



नई दिल्ली। Rahul Gandhi: मतदाता सूची में गड़बड़ी को लेकर आए दिन चुनाव आयोग पर उंगली उठती रहती है। शिवसेना यूबीटी, कांग्रेस और टीएमसी जैसी पार्टियां कई बार इस मुद्दे को उठा चुकी हैं। हाल ही में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी चुनाव आयोग पर मतदाता सूची में हेर फेर करने का आरोप लगाया था। वहीं, अब राहुल गांधी ने इस मुद्दे को लोकसभा में उठाया है और चर्चा की मांग की है। नेता प्रतिपक्ष और रायबरेली से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सोमवार को लोकसभा के शून्यकाल में कहा कि, पूरा विपक्ष चाहता है कि सदन में मतदाता सूचियों पर चर्चा हो।
इसे भी पढ़ें- Mamta Big Allegation On EC: फिर सवालों के घेरे में चुनाव आयोग, ममता बनर्जी ने लगाया ये गंभीर आरोप
चर्चा कराने में क्या हर्ज है- राहुल
दरअसल, राहुल गांधी ने स्पीकर ओम बिड़ला की उस टिप्पणी, जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘वोटर लिस्ट क्या सरकार बनाती है’ का जवाब देते हुए कहा, “हम आपकी टिप्पणी स्वीकार करते हैं कि वोटर लिस्ट सरकार नहीं बनाती है, लेकिन अगर पूरे देश में मतदाता सूची पर सवाल उठ रहे हैं… विपक्ष शासित हर राज्य इस पर सवाल उठा रहा है, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में भी इस पर सवाल उठ रहे हैं… तो चर्चा कराने में क्या हर्ज है… हम इस मुद्दे पर चर्चा की मांग करते हैं।”
ममता बनर्जी उठा चुकी हैं सवाल
बता दें कि, इससे पहले, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी मतदाता सूची पर सवाल उठा चुकी हैं। उन्होंने कहा था कि, मुर्शिदाबाद और बर्धमान संसदीय क्षेत्रों में और हरियाणा में एक ही ईपीआईसी (इलेक्टोरल फोटो आइडेंटिटी कार्ड) नंबर वाले मतदाता मौजूद हैं। कहने का मतलब ये है कि एक ही मतदाता दो राज्यों में दर्ज हैं। ममता बनर्जी के अलावा तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सौगत रॉय ने मतदाता सूचियों में कुछ खामियां गिनाई हैं।
मुख्य चुनाव आयुक्त से मिलेगा प्रतिनिधिमंडल
उन्होंने कहा है कि, मतदाता सूची में मिल रही गड़बड़ी को लेकर टीएमसी का एक प्रतिनिधिमंडल जल्द ही नव नियुक्त मुख्य चुनाव आयुक्त से मिलने वाला है ताकि उनके समक्ष इस मुद्दे को उठाया जा सके। उन्होंने कहा कि, पश्चिम बंगाल और असम में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में इससे पहले मतदाता सूचियों की पूरी तरह से समीक्षा की जानी चाहिए।
होनी चाहिए वोटर लिस्ट की समीक्षा
रॉय का दावा है कि, वोटर लिस्ट में कुछ गंभीर खामियां हैं। ऐसा ही महाराष्ट्र और हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव में भी हुआ था। वहां भी मतदाता सूचियों में नये नाम जोड़े गये थे और अब पश्चिम बंगाल व असम में भी यही करने की कोशिश की जा रही है क्योंकि इन दोनों राज्यों में अगले साल चुनाव होने हैं।” सौगात राय ने कहा, ‘पूरी वोटर लिस्ट की समीक्षा होनी चाहिए और चुनाव आयोग को देश के सामने ये बताना चाहिए कि सूचियों में किसी भी तरह की गड़बड़ी नहीं है।’
सत्ता पक्ष के इशारे पर हो रहा काम
विपक्ष का आरोप है कि, सत्ता पक्ष के इशारे पर चुनाव आयोग मतदाता सूचियों में गड़बड़ी करा रहा है। यही वजह है कि पूरा विपक्ष खास कर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और अन्य क्षेत्रीय दल चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता पर सवाल उठा रहे हैं। वहीं, आयोग इन आरोपों का समाधान करने में विपक्ष को संतुष्ट नहीं कर पा रहा है। नतीजतन उसकी साख और विश्वसनीयता सवालों के घेरे में आ गई है। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस का कहना है कि यह गड़बड़ी जानबूझकर की गई हो सकती है, ताकि चुनावी परिणामों को प्रभावित किया जा सके।
पश्चिम बंगाल में 50 हजार मतदाता बढ़े
विपक्ष ने दावा किया है कि, बीजेपी के इशारे पर आयोग मतदाता सूचियों में हेरफेर कर रहा है कि ताकि वह मन मुताबिक परिणाम प्राप्त कर सके। विपक्ष का कहना है कि पश्चिम बंगाल में 50 हजार मतदाता बढ़े हैं। आयोग की डिजिटल प्रणाली में खामियां, जैसे डेटा प्रविष्टि की गलतियां, सॉफ्टवेयर में बग और ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीकी पहुंच की कमी, मतदाता सूचियों सत्यता को प्रभावित कर रही है। विपक्ष का कहना है कि आयोग इन खामियों को दूर नहीं कर पा रहा है, जिससे चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं।
कई सालों से उठ रहे सवाल
उल्लेखनीय है कि बीते कुछ वर्षों से आयोग की पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं। उस पर राजनीतिक दबाव और चुनावी नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई में पक्षपात के आरोप लगते रहे हैं। साल 2019 और 2024 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान भी विपक्ष ने आयोग पर सत्ताधारी दल के पक्ष में काम करने का आरोप लगाया था। वहीं, महाराष्ट्र और हरियाणा समेत अन्य राज्यों ने होने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान और बाद में भी आयोग सवालों के घेरे में आ चुका है।
इसे भी पढ़ें- One Country One Election: लोकसभा में पेश हुआ ‘एक देश, एक चुनाव’ बिल, ये हैं पक्ष और विपक्ष के तर्क-वितर्क