



झांसी। झांसी (Jhansi) के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के चाइल्ड वार्ड (NICU) में लगी आग के बाद गायब हुए नवजात शिशु को परिजन शुक्रवार की रात और शनिवार की दोपहर तक खोजबीन करते रहे, लेकिन उसका कोई पता नहीं चल सका। 17 घंटे बाद नवजात एक निजी अस्पताल में मिला, जहां उसका इलाज किया जा रहा है।
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खून में संक्रमण की वजह से रखा गया था NICU में
जी हां, महोबा के ककरबई थाना क्षेत्र के परसा गांव निवासी कुलदीप और नीलू की शादी दो साल पहले हुई थी। 9 नवंबर को ककरबई में नीलू ने बेटे को जन्म दिया, जिसकी तबीयत जन्म से ही खराब थी। जांच के दौरान उनके खून में संक्रमण पाया गया। हालत गंभीर होने पर उसे वहां से झांसी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। यहां नवजात गहन चिकित्सा केंद्र (एनआईसीयू) में रखा गया था।
रात-दिन की बच्चे की तलाश
शुक्रवार शाम को जब बच्चे की मां और दादी वार्ड के बैठे थे और पिता मेडिकल कालेज से बाहर चले गए थे। इसी बीच वार्ड में आग लग गई और अफरा-तफरी मच गयी। परिजन बच्चे को बचाने के लिए वार्ड की ओर भागे, लेकिन तब तक उसे वार्ड से निकाल लिया गया था, लेकिन अफरा तफरी के इस माहौल में उन्हें इसकी जानकारी नहीं मिल सकी। इसके बाद से परिजन उसे तलाश रहे थे और उनका रो-रो कर बुरा हाल था। वह अपने बेटे की तलाश में दिन-रात मेडिकल कॉलेज में इधर से उधर भटक रहे थे और हर किसी से अपने बच्चे के बारे में पूछ रहे थे।
निजी अस्पताल में चल रहा था इलाज
शनिवार को दोपहर करीब दो बजे उन्होंने एडीएम वरुण पांडे से मुलाकात की। एडीएम उन्हें अपने साथ मेडिकल कॉलेज के सामने एक निजी अस्पताल ले गए जहां हादसे के बाद दो बच्चों को भर्ती कराया गया था। यहां पहुंचते ही परिवार ने अपने बच्चे को तुरंत पहचान लिया। बच्चे का वहां पर इलाज चल रहा था और उसकी हालत सामान्य थी। इसके बाद परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने मेडिकल प्रशासन को धन्यवाद दिया।
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