिकाओं में से एक है, बाकी कलाकारों ने भी अच्छा काम किया है।

 

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बेहतरीन निर्देशन

धीरज सरना का निर्देशन बेहतरीन था और उन्होंने फिल्म को खींचा नहीं है। सब कुछ 2 घंटे में ही समेट दिया है। हालांकि फिल्म में थोड़ा और इमोशन होता तो बात और होती। ऐसे विषय को चुनने के लिए एकता कपूर भी प्रशंसा की पात्र हैं क्योंकि इस तरह के कंटेंट के लिए बहुत साहस की जरूरत होती है। एकता का सास बहु से लेकर  साबरमती तक का सफर बेहद दिलचस्प रहा है। वे हर तरह के कंटेंट पर काम कर लेती हैं और कुछ भी नया करने से नहीं हिचकिचाती हैं। उन्हें रिस्क लेने में जरा भी डर नहीं लगता है। वे आलोचना को भी पॉजिटिव तरीके से एक्सेप्ट करती हैं।

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