



नई दिल्ली। Indo-Pak Tensions: पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध के आसार बन गए हैं। ऐसे में कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि, पाकिस्तान भारत के साथ लंबी लड़ाई नहीं लड़ सकता। पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने भी इस बात को स्वीकार किया है।
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खाली है युद्ध भंडार
एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान समय में पाकिस्तानी सेना के तोपखाने के गोला-बारूद की भारी कमी हो गई है, जिससे उसकी युद्धक क्षमता सिर्फ 4 दिनों तक ही सीमित रह गई है। ऐसे में अगर भारत उस पर हमला करता है, तो पाकिस्तान भारत के सामने चार दिन से ज्यादा नहीं टिक सकेगा। पाकिस्तान के पास गोला बारूद की कमी की मुख्य वजह यूक्रेन के साथ उसका हालिया हथियार सौदा है, जिससे उसका युद्ध भंडार खाली हो गया है।
संकट में हैं पाक के उद्योग जगत
मौजूदा समय में, भारतीय अर्थव्यवस्था 6.5 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर के साथ तेजी से आगे बढ़ रही है, जबकि पाकिस्तान की जीडीपी वृद्धि दर केवल 2 फीसदी है। पाकिस्तान में अधिकांश उद्योग संकट में हैं, जिससे आर्थिक प्रगति लगभग जीरो हो गई है। भारत का मुकाबला करने के लिए तेजी से लामबंदी करने पर केंद्रित पाकिस्तान का सैन्य सिद्धांत तोपखाने और बख्तरबंद इकाइयों पर टिका हुआ है। अप्रैल 2025 में, एक्स पर एक सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया गया था कि, पाकिस्तान के तोपखाने से 155 मिमी के गोले यूक्रेन भेजे गए थे, जिससे उसका भंडार काफी कम हो गया है।
पाक ने सीमा पर बनाए डिपो
पूर्व पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने इन सीमाओं को स्वीकार करते हुए कहा था कि, पाकिस्तान के पास भारत के साथ दीर्घकालिक संघर्ष लड़ने के लिए गोला-बारूद और आर्थिक ताकत की कमी है। सूत्रों का कहना है कि, खुफिया रिपोर्टों से पता चल रहा है कि, पाकिस्तान ने संभावित संघर्ष की आशंका में भारत-पाकिस्तान सीमा के पास गोला-बारूद के डिपो तो बनाये हैं, लेकिन उसके पास गोला-बारूदों की भारी कमी हो गई है।
खाली हैं पाक के शस्त्रागार
दरअसल, पाकिस्तान ने अपने गोला-बारूद दूसरे देशों के युद्धों में भेजे हैं, जिससे वह इस समय कमजोर स्थिति में है, क्योंकि उसके शस्त्रागार खाली हो गए हैं। अब स्थिति ये है कि थोड़े से लाभ के लिए उसने अपना बड़ा नुकसान कर लिया है, जो उसके लिए घातक साबित हो सकता है। इसके अलावा, पाकिस्तान के आर्थिक संकट, जिसमें उच्च मुद्रास्फीति, बढ़ता कर्ज और घटता विदेशी मुद्रा भंडार शामिल है, ने भी सेना की परिचालन क्षमताओं को प्रभावित किया है। ईंधन की कमी ने सेना को राशन में कटौती करने, सैन्य अभ्यास स्थगित करने और निर्धारित युद्ध खेलों को रोकने के लिए मजबूर किया है।
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