



नई दिल्ली। Tahavvur Rana Extradition: 26/11 हमले के आरोपी तहव्वुर राणा को बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने उसकी भारत प्रत्यर्पण पर रोक लगाने वाली याचिका ख़ारिज कर दी है। जज एलेना कगान ने तहव्वुर राणा की भारत प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की याचिका को ख़ारिज कर दिया है। दरअसल, तहव्वुर राणा 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले का दोषी है औ।र इस समय वह अमेरिका की जेल में बंद है। हाल ही में हुई ट्रंप और मोदी की मुलाकात में उसे भारत भेजने पर सहमति बनी थी। इसके बाद ही तहव्वुर राणा ने भारत प्रत्यर्पण किए जाने से बचने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में उसने कहा था कि, अगर मुझे भारत प्रत्यर्पित किया गया तो मुझे प्रताड़ित किया जाएगा। ऐसे में मैं वहां भारत में ज्यादा सर्वाइव नहीं कर पाऊंगा इसलिए मेरे प्रत्यर्पण पर इमरजेंसी स्टे लगाया जाए।
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काम नहीं आया पाकिस्तान कार्ड
अमेरिका की जेल में बंद मुंबई हमले के इस दोषी ने याचिका में दलील दी थी कि वह पाकिस्तान का मूल मुस्लिम है, इसलिए भारत में उसे बहुत ज्यादा प्रताड़ित किया जायेगा, जिसे वह झेल नहीं पायेगा। उसने कोर्ट को बताया कि, ह्यूमन राइट्स वॉच 2023 की वर्ल्ड रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की भाजपा सरकार धार्मिक अल्पसंख्यकों खासकर मुस्लिमों के साथ भेदभाव करती है, भारत की सरकार लगातार तानाशाही होती जा रही है। ऐसे में भी अगर उसे भारत को सौंपा गया तो उसे प्रताड़ित किया जाएगा। तहव्वुर राणा ने याचिका में कहा था कि, वह कई तरह की बीमारियों से जूझ रहा है, उसे पार्किंसंस की भी समस्या है इसलिए उसे ऐसी जगह नहीं भेजा जाए, जहां राष्ट्रीय, धार्मिक और सांस्कृतिक आधार पर उसे प्रताड़ित किया जायेगा।
आर्मी में था डॉक्टर
बता दें कि, तहव्वुर राणा का जन्म पाकिस्तान में हुआ था। उसने पाकिस्तान में ही आर्मी मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई की और वहीं बतौर डॉक्टर 10 साल तक काम किया, लेकिन वह अपने काम से संतुष्ट नहीं था, इसलिए उसने नौकरी छोड़ दी और आतंकी गतिविधियों में जुट गया। भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों में शामिल रहने वाला तहव्वुर राणा वर्तमान में कनाड़ा का नागरिक है। हालांकि वह शिकागो का निवासी भी रह चुका था, यहां उसका बिजनेस है।
मुंबई हमले को पहनाया था अमली जामा
कोर्ट में जमा किये गये दस्तावेजों के मुताबिक, वह पाकिस्तान, जर्मनी, इंग्लैंड और कनाडा की भी यात्राएं कर चुका है। वह लगभग 7 भाषाएं बोल सकता है। दस्तावेज बताते हैं कि साल 2006 से लेकर नवंबर 2008 तक तहव्वुर राणा ने पाकिस्तान में डेविड हेडली और दूसरे लोगों के साथ मिलकर मुंबई हमले की साजिश रची थी और फिर आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और हरकत उल जिहाद ए इस्लामी के साथ मिलकर इसे अमली जामा पहनाने का काम किया था। मुंबई हमले का दोषी आतंकी डेविड हेडली इस मामले में अब सरकारी गवाह बन गया है।
26 नवंबर 2008 का हमला
गौरतलब है कि, देश की राजधानी मुंबई 26 नवंबर 2008 को आतंकी हमले से दहल गई थी। यहां एक साथ कई जगहों पर हमले हुए थे। इस हमले में 160 से अधिक लोगों की जान गई थी। वहीं 11 जवान भी शहीद हुए थे। इस दौरान 60 घंटे से अधिक समय तक पूरी मुंबई दहशत के साये में रही। ये हमला भारत के इतिहास में दर्ज वह काला दिन है, जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकता है। आतंकियों के इन हमलो को नाकाम करने के लिए 200 एनएसजी कमांडो और सेना के 50 कमांडो को मुंबई भेजा गया। इसके अलावा सेना की पांच टुकड़ियां भी आतंकियों से लोहा ले रही थी। वहीं नौसेना को भी अलर्ट पर रखा गया था।
ये जवान हुए थे शहीद
इस हमले के आतंकियों से लोहा लेते हुए मुंबई पुलिस, एटीएस और एनएसजी के 11 जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे, जिनमें एटीएस के प्रमुख हेमंत करकरे, एसीपी सदानंद दाते, एनएसजी के कमांडो मेजर संदीप उन्नीकृष्णन, एसीपी अशोक कामटे, इंसपेक्टर सुशांत शिंदे, एनकाउंटर स्पेशलिस्ट एसआई विजय सालस्कर, , एसआई प्रकाश मोरे, जयवंत पाटिल, एसआई दुदगुड़े, एएसआई नानासाहब भोंसले, कांस्टेबल विजय खांडेकर,योगेश पाटिल, अंबादोस पवार और एम.सी. चौधरी और एएसआई तुकाराम ओंबले शामिल थे।
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