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Air Travel: अब दिल्ली से 30 मिनट में पहुंच जाएंगे अमेरिका, एलन मस्क ने तैयार किया ये बड़ा प्लान

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Air Travel: सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स, स्पेसएक्स और टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने स्पेस ट्रेवल को लेकर बड़ी घोषणा की है। उन्होंने कहा कि स्पेसएक्स की महत्वाकांक्षी  अर्थ टू अर्थ अंतरिक्ष उड़ान परियोजना जल्द ही वास्तविक हो जाएगी। मस्क का कहना है कि उनकी कंपनी स्पेसएक्स के स्टारशिप रॉकेट के जरिये पृथ्वी के प्रमुख शहरों के बीच एक घंटे से भी कम समय में यात्रा की जा सकेगी। स्पेसएक्स का स्टारशिप रॉकेट 10 साल पहले प्रस्तावित किया गया था। इसे दुनिया का सबसे शक्तिशाली रॉकेट माना जाता है। बता दें कि एलन मस्क अब अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन में अहम भूमिका निभाएंगे।

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ट्रंप प्रशासन में मिल सकती है स्टारशिप अर्थ-टू-अर्थ को मंजूरी 

स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क ने 6 नवंबर को एक यूजर के पोस्ट किए गए वीडियो का जवाब देते हुए यह दावा किया था। दरअसल, सोशल मीडिया यूजर ने जवाब देते हुए कहा था कि ट्रंप प्रशासन के दौरान स्पेसएक्स को अपना स्टारशिप अर्थ-टू-अर्थ उड़ाने के लिए संघीय विमानन प्रशासन से मंजूरी मिल सकती है।

1000 यात्री कर सकेंगे यात्रा

वीडियो में दावा किया गया है कि लंबी दूरी तय करने में 30 मिनट से भी कम समय लगेगा। आप एक घंटे के भीतर दुनिया के किसी भी शहर में आसानी से पहुंच सकेंगे। वीडियो के जवाब में, एलन मस्क ने कहा था “ऐसा हो सकता है। स्पेसएक्स ने ऐसी तकनीक बनाई है, जिसमें स्टारशिप कक्षा में लॉन्च होने के बाद अंतरिक्ष में बहुत ऊंचाई पर जाने के बजाय पृथ्वी के समानांतर यात्रा कर सकता है।  इससे दुनिया के भर के देशों के बीच तेज परिवहन संभव हो पाएगा।’ स्टेनलेस स्टील से बने 395 फुट के इस  स्टारशिप में एक साथ 1000 लोग यात्रा कर सकेंगे।

दिल्ली से सैन फ्रांसिस्को पहुंचने में लगेगा महज 30 मिनट का समय

डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, स्पेसएक्स ने कहा कि लॉस एंजिल्स और टोरंटो के बीच यात्रा का समय 24 मिनट, लंदन और न्यूयॉर्क के बीच 29 मिनट और दिल्ली और सैन फ्रांसिस्को के बीच सिर्फ 30 मिनट हो सकता है। इस यात्रा के दौरान यात्रियों को टेकऑफ़ और लैंडिंग के दौरान गुरुत्वाकर्षण का भी अनुभव होता है। इस दौरान यात्रियों को सीट बेल्ट जरूर लगाना होगा। बता दें कि करीब 10 साल पहले स्पेसएक्स ने इस योजना को दुनिया के सामने पेश किया था, जो अब मूर्त रूप लेने  की दिशा में आगे बढ़ चुकी है।

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