



देहरादून। Chardham Yatra: चारधाम यात्रा का आगाज हो चुका है। 2 मई को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में बाबा केदारनाथ मंदिर के कपाट खोले गए। मुख्यमंत्री ने इसे ‘राज्य उत्सव’ के रूप में मान्यता देते हुए कहा कि चार धाम यात्रा को सुचारू और सफल बनाने के लिए राज्य सरकार ने सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की हैं।अर्ह इससे पहले 30 अप्रैल को यमुनोत्री और गंगोत्री मंदिर के कपाट भी खोले गए थे। चार मई को बद्रीनाथ मंदिर के कपाट भी खोल दिए गये। इन मंदिरों के कपाट खुलने के साथ ही चार धाम यात्रा का शुभारंभ भी हो गया है। आइए जानते हैं चार धाम यात्रा से जुड़ी कुछ ख़ास बातें।
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यमुनोत्री से शुरू होती है यात्रा
उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से जाना जाता है। यहां तमाम प्राचीन मंदिर हैं, जहां पूरे साल देश के विभिन्न हिस्सों से लाखों श्रद्धालु आते हैं, वहीं चारधाम यात्रा सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस यात्रा के लिए श्रद्धालु अक्सर लंबी योजना बनाते हैं। उत्तराखंड पर्यटन की वेबसाइट के अनुसार, ऊं,चाई वाले इलाकों में स्थित ये मंदिर सर्दियां शुरू होते ही बंद कर दिए जाते हैं क्योंकि यहां बर्फ पड़ने लगती है। करीब छह महीने बाद गर्मियों की शुरुआत यानी अप्रैल या मई में खोले जाते हैं। मान्यता है कि, चार धाम यात्रा घड़ी की सुई की दिशा में पूरी होनी चाहिए। यही वजह है कि, इसकी शुरुआत यमुनोत्री से की जाती है। इसके बाद श्रद्धालु गंगोत्री के दर्शन के लिए निकलते हैं और उसके बाद केदारनाथ जाते हैं फिर बद्रीनाथ। कहते हैं नियमानुसार चारों धामों की यात्रा पूरी होने के बाद ही पूजा संपन्न मानी जाती है।
गंगा का उद्गम स्थल है गंगोत्री
चारधाम यात्रा की शुरुआत यमुनोत्री के दर्शन के साथ ही शुरू होती है। यमुना के उद्गम के पास स्थित इस मंदिर तक पहुंचने का माध्यम पैदल, घोड़े या पालकी है। उत्तरकाशी जिले में स्थित ये मंदिर समुद्र तल से 3,233 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। ऋषिकेश से यमुनोत्री की दूरी लगभग 210 किलोमीटर है।यात्रा का दूसरा पड़ाव गंगोत्री मंदिर है, जो उत्तरकाशी में स्थित है। यह ऋषिकेश से लगभग 250 किलोमीटर दूर है। गंगोत्री भारत के सबसे ऊंचे धार्मिक स्थलों में से एक है, जो समुद्र तल से लगभग 3,415 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, यह स्थान गंगा नदी का उद्गम स्थल है, जिसे ‘गोमुख’ के नाम से भी जाना जाता है।
हेलीकाप्टर की भी सुविधा है
ये गंगोत्री से लगभग 19 किलोमीटर दूर स्थित गंगोत्री ग्लेशियर में है। गोमुख से निकलने वाली इस नदी को ‘भागीरथी’ कहते हैं। केदारनाथ उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है, जो समुद्र तल से 3,584 मीटर की ऊंचाई पर हिमालय के गढ़वाल क्षेत्र में आता है। ऋषिकेश से केदारनाथ लगभग 227 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको करीब 18 किलोमीटर की चढ़ाई करनी होगी। अगर आपको चढ़ाई में दिक्कत आ रही है, तो आप पालकी और खच्चर की मदद से भी मंदिर तक पहुंच सकते हैं। इसके अलावा यहां हेलीकाप्टर की भी सुविधा है। इसके लिए आपको पहले बुकिंग करानी होगी। केदारनाथ को हिंदुओं के चार पवित्र धामों में से एक है। यहां हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
सबसे ऊंचा ज्योतिर्लिंग है केदारनाथ
केदारनाथ हिंदू धार्मिक ग्रंथों मे वर्णित बारह ज्योतिर्लिंगों में सबसे ऊंचा ज्योतिर्लिंग है। इस मंदिर के पास मंदाकिनी नदी बहती है। करीब एक हजार साल पुराना ये मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। ये मन्दिर चतुर्भुज आधार पर बड़े-बड़े पत्थर के स्लैब से बना है। इसके पीछे केदारनाथ शिखर और हिमालय की अन्य चोटियां हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, दिन मन्दिर के कपाट खुले हैं, उसी दिन यहां 30,154 श्रद्धालुओं ने बाबा भोलेनाथ के दर्शन किये। चारधाम यात्रा का अंतिम पड़ाव बद्रीनाथ धाम माना जाता है। बद्रीनाथ धाम की ऊंचाई समुद्र तल से 3,100 मीटर है।
यह अलकनंदा नदी के तट पर गढ़वाल हिमालय में है। कहते हैं, इस मन्दिर की स्थापना आदि शंकराचार्य ने आठवीं शताब्दी में की थी। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। इस मन्दिर में भी दर्शन के लिए हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। ऐसे में अगर आप यहां आना चाहते हैं तो वाहन, होटल और अन्य चीजों की पहले से योजना बना लें, जिससे आपकी यात्रा और सुगम हो जाएगी। इसके लिए कई स्थानों जैसे हरिद्वार, ऋषिकेश आदि पर काउंटर बने हैं।
पंजीकरण प्रमाण पत्र अपने पास रखें
यात्रा पर जाने से पहले अपने पास वैध पहचान पत्र रखें
अगर आप किसी तरह की दवा ले रहे हैं, तो उसे अपने पास रखें
कई किमी चलना होता है पैदल
अगर आप चार धाम की यात्रा पर आना चाहते हैं, तो इससे जुड़ी सभी जानकारी आपको उत्तराखंड पर्यटन की वेबसाइट पर आसानी से मिल जाएगी। अगर आप केदारनाथ धाम यात्रा के लिए हेलीकॉप्टर सेवा लेना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको IRCTC हेलीयात्रा की बेवसाइट पर जाकर बुकिंग करानी होगी। हेलीकॉप्टर टिकट की बुकिंग 7 मई से शुरू होगी। ध्यान रहे इस यात्रा में आपको कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ सकता है, इसलिए इसकी तैयारी पहले कर लें, नहीं तो मुश्किल होगी।
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