



Bangladeshi Infiltrators: राजधानी दिल्ली में अगले साल चुनाव होने हैं। दिल्ली में आम चुनाव के दौरान बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा बार-बार उठ रहा है। आरोप है कि बांग्लादेश से आये घुसपैठिए अब दिल्ली के मतदाता बन गए हैं। इस मुद्दे को लेकर बीजेपी लगातार आम आदमी सरकार पर हमलावर है। ये घुसपैठिए सिर्फ दिल्ली में ही नहीं बल्कि देश के अन्य कई राज्यों में बसे हैं। ये मुंबई और त्रिपुरा में भी बड़ी संख्या में रह रहे हैं।
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दिल्ली पुलिस चला रही अभियान
दिल्ली पुलिस राजधानी में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ लगातार अभियान चला रही है। इसी कड़ी में दक्षिणी दिल्ली पुलिस ने सात अवैध अप्रवासियों को गिरफ्तार कर निर्वासित कर दिया है। पुलिस ने झुग्गियों और संदिग्ध इलाकों में तलाशी अभियान चलाया था। पिछले शनिवार (28 दिसंबर) को टीम ने फतेहपुर बेरी थाना क्षेत्र के अर्जनगढ़ मेट्रो स्टेशन के पास छापेमारी के दौरान मोहम्मद उमर फारूक, रियाज मियां उर्फ रेमन खान सहित पांच महिलाओं को गिरफ्तार किया था। जांच के दौरान इन बांग्लादेशी नागरिकों के पास बांग्लादेशी नागरिकता के दस्तावेज मिले जिससे उनकी पहचान की पुष्टि हुई।
उत्कृष्ट काम करने वाले अधिकारी किए जाएंगे पुरस्कृत
स्थानीय मुखबिरों, समुदाय के सदस्यों और सीसीटीवी कैमरों का उपयोग करके, पुलिस ने संदिग्ध अप्रवासियों के बारे में जानकारी जुटाई है। इस ऑपरेशन में शामिल पुलिस अधिकारियों की उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए उचित पुरस्कारों की भी घोषणा की गई है। 24 दिसंबर को पुलिस ने दिल्ली के कालिंदी कुंज थाना क्षेत्र में चेकपॉइंट लगाकर बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान करने की कवायद शुरू की। पुलिस ने इस संबंध में मदनपुर कोडल के कंचन कुंज इलाके में कई लोगों से पूछताछ की।
100 से अधिक लोग किये गये अरेस्ट
बता दें कि बांग्लादेश में बिगड़ते हालात का असर भारत पर भी पड़ा है। त्रिपुरा में रेप की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। दरअसल, त्रिपुरा तीन तरफ से बांग्लादेश से घिरा हुआ है। हाल ही में, नकली आधार कार्ड का इस्तेमाल करके भारत में घुसने की कोशिश करने के आरोप में 100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया था। खबर है कि ये आधार कार्ड भारत में बनाये जाते हैं और बांग्लादेशी नागरिक भारत में प्रवेश करने के लिए इनका उपयोग करते हैं।
प्रशासन के लिए चुनौती बनी पहचान
ये लोग काम और रोजगार की तलाश में भारत में घुसपैठ करते हैं। इसके लिए ये बिचौलियों के माध्यम से फर्जी दस्तावेज बनवाते हैं और फिर सीमावर्ती इलाकों में प्रवेश करते हैं। इसके बाद ये लोग देश के अन्य हिस्सों में आसानी से पहुंचते हैं। इस तरह से घुसपैठ करने वालों की पहचान करना प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ है। वजह है कि आधार कार्ड फर्जी है या असली, इसकी जांच करने के लिए प्रशासन के पास पर्याप्त तकनीकी सुविधाएं नहीं हैं। यह स्थिति राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर ख़तरा है।
बीएसएफ की जिम्मेदारी है घुसपैठियों को रोकना
हाल ही में पुलिस ने पश्चिम बंगाल के कोलकाता, उत्तरी 24 परगना और नादिया जिलों से दो महिलाओं समेत 13 बांग्लादेशी घुसपैठियों को गिरफ्तार किया था। इस घुसपैठ में शामिल पांच दलालों को भी पुलिस ने दबोच लिया था। कई घुसपैठियों ने इन दलालों के घर में पनाह ली थी। पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राजीव कुमार ने रविवार को कहा कि बांग्लादेश से घुसपैठ रोकना सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की जिम्मेदारी है। डीजीपी राजीव कुमार ने कहा कि केंद्रीय सुरक्षा बलों की खामियों के बावजूद राज्य पुलिस इस मुद्दे से प्रभावी ढंग से निपट रही है। आईपीएस अधिकारी ने पुलिस की कार्यशैली की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह घुसपैठ की समस्या से सफलता पूर्वक निपट रही है।
मुंबई के गिरफ्तार किए गए घुसपैठिए
महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने अवैध रूप से भारत में रहने के आरोप में छह महिलाओं सहित 16 बांग्लादेशी घुसपैठियों को गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी राज्य में एक विशेष पुलिस अभियान के दौरान की गयी। अधिकारी ने कहा कि नवी मुंबई पुलिस के सहयोग से 24 घंटे के भीतर ठाणे और सोलापुर में ऑपरेशन चलाया गया। अधिकारी ने एक न्यूज एजेंसी को बताया कि तीनों मामले उनके खिलाफ विदेशी अधिनियम और अन्य संबंधित कानूनों के तहत दर्ज किए गए हैं। इन बांग्लादेशी अपराधियों के पास आधार कार्ड समे कई भारतीय दस्तावेज बरामद हुए हैं, जो फर्जी थे।
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