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Israel-Hezbollah Ceasefire: हिजबुल्लाह ने छोड़ा साथ, अब हमास कैसे लड़ेगा अपनी लड़ाई

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इजराइल। Israel-Hezbollah Ceasefire: 14 महीने से पश्चिमी एशिया में कई मोर्चों पर लड़ाई चल रही है। हालांकि, शांति की पहल के तौर पर इज़राइल और हिजबुल्लाह शुरुआती दो महीने के लिए युद्धविराम पर सहमत हो गये हैं। यह समझौता उन लाखों लेबनानियों और इजराइलियों के लिए राहत लेकर आया है जो लगभग एक साल से अपने घर से दूर रह रहे थे। युद्धविराम के लागू होते ही घर से दूर रह रहे लेबनान और इज़राइल से हजारों लोग अब अपने घरों को लौटने लगे हैं।

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गाजा पर टिकीं दुनिया की नजरें 

युद्ध शुरू होने के बाद पश्चिम एशिया में प्रगति का यह पहला बड़ा संकेत है। इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच सीजफायर के बाद अब दुनिया की नजरें गाजा में युद्ध पर टिक गई हैं। गाजा में रहने वाले लाखों फिलिस्तीनियों और हमास द्वारा बंधक बनाए गए परिवारों के लिए अच्छी खबर का इंतजार जारी है। आइये जानते हैं इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच क्या समझौता हुआ है, वर्तमान समय में गाजा में क्या हो रहा है, हिजबुल्लाह के बाद क्या इसराइल, हमास के साथ भी समझौता करेगा। इजरायली बंधकों का क्या होगा? फ़िलिस्तीनी नागरिकों की स्थिति क्या है?

सुरक्षा मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया फैसला 

Israel-Hezbollah Ceasefire

उत्तरी मोर्चे पर युद्ध समाप्त करने के लिए इज़राइल और हिजबुल्लाह के बीच एक समझौता हुआ। मंगलवार को इस्राइल के सुरक्षा मंत्रिमंडल की बैठक हुई, जिसमें प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की अध्यक्षता में युद्ध विराम पर चर्चा की गई और इसे सर्व सहमति से मंजूरी दे दी गई। अमेरिका की मध्यस्थता में हुए समझौते ने 14 महीने के संघर्ष को समाप्त करने का रास्ता साफ़ किया है। इस संघर्ष में अब तक 3,750 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। समझौते में शुरुआती दो महीने के युद्धविराम की बात कही गई है। इस समझौते के तहत, लेबनानी नागरिकों को दक्षिणी लेबनान के उन गांवों और कस्बों में अपने घरों में लौटने की अनुमति मिल गई है जहां से उन्हें निकाला गया था। संघर्ष के दौरान लेबनान में लगभग 12 लाख लोग विस्थापित किये गये थे। बुधवार 27 नवंबर से हजारों लोग अपने घरों को लौटने लगे हैं। इज़रायल में लगभग 50 लाख लोगों को विस्थापित किया गया था, लेकिन अभी यहां बहुत कम लोगों की वापसी हुई है।

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क्या अलग-थलग पड़ जाएगा हमास 

समझौते की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण शर्त के तहत हिजबुल्लाह को लितानी नदी के दक्षिण की सीमा पर अपनी सशस्त्र उपस्थिति बंद करनी होगी। इजराइल को दक्षिणी लेबनान से अपने सैनिकों को हटाना होगा। जब इज़रायली सेना दक्षिणी लेबनान से हट जाएगी, तो लेबनानी सेना इन खाली स्थानों पर अपने सैनिकों की तैनाती करेगी।  इसके अलावा, लेबनानी सेना संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षक बल को भी तैनात करेगी, जो पहले से ही दक्षिणी लेबनान में तैनात हैं। इस समझौते से पहले रविवार को इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के नेतृत्व में एक सुरक्षा बैठक हुई। इस दौरान नेतन्याहू ने कहा कि युद्धविराम समझौते से गाजा पट्टी में हमास अलग-थलग पड़ जायेगा और बंधकों की रिहाई की संभावना बढ़ जाएगी। उधर, हिजबुल्लाह ने लंबे समय से कहता आ रहा है कि, वह गाजा में संघर्ष समाप्त होने तक युद्धविराम पर सहमत नहीं होगा, लेकिन अंततः उसने अपनी ये शर्त छोड़ दी है। मीडिया रिपोर्टों के हवाले से कहा जा रहा है कि, इज़राइल और हिजबुल्लाह के बीच युद्धविराम होने के बाद मिडिल ईस्ट के तनाव में काफी हद तक कमी आ जाएगी। हालांकि, यह देखना बाकी है कि इस समझौते का इज़राइल और हमास युद्ध पर क्या असर पड़ता है।

 

