



महाराष्ट्र। Aurangzeb Controversy: महाराष्ट्र में औरंगजेब को लेकर दिए गये अबू अजमी के बयान के बाद से शुरू हुआ विवाद अब थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसकी गूंज उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार तक सुनाई पड़ी थी। अब महाराष्ट्र के संभाजीनगर में स्थित औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग की जा रही है। इसका समर्थन खुद वहां के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने किया है। वहीं, कांग्रेस, शिवसेना और एमएनएस ने भी उनके सुर में सुर मिलाया है।
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CM देवेन्द्र फडणवीस ने जताई इच्छा
औरंगजेब की कब्र को हटाने को लेकर मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा, इसे हटाने की इच्छा तो हमारी भी है, लेकिन यह संरक्षित स्थल है। इसे कांग्रेस की सरकार ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के संरक्षण में दे दिया था। मुख्यमंत्री के इस बयान का जवाब देते हुए कांग्रेस के नेता नाना पटोले ने कहा, देवेंद्र फडणवीस तीन बार महाराष्ट्र के सीएम रह चुके हैं, हर बार कांग्रेस पर आरोप लगाना ठीक नहीं है, मौजूदा हालात को देखते हुए सरकार को स्वयं निर्णय लेना चाहिए।
आक्रमणकारी का नहीं होना चाहिए महिमामंडन
इस पर पलटवार करते हुए बीजेपी नेता सुधीर मुंगंटीवार ने कहा, मैंने अफजल की कब्र से अतिक्रमण हटाया था, तो मेरा इस मुद्दे पर विचार अलग कैसे हो सकता है ?, लेकिन महाविकास अघाड़ी की सरकार कब्र को नहीं हटाना चाहती थी, जबकि हमारी सरकार इसे हटाने के पक्ष में है।’ उन्होंने आगे कहा, औरंगजेब जैसे दुर्दांत आक्रमणकारी का महिमामंडन नहीं किया जाना चाहिए, वह रावण के बाद सबसे बड़ा दुष्ट और अत्याचारी था। इस मुद्दे पर शिवसेना की तरफ से भी बयान आया है। शिवसेना नेता शंभूराजे देसाई का कहना है कि, हमारी सरकार औरंगजेब की कब्र को हटाने का समर्थन करती है। इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री और दोनों उपमुख्यमंत्री केंद्र सरकार से बातचीत करेंगे।
महाराष्ट्र में नहीं होनी चाहिए कब्र
शिवेंद्रराजे भोसले ने भी औरंगजेब की कब्र हटाने का समर्थन करते हुए कहा, उसकी कब्र महाराष्ट्र में रहनी ही नहीं चाहिए, इसमें किसी को गलत लगने जैसी कोई बात नहीं है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के नेता बाला नांदगांवकर ने भी कहा, शिवाजी महाराज को कष्ट देने वाले और संभाजी महाराज की हत्या करने वाले औरंगजेब की कब्र की कोई जरूरत नहीं है, इसे संभाजीनगर से जल्द से जल्द हटाया जाना चाहिए।
अबू अजमी के बयान से उपजा विवाद
बता दें कि, औरंगजेब को लेकर ये विवाद तब शुरू है जब सपा विधायक अबू अजमी ने उसका बचाव करते हुए कहा था कि वे 17वीं सदी के मुगल बादशाह औरंगजेब को क्रूर, अत्याचारी या असहिष्णु शासक नहीं मानते हैं, उसके शासन काल में भारत की सीमा अफगानिस्तान और वर्मा तक फैली थी। उस वक्त भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था, इन दिनों फिल्मों के माध्यम से मुगल बादशाह की विकृत छवि दिखाई जा रही है।
बिना शर्त मांगी माफ़ी
अबू आजमी का ये बयान आते ही राजनीति गरमा गई और बयानबाजी होने लगी। हालांकि इसके बाद अबू अजमी ने इस मामले पर माफ़ी मांगी और स्पष्टीकरण दिया कि, मैं शिवाजी महाराज और संभाजी महाराज के खिलाफ बोलने के बारे में सोच भी नहीं सकता, मेरे शब्दों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है। औरंगजेब के बारे में मैंने वही कहा है… जो इतिहासकारों और लेखकों ने अपनी-अपनी किताबों में लिखा है… मैंने छत्रपति शिवाजी महाराज, संभाजी महाराज या अन्य किसी भी महापुरुष के बारे में कोई अपमानजनक टिपण्णी नहीं की है।
मेरे शब्दों को तोड़-मरोड़ कर दिखाया गया है। औरंगज़ेब रहमतुल्लाह अलेह के बारे में मैंने वही कहा है जो इतिहासकरों और लेखकों ने कहा है। मैंने छत्रपति शिवाजी महाराज, संभाजी महाराज या अन्य किसी भी महापुरषों के बारे में कोई अपमानजनक टिपण्णी नहीं की है – लेकिन फिर भी मेरी इस बात से कोई… pic.twitter.com/k7PY0ICe3b
— Abu Asim Azmi (@abuasimazmi) March 4, 2025
अबू आजमी ने आगे कहा… मैं इतना बड़ा नहीं हुआ हूं कि महापुरुषों के बारे में कुछ गलत कहूं… मैं जो कुछ कहा था, वह असल में किन्हीं इतिहासकारों का व्यक्तव्य था… हालांकि, मेरे इन बयानों से यदि को आहत हुआ है…तो मैं बिना शर्त के माफी मांगता हूं और अपने बयान को वापस लेता हूं। फ़िलहाल, औरंगजेब पर बयानबाजी को लेकर महाराष्ट्र के ठाणे में अबू आजमी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
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