



Research: चिंता और अवसाद से दुनिया के अधिकांश लोग जूझ रहे हैं, लेकिन अब इसे लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा हाल ही में जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार पुरुष की अपेक्षा मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का शिकार महिलाएं ज्यादा होती हैं। दरअसल, महिलाओं पर घर और बाहर दोनों की जिम्मेदारियां होती हैं, जिससे उन पर मानसिक प्रेशर ज्यादा होता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया भर में एक अरब से अधिक लोग मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं, जिनमें महिलाओं की समस्या सबसे ज्यादा है।
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घर के साथ बाहर की जिम्मेदारियां भी निभाती हैं महिलाएं
वैसे तो महिलाओं को सदियों से एक मजबूत स्तंभ के रूप में जान जाता रहा है। वे बड़ी ही निपुणता से घर और बाहर की जिम्मेदारियों को निभा लेती हैं, लेकिन इन जिम्मेदारियों को निभाने में वे अपनी शारीरिक और मानसिक सेहत के ध्यान नहीं रख पाती हैं। तनाव, सामाजिक दबाव, हार्मोनल बदलाव और पारिवारिक जिम्मेदारियां जैसे कई कारण है जो उन्हें चिंता और डिप्रेशन का शिकार बना देते हैं। आज के समय में इस स्थिति की गंभीरता को समझने के साथ ही इसके कारणों, लक्षणों और समाधानों पर ध्यान बेहद आवश्यक हो गया है। आइए इस लेख में महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य के कारणों, लक्षणों और समाधान के बारे में विस्तार से जानते हैं।
ये हैं कारण
सामजिक दबाव, आर्थिक असमानता और भेदभाव महिलाओं की मानसिक स्वास्थ्य समस्या की मुख्य वजह हैं। अक्सर ऐसा होता है कि महिलाओं के कंधे पर घर के साथ ही बाहर की भी जिम्मेदारी होती है, जिससे उनके ऊपर अत्याधिक मानसिक दवाब भी होता है। इसके अलावा हार्मोनल बदलाव भी महिलाओं की मानसिक बीमारी की वजह बनते हैं। जैसे कि मासिक धर्म, मेनोपॉज, गर्भावस्था और प्रसव आदि के दौरान होने वाले हार्मोनल परिवर्तन भी महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं, जिससे एंजाइटी और डिप्रेशन की समस्या बढ़ने का खतरा रहता है।
इन लक्षणों को न करें नजरंदाज
मानसिक बीमारी के लक्षण कई प्रकार के हो सकते हैं, जैसे किसी चीज में रूचि न रखना, चिड़चिड़ापन, नींद में बदलाव (कम सोना या ज्यादा सोना) हर समय थकान महसूस होना या फिर हमेशा उदास रहना आदि। वहीं शरीरिक लक्षण की बात करें तो पाचन संबंधी समस्या और सिर दर्द भी मानसिक समस्या का संकेत हो सकता है। अक्सर महिलाएं इन लक्षणों को सामान्य समस्या मानकर नजरंदाज कर देती हैं, जिससे स्थिति गभीर हो जाती है। अगर समय रहते इन समस्याओं को पहचान लिया जाये और इसकी रोक थाम के उपाय कर लिए जाएं तो स्थिति को गंभीर होने से बचाया जा सकता है।
लोगों से करें बात
अगर किसी महिला को लगता है कि, वह मानसिक स्वास्थ्य समस्या का सामना कर रही है, तो सबसे पहले जरूरी है कि वह अपने घर परिवार और दोस्तों से इस बारे में खुल कर बात करें। समाज में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर कई सारी गलत धारणाएं जैसे कि, शर्म-संकोच, उन्हें तोड़ना बेहद आवश्यक है। परिवार को भी चाहिए कि वह महिलाओं की बात सुनें और जहां भी जरूरी हो उन्हें भावात्मक सपोर्ट दें। अगर समस्या ज्यादा है, तो किसी प्रोफेशनल थेरेपिस्ट या काउंसलर की मदद लें। यहां आप बिना किसी डर या झिझक के अपनी बात कह सकते हैं और मानसिक दबाव से राहत पा सकते हैं।
सपोर्ट ग्रुप से जुड़ें
आप किसी सोशल मीडिया पर किसी सपोर्ट ग्रुप से जुड़ सकते हैं और बेझिझक अपनी समस्या रख सकते हैं। इसके अलावा खुद को भी अपनी देखभाल पहले से ज्यादा करनी पड़ सकती है। जैसे कि पर्याप्त नींद लेना, कम नींद लेने से समस्या बढ़ सकती है, डाइट में पौष्टिक आहार लेना, नियमित व्यायाम करना आदि। ये सभी आदतें अपनाकर आप मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ अपने शारीरिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रख सकती हैं।
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