हमास को खत्म करने पर अड़े बेंजामिन नेतन्याहू 

Israel-Hezbollah Ceasefire 1

पिछले साल हमास द्वारा बंधक बनाए गए लोगों के परिवार वालों का कहना था कि अगर इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच युद्ध विराम हो गया तो उनके परिजनों की वापसी संभव हो जाएगी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक फिलिस्तीनियों को उम्मीद थी कि हिजबुल्लाह के साथ युद्धविराम समझौते में गाजा पट्टी में युद्धविराम भी शामिल होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है।  हिजुबुल्लाह और इजराइल के बीच हुए समझौते में केवल लेबनान में युद्ध रोकने पर सहमति बनी है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू  इस बार पर पूरी तरह से अड़े हैं कि हमास का अस्तित्व ख़त्म कर देना चाहिए और इजरायल को क्षेत्र के कुछ हिस्सों पर स्थायी नियंत्रण बनाए रखना चाहिए। महीनों की बातचीत के बाद भी नेतन्याहू को इन मांगों को छोड़ने के लिए नहीं मनाया जा सका और न ही हमास को उन शर्तों के तहत बंधकों को रिहा करने के लिए राजी किया जा सका।

अब हमास को अकेले लड़नी होगी अपनी लड़ाई 

गौरतलब है  कि 7 अक्टूबर, 2023 के हमले के एक दिन बाद, हिज़्बुल्लाह ने हमास के समर्थन में इज़राइल पर गोलाबारी शुरू कर दी थी। तब से दोनों पक्षों के बीच लगभग रोजाना गोलीबारी हो रही है। अब इज़राइल और हिजबुल्लाह ने युद्धविराम को लेकर समझौता कर लिया है। ऐसे में हमास अकेला पड़ गया है और अब ये लड़ाई उसे अकेले ही लड़नी है। इज़रायली हमलों से फ़िलिस्तीनी संगठनों की क्षमताएं पहले से ही क्षतिग्रस्त हो चुकी थीं, उसके तमाम लीडर मारे चुके हैं। ऐसे में हमास के लिए ये लड़ाई अब और भी मुश्किल हो जाएगी। मीडिया रिपोर्ट में एक फिलिस्तीनी विश्लेषक के हवाले से बताया जा रहा है कि युद्धविराम, गाजा पट्टी में हमास की लोकप्रियता को और कम कर सकता है। इस बीच, अमेरिकी विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकन ने मंगलवार को कहा कि इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच युद्धविराम से हमास को बातचीत की मेज पर लाने में मदद मिल सकती है। विशेषज्ञों को उम्मीद है कि हमास युद्ध के मैदान और बातचीत में अपना प्रभुत्व कायम करेगा। समूह ने इस बात पर जोर दिया कि सभी बंधकों को गाजा से इजरायल की पूर्ण वापसी के बदले में ही रिहा किया जाएगा।

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बंधकों के परिवारों को मिली निराशा

 

Israel-Hezbollah Ceasefire
 

इस लड़ाई में सबसे ज्यादा जो प्रभावित हो रहे हैं, वह हैं हमास द्वारा बंधक बनाये गये इजराइली।  दरअसल, हमास के आतंकियों ने पिछले साल एक घातक हमले में इजरायली नागरिकों समेत 250 लोगों को बंधक बना लिया था। आंशिक युद्धविराम के तहत कुछ बंधक हमास की कैद से बाहर आ पाए थे, जबकि कुछ को मार दिया गया था। बताया जाता है कि गाजा पट्टी में अभी भी लगभग 100 बंधक हैं, जिनमें से कम से कम एक तिहाई की मौत हो जाने की आशंका है। अब इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच हुए समझौते में बंधकों को शामिल नहीं किए जाने से प्रभावित परिवारों में निराशा है। बंधकों की वापसी की मांग को लेकर दर्जनों इजराइलियों ने मंगलवार की शाम को राजधानी तेल अवीव में एक मुख्य सड़क पर एकत्र होकर विरोध प्रदर्शन भी किया।

निर्वासित जीवन बिताने को मजबूर हुए हजारों फिलिस्तीनी 

इस युद्ध से प्रभावित एक अन्य समूह फ़िलिस्तीनी शरणार्थी हैं। गाजा पट्टी में इज़राइल और हमास के बीच हुए संघर्ष में अधिकांश फिलिस्तीनियों के घरों को नष्ट हो गये हैं और लगभग पूरी आबादी विस्थापित है। रिपोर्ट के अनुसार, युद्ध की दूसरी सर्दी, बर्फ़ीली बारिश और बाढ़ के बीच गंदे तम्बू वाले शहरों में लाखों लोग निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे  हैं और भूखे प्यासे रह रहे हैं। अक्टूबर, 2023 को शुरू हुए इज़राइल और हमास के बीच युद्ध ने फिलिस्तीनी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर विनाश किया है और 44,000 से अधिक लोग मारे गए हैं। बताया जा रहा है कि मरने वालों के अधिकांश महिलाएं और बच्चे हैं।

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