



नई दिल्ली। Justice Yashwant Verma: दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज यशवंत वर्मा इन दिनों अपने घर में मिले बेशुमार खजाने की वजह से सुर्ख़ियों में हैं। उनके घर में लगी आग को बुझाने के दौरान अरबों का खजाना सामने आते ही न्यायपालिका में हड़कंप मच गया। इसके बाद सीजेआई की अगुवाई वाली कोलेजियम की बैठक में उनके ट्रांसफर का फैसला लिया गया और उन्हें उनके मूल कोर्ट इलाहाबाद हाई कोर्ट भेज दिया। यशवंत को लेकर अब एक और खबर सामने आ रही है। कहा जा रहा है कि इससे पहले उनका नाम सिम्भावली शुगर मिल से जुड़े बैंक धोखाधड़ी मामले में सीबीआई की एफआईआर में भी आया था। इस मामले में चीनी मिल ने बैंक से 150 करोड़ का लोन लिया था।
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बैंक लोन में धोखाधड़ी का आरोप
आरोप है कि इस मिल ने बैंकों से धोखाधड़ी करके लोन लिया था। इससे भी चौंकाने वाली बात ये है कि, उस वक्त जस्टिस यशवंत वर्मा सिम्भावली शुगर्स में नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर थे। इस सिम्भावली शुगर्स का अकाउंट साल 2012 में NPA यानी नॉन परफॉर्मिंग एसेट (Non-Performing Asset) घोषित कर दिया गया था। बाद में यानी 13 अक्टूबर 2014 को यशवंत वर्मा इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज नियुक्त हुए थे।
CBI और ED ने दर्ज किया था केस
22 फरवरी 2018 को सीबीआई ने इस मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एक मामला दर्ज किया था। इसके पांच दिन बाद यानी 27 फरवरी 2018 को प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने भी मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत एक ECIR पंजीकृत की थी। ईडी ने ये मुकदमा ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (OBC) की शिकायत पर दर्ज किया था।
SC ने पलटा HC का फैसला
एफआईआर के मुताबिक, सिम्भावली शुगर्स ने किसानों की मदद के नाम पर OBC से 150 करोड़ रुपये का लोन लिया था। बैंक ने CBI को दिए गये अपने शिकायती पत्र में कहा था कि, मिल ने किसानों की मदद करने के नाम पर लोन लिया, लेकिन उसने इसमें बेईमानी से काम किया। बाद में OBC का पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में विलय हो गया। बताया जा रहा है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के दो फैसलों में इस FIR का जिक्र किया गया था। ये फैसले उन आरोपियों से जुड़े थे, जिन्होंने CBI की FIR को रद्द करने या अग्रिम जमानत के लिए अर्जी डाली थी। इसके बाद पिछले साल मार्च में उच्चतम न्यायलय ने इलाहाबाद HC के एक फैसले को पलट दिया था।
धोखाधड़ी को लेकर कार्रवाई कर सकते हैं अधिकारी
दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने SBI के नेतृत्व वाले बैंकों के समूह के सिम्भावली शुगर्स को दिए गए लोन की CBI जांच करने का आदेश दिया था। इस फैसले को पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हाईकोर्ट ने गलती की है। इस मामले के जांच की कोई जरूरत नहीं थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा था कि, अधिकारी धोखाधड़ी के मामले में कानून के मुताबिक कार्रवाई कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सिम्भावली शुगर्स के खिलाफ SBI की दिवालियापन की कार्यवाही को रद्द करने से भी इनकार कर दिया था।
गंभीर मामला
अदालत ने CBI के सिम्भावली के किए गए समझौते के प्रस्ताव को खारिज करने के फैसले को सही ठहराया था। कोर्ट ने कहा था कि बैंक के फैसले में कोई गलती नहीं है। अब जज यशवंत वर्मा के घर में मात्रा में खजाना मिलने के बाद ये कहा रहा है कि उनका नाम पहले ही एक चीनी मिल से जुड़े विवाद में सीबीआई की एफआईआर में दर्ज होना गंभीर मामला था।