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La Nina Effect: इस बार सर्दी तोड़ेगी सारे रिकार्ड, मुश्किल में बीतेंगे दिसंबर, जनवरी और फरवरी

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La Nina Effect

नई दिल्ली। La Nina Effect:  नवंबर का महीना लगभग ख़त्म हो चुका है। इसी के साथ ही ठंड ने भी पूरे उत्तर भारत में दस्तक देनी शुरू कर दी है। पहाड़ों पर बर्फबारी शुरू हो गई। देशभर के कई राज्यों में जल्द ही कोहरे का कहर देखने को मिलेगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिसंबर इस साल का सबसे ठंडा महीना होने वाला है। मौसम विभाग के मुताबिक इस साल दिसंबर में कड़ाके की ठंड पड़ेगी। उत्तर भारत के लोगों को ठंड और कोहरे की मार एक साथ झेलनी पड़ेगी। यहां तापमान में भारी गिरावट आयेगी।

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 आईएमडी ने की भविष्यवाणी 

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सर्दी शुरू होने से पहले ही मौसम विभाग ने भविष्यवाणी कर दी थी कि इस साल किसी भी अन्य साल की तुलना में अधिक ठंड पड़ेगी। यह भविष्यवाणी दिसंबर की शुरुआत से सच हो जाएगी। ऐसे में लोगों के मन में ये भी सवाल उठ रहा है कि ऐसा क्या होने वाला है कि इस बार सर्दी सारे रिकार्ड तोड़ेगी। दरअसल, इन सभी सवालों का एक ही जवाब है – “ला नीना का प्रभाव।”

एशियाई देशों के ओर बढ़ेंगी ठंडी हवाएं

इस वर्ष प्रशांत महासागर में “ला नीना” की घटना देखने को मिली। वैज्ञानिकों का कहना है कि जब प्रशांत महासागर सामान्य से अधिक ठंडा हो जाता है, तो ठंडी हवाएं आमतौर पर एशियाई देशों की ओर बढ़ती हैं। इसका प्रभाव सिर्फ भारत तक ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान, श्रीलंका और म्यांमार तक देखने को मिलता है। इन देशों में  तापमान तेजी से गिरता है और ठंड कहर बरपाती है।

इससे पहले कब देखा गया था ‘ला नीना’ का असर 

यह पहली बार नहीं है जब भारत में ‘ला नीना’ प्रभाव देखने को मिलेगा। इससे पहले साल 2001 में भी भारत में “ला नीना प्रभाव” का प्रभाव देखने को मिला था और ये पूरे सात महीने तक था।  वहीं अब 22 साल बाद ‘ला नीना’ ने एक बार फिर से वापसी की है।  ऐसे में इस बार भी जबर्दस्त ठंड पड़ने के आसार हैं।  ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, प्रशांत महासागर में ला नीना घटना का 60% असर भारत में पड़ेगा। ला नीना घटना विशेष रूप से दिसंबर, जनवरी और फरवरी के महीनों में अपने चरम पर रहेगी। इस दौरान उत्तर भारत में ऐसी कड़ाके की ठंड पड़ेगी, कि बर्दाश्त करना मुश्किल होगा।

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