



बांग्लादेश। Political Crisis In Bangladesh: बांग्लादेश की सियासत में एक बार फिर से उथल-पुथल मच गई है। शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद यहां की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार और नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस ने गुरुवार 22 मई को हुई सलाहकार परिषद की बैठक में इस्तीफा देने की पेशकश की। बैठक में यूनुस ने बांग्लादेश की वर्तमान परिस्थितियों में काम करने में असमर्थता जताई। उन्होंने कहा, अगर उन्हें सभी राजनीतिक दलों से पूर्ण समर्थन नहीं मिलेगा तो वे अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं।
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दिसंबर 2025 तक चुनाव की मांग
बता दें कि, मो. युनुस का ये बयान ऐसे समय में आया है, जब वहां की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और सेना ने आम चुनाव कराने की मांग तेज कर दी है। बीएनपी और सेना का कहना है कि दिसंबर 2025 तक चुनाव हर हाल में होना चाहिए। दरअसल, बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वॉकर-उज-जमान ने बुधवार को अंतरिम सरकार को स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी थी कि, वह दिसंबर 2025 तक चुनाव कराए, नहीं तो उसे इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। सेना का कहना है, यूनुस सरकार ने रखाइन कॉरिडोर जैसे एकतरफा फैसले और सैन्य मामलों में हस्तक्षेप से देश की संप्रभुता को खतरे में डाल दिया है।
बीएनपी ने निकाली विशाल रैली
इधर, बीएनपी ने भी युनूस सरकार के खिलाफ गुरुवार को ढाका में एक विशाल रैली निकाली। इस रैली में हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए। रैली में लोगों को संबोधित करते हुए बीएनपी ने स्पष्ट रोडमैप के साथ समय से पहले चुनाव कराने और यूनुस सरकार के नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) से जुड़े, दो सलाहकारों के इस्तीफे की मांग भी की। इस दौरान, वरिष्ठ बीएनपी नेता खांडेकर मुशर्रफ हुसैन ने कहा, आम चुनावों के लिए रोडमैप का ऐलान सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ तत्काल होना चाहिए।”
शेख हसीना को छोड़ना पड़ा देश
गौरतलब है कि, मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार अगस्त 2024 में शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद सत्ता में आई थी। इसके बाद छात्रों के एक विशाल आंदोलन ने हसीना को रातों रात देश छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था। हालांकि, अब वही छात्र समूह, खासकर नाहिद इस्लाम के नेतृत्व वाली नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) और जमात-ए-इस्लामी जैसे इस्लामी संगठन यूनुस सरकार के खिलाफ सड़क पर उतर आये हैं। शुक्रवार की नमाज के बाद ढाका कैंट और बांग्लादेश सचिवालय की ओर बड़े पैमाने पर प्रदर्शन की योजना बनाई गई है, जिससे हिंसा की आशंका बढ़ गई है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में गुरुवार रात ढाका में मशाल जुलूस निकाला गया, जो अशांति की तरफ इशारा कर रहा है।
उभर रहे कट्टरपंथी संगठन
बता दें कि, वर्तमान समय में बांग्लादेश काफी गंभीर संकट से जूझ रहा है। यहां राजनीति हलचल तो मची ही है, साथ ही अर्थव्यवस्था भी गहरे संकट में है। बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, विदेशी मुद्रा भंडार में कमी और टका के अवमूल्यन ने यहां की जनता की मुसीबतें और बढ़ा दी हैं। ऊपर से आये दिन हो रहे आन्दोलन से उपजी अस्थिरता खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। यूनुस की अंतरिम सरकार बनते ही यहां कट्टरपंथियों का बोलबाला बढ़ गया है। हसीना के शासन में दबाये गये कट्टरपंथी संगठन फिर से पूरी मजबूती के साथ उभरने लगे हैं, जिससे सामाजिक तनाव भी गहरा रहा है।
हसीना ने यूनुस पर बोला हमला
हाल ही में यहां के कुछ कट्टरपंथी समूहों ने किशोर लड़कियों के फुटबॉल मैच को रोकने के लिए विरोध प्रदर्शन किया और ढाका में इस्लामिक खिलाफत की मांग की। यूनुस पर इन समूहों को नियंत्रित करने में विफल रहने का आरोप है। भारत में निर्वासन का जीवन बिता रहीं शेख हसीना ने यूनुस सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए उन्हें “गुंडा” कहा। साथ ही उन पर देश में आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। इससे पहले, यूनुस ने भारत सरकार से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की थी, लेकिन भारत ने इस पर अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है। बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद वहां बड़ी संख्या में आंदोलनकारियों ने उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं को निशाना बनाया।
छात्रों को भड़काने की रणनीति
पहले यूनुस ने कहा था कि, व्यापक सुधारों, जैसे सटीक मतदाता सूची तैयार करना और संवैधानिक सुधार आदि के बाद ही देश में चुनाव संभव होगा और ये काम 2025 के अंत या 2026 की शुरुआत तक पूरा हो सकता है। अब बीएनपी और सेना की मांगे इस समय सीमा को चुनौती देने वाली है। कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि, यूनुस का इस्तीफा देने वाला बयान छात्रों और इस्लामवादियों को सेना और बीएनपी के खिलाफ भड़काने की रणनीति हो सकती है।
तनावपूर्ण हैं हालात
शुक्रवार को नमाज के बाद ढाका में होने वाला प्रदर्शन स्थिति को और तनावपूर्ण बना सकता है। यूनुस के संभावित इस्तीफे, सेना के सख्त रुख और बीएनपी की रैली से देश में राजनीतिक तनाव गहरा गया है। इसका बांग्लादेश की सियासत, अर्थव्यवस्था और जनता पर कैसा असर पड़ेगा, ये तो आने वाला वक्त ही बतायेगा। फ़िलहाल, जो भी हो रहा है, उसका सबसे ज्यादा खामियाजा वहां रह रहे हिन्दुओं को भुगतना पड़ रहा है।
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