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Workshop: शैक्षिक परिवेश उपलब्ध कराना हमारा दायित्व : कुलपति

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Workshop:
  • रिसर्च मेथडलॉजी, राष्ट्रीय शिक्षा नीति और तनावमुक्त जीवन के दिये टिप्स
  • विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर एकदिवसीय कार्यशाला

अम्बिकापुर। Workshop: विश्वविद्यालय का काम अध्ययन-अध्ययापन के दौरान आयी कठिनाई, समस्याओं को निवारण करना है। शिक्षा के लिए बेहतर परिवेश उपलब्ध कराना हमारा दायित्व है। यह बातें गुरूवार को संत गहिरा गुरू विश्वविद्यालय के तत्वावधान में राजमोहिनी देवी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 विषय पर आयोजित एकदिवसीय कार्यशाला के दौरान कुलपति प्रो. प्रेम प्रकाश सिंह ने कही।

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शिक्षकों का तनावमुक्त रहना जरूरी

Workshop:

कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि प्रत्येक शैक्षिक परिसर को जीरो ड्रग्स परिसर होना है। उन्होंने कहा कि शिक्षक तनावमुक्त रहेगा तभी विद्यार्थियों के लिए अच्छी प्रस्तुति होगी। प्राध्यापक को घर-परिवार और महाविद्यालय तीनों के बीच साम्य स्थापित रखना है, इसलिये अवकाश की भी महत्ता जीवन में है। डॉ. सिंह ने कहा कि योग दिवस हमें तनावमुक्त और स्वस्थ रहने का भी संदेश देता है।

संवेदनशील बनें शिक्षक

उन्होंने महाविद्यालयों का आह्वान करते हुए कहा कि शिक्षकों को संवेदनशील होना होगा और ब्रेन स्ट्रामिंग सत्र आयोजित करें। वर्ष में दो बार एलुमिनी मीट (बैठक ) आयोजित करायें। उन्होंने शोध की गुणवत्ता को प्रेरित करते हुए कहा कि रिसर्च मेथडलॉजी पर विशेष ध्यान दें। प्रयोगशाला के अनुसंधान समाज में जायें। उन्होंने कक्षाओं में विद्यार्थियों की घटती संख्या पर नाराजगी जाहिर की। डॉ. सिंह ने कहा कि विद्यार्थी केन्द्रित कक्षाओं पर बल दिया जाना चाहिए।

दीप प्रज्ज्वलित कर किया कार्यक्रम का शुभारंभ

इससे पहले अतिथियों ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। विषय विशेषज्ञों को स्वागत पुष्प गुच्छ प्रदान कर किया गया। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए संत गहिरा गुरू विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. शारदा प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि विद्यार्थियों का कक्षा में होना आवश्यक है। कक्षा में विद्यार्थी रहेगा तो परीक्षा परिणाम भी अच्छा होगा। उन्होंने गत दिनों परीक्षा परिणाम को लेकर हुई शिकायत आंदोलनों को भी जवाब दिया।

नहीं मिलेंगे सहानुभूति के अंक

Workshop:

डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि विषय विशेषज्ञों से मूल्यांकित उत्तर पुस्तिकाओं की रेंडमली जांच करायी गयी। परीक्षार्थी जब तक अच्छे से परीक्षा में भागीदारी नहीं करेंगा, प्रश्नों का जवाब सही नहीं देगा तो नम्बर नहीं मिलेंगे। सहानुभूति के अंक परीक्षक से नहीं मिलेंगे। उन्होंने अपूर्ण परीक्षा परिणाम (विथहेल्ड) की स्थितियों से अवगत कराया। डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि महाविद्यालयों से पोर्टल पर प्रायोगिक परीक्षा के अंक समय से आने चाहिए। उन्होंने एनईपी के कुछ परीक्षा परिणाम जारी होने बाकी हैं जो शीघ्र ही प्रकाशित हो जायेंगे।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए विषय विशेषज्ञ लखनपुर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. एस.के श्रीवास्तव ने कहा कि एनईपी एम्बेसडर को भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति की जानकारी होनी चाहिए। डिजीटली शिक्षा का प्रभाव बढ़ा है। शोध और अनुसंधान के लिए रिसर्च मेथडलॉजी को जानना आवश्यक है। रिसर्च डिजायनिंग, विषय, आंकड़ों का एकत्रीकरण जानना जरूरी है। उन्होंने प्राचार्य से आह्वान किया कि अपने महाविद्यालय में रिसर्च मेथडलॉजी पर सेमिनार करायें।

Workshop:

कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए विषय विशेषज्ञ राजीव गांधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्याय के डॉ. राजकमल मिश्रा ने कहा कि एनईपी अब विद्यार्थी केन्द्रित अध्ययन-अध्यापन चाहता है। मल्टीडिसप्लीनरी का तात्पर्य है कि विद्यार्थी अपने फेकेल्टी के अलावा दूसरे फेकेल्टी के विषयों का भी अध्ययन करे। उन्होंने डीएससी और जीईसी के बारे में अवगत कराया और उनके प्रश्न पत्रों के तरीके के बारे में बताया। इस दौरान प्राचार्य ने अपनी जिज्ञासाओं का निवारण किया।

परिसर को स्वच्छ रखने का आह्वान

कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए विषय विशेषज्ञ राजीव गांधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के डॉ. एस.एन. पांडेय कहा कि मूक और स्वयं से प्राप्त किये गये क्रेडिट को जोड़ा जायेगा। उन्होंने कहा कि अब प्राध्यापक की तरह विद्यार्थी के पास पाठ्य सामग्री के संसाधन अधिक हैं। पीयर टिचिंग, स्टूडेेंट को वर्क दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अब महाविद्यालय की सफलता विद्यार्थियों की सफलता पर है। उन्होंने व्हीईसी और जीई के बारे में अवगत कराया। राष्ट्रीय सेवा योजना के लिय स्वच्छता अपनाने और परिसर को साफ रखने का आह्वान किया।

तनाव रहित जीवन के लिए दिए टिप्स

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए विषय विशेषज्ञ श्री साई बाबा आदर्श महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. राजेश श्रीवास्तव ने एनईपी के उद्देश्य से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि शिक्षक का ज्ञान विद्यार्थी के नोटबूक पर सीधे नहीं पहुंचे बल्कि मन मस्तिष्क से हो कर गुजरे। डॉ. श्रीवास्तव ने एडऑन कोर्स और अगले सेमेस्टर में इन्टर्नशिप के बारे में बताया। उन्होंने तनाव रहित जीवन के लिए टिप्स दिये। जीवन में गति रहेगी तो तनाव से दूर रहेंगे।

Workshop:

कार्यक्रम का संचालन फार्मेसी विभाग के अध्यक्ष आनन्द कुमार ने किया। कार्यशाला के दौरान सहायक कुलसचिव प्रवीण अग्रवाल, सभी महाविद्यालयों के प्राचार्य, एनईपी समन्यवक के साथ डॉ. आर.एन शर्मा, डॉ. रितेश वर्मा, डॉ.सुषमा भगत, डॉ.आरती तिवारी, डॉ.स्नेहलता श्रीवास्तव, डॉ.एनके देवांगन आदि उपस्थित रहे।

 

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