



नई दिल्ली Muslims In Countries: दुनिया भर में करीब 1.9 अरब मुसलमान रहते हैं। धरती पर इतनी बड़ी आबादी के साथ इस्लाम यहां दूसरा सबसे बड़ा धर्म है। यह सबसे तेजी से बढ़ते धर्मों में से भी एक है। इस्लाम में 1.5 अरब सुन्नी और 25-35 करोड़ शिया मुसलमान हैं। दुनिया में फिलहाल 50 देश ऐसे हैं, जहां 50 फीसदी से ज्यादा आबादी मुस्लिम है। इन्हें मुस्लिम बहुल देश कहा जाता है।
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इस देशों में है सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी
वैसे तो मुसलमानों की आबादी पूरी दुनिया में रहती है, लेकिन सबसे ज्यादा मुसलमान उत्तरी और मध्य अफ्रीका, मध्य पूर्व, दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में रहते हैं। ये वो क्षेत्र हैं जहां 90 फीसदी से ज्यादा आबादी मुस्लिम हैं, लेकिन क्या कभी ऐसा होगा कि, कुछ देशों में एक भी मुसलमान न बचें या वहां मुसलमानों की संख्या नगण्य हो जाए? अगर ऐसा हुआ तो इसका क्या कारण होगा?
कुछ देशों ने नहीं बचेंगे मुसलमान!
कल्पना कीजिए कि, अगर आज से 50 साल बाद कुछ देशों में एक भी मुसलमान न बचे। क्या भारत ऐसे देशों में शामिल होगा? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब ढूंढ पाना बेहद मुश्किल है। हालांकि ये सब पलायन, धर्म परिवर्तन और जनसांख्यिकीय, सामाजिक और राजनीतिक बदलावों पर निर्भर करता है। किसी सटीक भविष्यवाणी या रुझान के आधार पर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।
2050 तक दोगुनी हो जाएगी आबादी
हालांकि, कुछ संभावनाएं हैं जिनके आधार पर ये कहा जा सकता है कि, आज से 50 साल बाद कुछ देशों में मुसलमानों को लेकर क्या स्थिति होगी। प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट (2015) के मुताबिक मुस्लिम आबादी दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली आबादी में से एक है। साल 2015 में ये 1.8 अरब थी, अगर इनकी संख्या इसी तरह बढ़ती रही तो साल 2050 तक ये दोगुनी से भी ज्यादा होकर करीब 2.76 अरब हो जाएगी।
…तो खत्म हो जाएगी मुस्लिम आबादी
इसकी वजह धर्म परिवर्तन, तेजी से बढ़ती जन्म दर और युवा आबादी है। अभी तक यह भविष्यवाणी करना कठिन है कि, अगले 50 वर्षों में कोई ऐसा देश होगा, जहां मुस्लिम आबादी पूरी तरह से खत्म हो जाएगी, लेकिन कुछ परिस्थितियों में उनकी संख्या नगण्य हो जाने की संभावना व्यक्त की जा सकती है। छोटे देशों में जनसंख्या परिवर्तन इसका एक बड़ा कारण हो सकता है। उदाहरण के लिए माइक्रोनेशिया, नाउरू, तुवालु जैसे देशों में मुस्लिम आबादी 1% से भी कम है। अगर मुस्लिम यहां से पलायन नहीं करते या दूसरे धर्म के लोग इस्लाम नहीं अपनाते तो यहां की मुस्लिम आबादी पूरी तरह खत्म हो सकती है।
चेक रिपब्लिक में 0.2% से भी कम हैं मुस्लिम
इस समय चेक रिपब्लिक और एस्टोनिया में मुस्लिमों की संख्या 0.2% से भी कम है। इसका कारण धर्मनिरपेक्षता है। यहां भी माइक्रोनेशिया, नाउरू, तुवालु जैसी स्थिति देखने को मिल सकती है। अगर लोग इस धर्म को नहीं अपनाते या मुस्लिम दूसरे धर्म में शादी करते रहते हैं या दूसरे देशों के मुस्लिम यहां नहीं बसते।
सामाजिक दबाव बनेगा पतन का कारण
कई बार राजनीतिक और सामाजिक दबाव भी मुसलमानों के पतन का कारण बन रहा है। उदाहरण के लिए म्यांमार जैसे देश में रोहिंग्या अल्पसंख्यक हैं और उन्हें उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। अगर यहां भी ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले समय में म्यांमार में मुसलमान लगभग नगण्य रह जाएंगे।
सीरिया और यमन जैसे देशों में कम हुई जनसंख्या
अब अगर सीरिया और यमन जैसे देशों का उदाहरण देखें, तो युद्ध जैसे हालातों के कारण लाखों मुसलमान पहले ही यहां से पलायन कर चुके हैं। ऐसे में ये देश लगभग वीरान हो गए हैं। निष्कर्ष के तौर पर कहें, तो आज से 50 साल बाद किसी भी बड़े देश में मुस्लिम आबादी पूरी तरह खत्म नहीं हो सकती है, लेकिन अगर ऊपर बताई गई शर्तें लागू होती हैं, तो आबादी लगभग नगण्य होने की संभावना है।
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