



अयोध्या। Ayodhya Mosque Plan: अयोध्या में 500 वर्षों से अधिक समय से चल रहा मन्दिर-मस्जिद विवाद 2019 में आये सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद समाप्त हो गया है और विवादित स्थल पर भव्य राम मन्दिर का निर्माण भी हो गया, लेकिन कोर्ट के फैसले के बाद मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के लिए जो जमीन आवंटित की गई थी, उस पर मस्जिद की एक ईंट भी नहीं रखी गई। इस संबंध में एक आरटीआई दाखिल की गई है, जिसमें खुलासा हुआ है कि निर्माण योजना ही ख़ारिज हो गई है।
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विभागों ने नहीं जारी की NOC
एक रिपोर्ट में बताया गया है कि, मस्जिद के निर्माण को लेकर सूचना के अधिकार ( RTI) के तहत एक अर्जी दी गई थी, जिसमें पता चला है कि अयोध्या विकास प्राधिकरण (ADA) ने सोहावल तहसील के धन्नीपुर गांव में बनने वाली मस्जिद के ले आउट प्लान को ख़ारिज कर दिया है क्योंकि विभिन्न सरकारी विभागों ने अनिवार्य अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी नहीं किये, जिससे मस्जिद की लिए आवंटित जमीन पर निर्माण कार्य नहीं शुरू हो सका।
2020 में आवंटित हुई थी जमीन
उल्लेखनीय है कि, सुप्रीम कोर्ट ने नौ नबंर 2019 को अयोध्या में मन्दिर-मस्जिद विवाद पर फैसला सुनाया था, जो राम मन्दिर के पक्ष में था। साथ ही कोर्ट ने मस्जिद के लिए उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन आवंटित करने का आदेश दिया था। कोर्ट के आदेश के बाद तीन अगस्त 2020 को अयोध्या के तत्कालीन जिलाधिकारी अनुज चौधरी ने सोहावल तहसील के धन्नी पुर गांव में पांच एकड़ जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को आवंटित भी कर दी। इसके बाद 23 जून 2021 को मस्जिद ट्रस्ट ने योजना की मंजूरी के लिए आवेदन किया, लेकिन तब से अब तक मंजूरी को लेकर को अपडेट नहीं आया।
बतौर शुल्क जमा हुए थे 4 लाख रुपए
इसे लेकर बीते 16 सितंबर को एक स्थानीय पत्रकर ने आरटीआई दखिल की और मस्जिद निर्माण से जुड़ी अपडेट मांगी, जिस पर जवाब देते हुए एडीए ने स्वीकार किया कि मस्जिद ट्रस्ट ने आवेदन और जांच शुल्क के रूप में चार लाख रूपये का भुगतान किया था। एडीए ने जानकारी दी कि, प्रदूषण नियंत्रण, पीडब्ल्यूडी, सिंचाई और राजस्व विभाग, नागरिक उड्डयन विभाग, नगर निगम, जिला मजिस्ट्रेट और अग्निशमन सेवा से अनापत्ति प्रमाण पत्र मांगा गया था, जो उन्होंने जारी नहीं किया, जिससे निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका।
मस्जिद ट्रस्ट के सचिव बोले
इस बारे में मस्जिद ट्रस्ट के सचिव अतहर हुसैन का कहना है कि, सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद के लिए जमीन देना अनिवार्य कर दिया था, जिससे प्रदेश सरकार ने हमें भूमि आवंटित करा दी, लेकिन मैं ये जानकर हैरान हूं कि, सरकारी विभागों ने एनओसी क्यों नहीं दी और मस्जिद के ले आउट प्लान को प्राधिकरण ने ख़ारिज क्यों कर दिया।
अग्निशमन विभाग ने किया था स्थलीय निरीक्षण
अतहर ने बताया कि, मस्जिद और अस्पताल की ऊंचाई को लेकर अग्निशमन विभाग ने स्थल का निरीक्षण किया था, जिसके अनुसार पहुंच मार्ग की चौड़ाई 12 मीटर होनी चाहिए, लेकिन मौके पर पहुंच मार्ग छह मीटर से अधिक नहीं था और मुख्य पहुंच मार्ग मात्र चार मीटर चौड़ा था। अतहर ने आगे कहा, अग्निशमन विभाग की आपत्ति के अलावा उन्हें किसी और विभाग से आपत्ति की कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा, “अब आरटीआई जवाब से हमें सरकारी विभागों से आपत्ति का पता चल गया है, तो अब हम आगे की कार्रवाई करेंगे।
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