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Trump-Munir Meeting: ट्रंप-मुनीर मुलाकात से आया कूटनीतिक भूचाल, ईरान के खिलाफ हो सकता है पाकिस्तान का इस्तेमाल

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Trump-Munir Meeting:

अमेरिका। Trump-Munir Meeting:  एक तरफ इजराइल-ईरान युद्ध चरम पर है, तो वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान के फील्ड मार्शल असीम मुनीर की व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात कई कूटनीतिक सवाल खड़े कर रही है। जैसे कि, क्या अमेरिका ईरान के खिलाफ पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल करेगा। इसका जवाब खुद ट्रंप और पाकिस्तान की सेना दे रही है। असीम मुनीर से हुई इस मुलाक़ात के बाद ट्रंप ने संवाददाताओं से कहा, ‘जनरल मुनीर की मेजबानी करने का सौभाग्य मिला। उन्होंने कहा,  इस मुलाकात के दौरान हमने ईरान और इजराइल के बीच चल रहे संघर्ष सहित कई अहम मुद्दों पर चर्चा की। ट्रंप ने कहा, पाकिस्तान ईरान को बहुत अच्छी तरह जानता है, शायद सबसे बेहतर और वह इस स्थिति से भी खुश नहीं है।

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इजराइल-ईरान संघर्ष पर चर्चा

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ट्रंप ने आगे कहा, ऐसा नहीं है कि, पाकिस्तान इजराइल के साथ बुरा है। वह दोनों देशों को अच्छे से जानता है, लेकिन शायद ईरान को सबसे ज्यादा अच्छे से जानता है। पाकिस्तान ये देख भी रहा है कि, इस समय क्या हो रहा है। ट्रंप ने कहा, मुनीर ने मेरी बातों से सहमति भी जताई है। इधर, इस्लामाबाद में गुरूवार को पाकिस्तानी सेना ने कहा, ‘पाकिस्तान के फील्ड मार्शल जनरल आसिम मुनीर और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई इस मुलाकात के दौरान ईरान-इजराइल के बीच हो रहे संघर्ष को लेकर विस्तृत चर्चा हुई और दोनों नेताओं ने इसके समाधान पर जोर दिया।

सहयोग बढ़ाने पर चर्चा

पाकिस्तानी सेना ने कहा, डोनाल्ड ट्रंप ने दीर्घकालिक रणनीतिक हितों के आधार पर पाकिस्तान के साथ पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापारिक संबंध विकसित करने में गहरी रुचि दिखाई। ऐसे में सवाल यह है कि, मुनीर के साथ बैठक में क्या ट्रंप ने पाकिस्तान पर ईरान के खिलाफ संभावित सैन्य कार्रवाई के लिए हवाई क्षेत्र और खुफिया जानकारी साझा करने का दबाव बनाया? पाकिस्तान की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि, वह ईरान के पड़ोस में है। यह स्थिति उसे क्षेत्र में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाती है। यह भी बताया जा रहा है कि ट्रंप ने पाकिस्तान के साथ व्यापार और आतंकवाद विरोधी सहयोग बढ़ाने की संभावनाओं पर भी चर्चा की।

तनाव चरम पर

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हाल के महीनों में ईरान और इजरायल के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। इजरायल की तरफ से ईरान के सैन्य ठिकानों पर हवाई हमले किए गए हैं। इसके जवाब में ईरान ने कड़ा जवाब देने की धमकी दी है। ऐसे में इजरायल का प्रमुख सहयोगी अमेरिका क्षेत्र में अपनी सैन्य रणनीति को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। इसराइल द्वारा ईरान के सैन्य ठिकानों पर हवाई हमले किए गए हैं। इसके जवाब में ईरान ने कड़ी प्रतिक्रिया देने की धमकी दी है। इस स्थिति में इजराइल का प्रमुख सहयोगी अमेरिका क्षेत्र में अपनी सैन्य रणनीति को मज़बूत करने की कोशिश कर रहा है।

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ट्रंप ने की मुनीर की तारीफ़

ट्रंप ने इस बैठक में यह भी दावा किया कि, उनकी मध्यस्थता से भारत और पाकिस्तान के बीच एक खतरनाक परमाणु युद्ध टल गया। इसके लिए उन्होंने जनरल मुनीर की तारीफ की और यहां तक ​​कहा कि, मुनीर उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करना चाहते थे। हालांकि, सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स ने इस दावे को ट्रंप की अतिरंजित शैली का हिस्सा बताया, तो अन्य ने इसे क्षेत्रीय तनाव कम करने में पाकिस्तान की भूमिका के तौर पर देखा। एक यूजर ने लिखा, ‘ट्रंप ने मुनीर को इसलिए बुलाया क्योंकि वे ईरान पर हमला करने के लिए पाकिस्तान के एयरस्पेस और रनवे का इस्तेमाल करना चाहते हैं।

पाकिस्तान को मुश्किल में डाल सकता है अमेरिकी दबाव

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पाकिस्तान इस स्थिति में न कहने की स्थिति में नहीं है।’ यह बैठक पाकिस्तान के लिए मुश्किल कूटनीतिक चुनौती लेकर आई है। एक तरफ, तो वह अमेरिका के साथ अपने संबंधों को मजबूत करना चाहता है, जो उसे आर्थिक और सैन्य मदद देता है। दूसरी तरफ ईरान के साथ उसके पड़ोसी संबंध और साझा सीमा इसे एक संवेदनशील मुद्दा बनाती है। माना जा रहा है कि, पाकिस्तान इस स्थिति में तटस्थ रहने की कोशिश करेगा, लेकिन अमेरिकी दबाव उसे मुश्किल में डाल सकता है।

भारत भी रख रहा नजर

सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में संकेत दिया गया है कि, ट्रंप ने मुनीर से ईरान के खिलाफ खुफिया जानकारी साझा करने और हवाई क्षेत्र के इस्तेमाल के लिए कहा। यह मांग इसलिए भी अहम है क्योंकि पाकिस्तान पहले भी अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य अभियानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र के इस्तेमाल की इजाजत दे चुका है। इस मुलाकात ने भारत समेत क्षेत्रीय ताकतों की चिंता बढ़ा दी है। ईरान के साथ मजबूत आर्थिक और रणनीतिक संबंध रखने वाले भारत इस घटनाक्रम पर करीबी नजर रख रहा है। कुछ लोग इसे अमेरिका और पाकिस्तान के बीच बढ़ती नजदीकियों के तौर पर देख रहे हैं, जो भारत की क्षेत्रीय रणनीति के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

ईरान के खिलाफ ट्रंप का कड़ा रुख

वैश्विक स्तर पर यह मुलाकात अमेरिका की ईरान नीति में बदलाव का संकेत दे सकती है। ट्रंप प्रशासन पहले भी ईरान के खिलाफ कड़ा रुख अपना चुका है और इस मुलाकात को इजरायल के समर्थन में अमेरिका की सक्रियता के तौर पर देखा जा रहा है। ट्रंप और मुनीर के बीच यह मुलाकात न केवल अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों के लिए बल्कि पूरे दक्षिण एशिया और मध्य पूर्व के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस मुलाकात का क्षेत्रीय शक्ति संतुलन, ईरान-इजराइल तनाव और अमेरिकी विदेश नीति के भविष्य पर गहरा असर हो सकता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या पाकिस्तान अमेरिकी दबाव में आएगा या अपने पड़ोसी ईरान के साथ संतुलन बनाए रखेगा?

 

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