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India-Qatar Friendship: भारत के लिए इतना अहम क्यों है कतर, क्या हैं इस गहरी दोस्ती के मायने

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निशा शुक्ला

नई दिल्ली। India-Qatar Friendship:  भारत के कुछ चुनिन्दा दोस्तों में शामिल कतर वैसे तो क्षेत्रफल के हिसाब से बहुत छोटा है और यहां कि आबादी भी बेहद कम है, लेकिन भारत के लिए ये बेहद खास है, क्योंकि यहां भारतीयों की संख्या काफी अधिक है। साथ ही ये भारत की एनर्जी सिक्योरिटी का एक भरोसेमंद साथी भी है। इसके अलावा कूटनीतिक और सामरिक इंगेजमेंट के लिए भी भारत कतर से मजबूत दोस्ताना संबंध रखता है। भारत और कतर के बीच की दोस्ती कितनी मजबूत है, इसका अंदाज आप इस बात से लगा सकते हैं कि बीते साल कतर ने इंडियन नेवी के आठ ऐसे भारतीयों की मौत की सजा खत्म कर दी थी, जिन पर कथित तौर पर कतर में जासूसी का आरोप लगा  था। इन आठ पूर्व नेवी अफसरों में से सात सकुशल वापस भारत आ गये हैं और अपने परिवार के साथ हंसी ख़ुशी रह रहे हैं। वहीं आठवें के लाने के लिए दोनों देशों के बीच बातचीत चल रही है।

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अमीर शेख तमीम बिन हमाद अल थानी पहुंचे भारत

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अब इस दोस्ताना संबंध को और प्रगाढ़ करने के लिए कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमाद अल थानी सोमवार को नई दिल्ली पहुंचे, जिनकी आगवानी करने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद एयरपोर्ट गये। पीएम मोदी ने उन्हें अमीर भाई कहकर संबोधित किया और बेहद अपनेपन का एहसास दिलाया। पीएम ने इस मौके की कई तस्वीरें एक्स पर साझा की और लिखा…”मेरे भाई कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमाद अल-थानी के स्वागत के लिए एयरपोर्ट गया था, आशा करता हूं कि उनकी भारत यात्रा सफल रहेगी, मंगलवार को होने वाली मुलाकात को लेकर उत्साहित हूं।

 

8 लाख 35 हजार भारतीय रहते हैं कतर में

फारस की खाड़ी में बसे कतर का क्षेत्रफल भारत त्रिपुरा से महज थोड़ा सा ज्यादा है। भारत के त्रिपुरा का क्षेत्रफल 10,486 वर्ग किलोमीटर है। वहीं कतर 11,571 वर्ग किलोमीटर में बसा हैं और यहां कि कुल आबादी 29 लाख है, जिनमें से 8 लाख 35 हजार भारतीय हैं। खाड़ी क्षत्रों में भारत की रणनीतिक, सामरिक, आर्थिक और सांस्कृतिक महत्वाकांक्षाओं को मजबूती देने में कतर अहम भूमिका निभाता है। इसके अलावा दोनों देशों के बीच मजबूती व्यापारिक संबंध भी हैं। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि अमीर शेख की इस दो दिवसीय भारत यात्रा में कई गंभीर विषयों पर चर्चा होगी।

LNG का सबसे बड़ा सप्लायर है कतर 

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इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी की रिपोर्ट पर गौर करें तो साल  2024 में भारत ने लगभग 65 अरब घन मीटर गैस की खपत की, लेकिन आने वाले समय में यानी 2030 तक ये जरूरत 120 अरब घन मीटर हो जाएगी। ऐसे में सवाल ये उठता है कि भारत में इतनी बड़ी मात्रा में प्राकृतिक गैस नहीं है, तो फिर वह ये गैस मंगाता कहां से है? तो आपको बता दें कि उसकी इस जरूरत को कतर पूरी करता है। जी हां, कतर में भारी मात्रा में लिक्वीफाइड प्राकृतिक गैस मौजूद है। कतर में स्थित भारतीय दूतावास की मानें, तो कतर भारत का सबसे बड़ा लिक्विफाइड नेचुरल गैस (LNG) आपूर्तिकर्ता है। बताया जाता है कि, वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत ने कतर से 10.74 मिलियन मिट्रिक टन की LNG आपूर्ति की थी, जिसकी कुल कीमत 8.32 अरब डॉलर थी। ये भारत के कुल LNG आयात का 48 फीसदी है। यानी कि भारत जितनी LNG आयात करता है, उसका आधा वह कतर से ही मंगाता है।

कतर के टॉप तीन ग्राहकों में से एक है भारत

वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत ने कतर से 5.33 मिलियन मिट्रिक टन एलपीजी मंगवाई थी। इसके लिए उसने कतर को 4.04 अरब डॉलर दिए थे। ये भारत के कुल LPG आयात का 29 फीसदी है। इसके अलावा भारत कतर से एथिलीन, प्रोपलीन, अमोनिया, यूरिया और पॉलीइथिलीन जैसी चीजें भी आयात करता है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत और कतर के बीच  18.78 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ था। इसमें भारत द्वारा कतर से 16.81 अरब डॉलर की खरीद और मात्र 1.97 अरब डॉलर की बिक्री की गई थी। इसे ऐसे भी कह सकते हैं कि ये पूरा व्यापार संतुलन कतर के पक्ष में बना हुआ है। यही वजह है कि कतर भारत को पूरा हाव-भाव देता है। वह अपने इस मालदार ग्राहक को किसी भी कीमत पर असंतुष्ट नहीं करता है। बता दें कि भारत, कतर के तीन टॉप ग्राहकों में से एक है। कतर से सामान खरीदने में चीन और जापान के बाद भारत तीसरे नंबर पर आता है। यही वजह है कि कतर भारत को समय-समय पर विशेष ऑफर भी देता रहता है।

11 साल में गैस डील पर भारत ने की 15 अरब डॉलर की बचत 

बताया जाता है कि, साल 2016 में कतर ने भारत के लिए LNG की कीमतों में 50 फीसदी से ज्यादा की कटौती कर दी थी। इस बारे में खुद तत्कालीन पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था कि कई दौर की बातचीत के बाद कतर सरकार LNG की कीमतें 5 डॉलर प्रति मीट्रिक मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट करने पर राजी हो गई थी। बता दें कि इससे पहले साल 2015 तक भारत, कतर से 12 डॉलर प्रति मीट्रिक मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट के दर से लिक्विफाइड नेचुरल गैस खरीदता था। 2016 में हुई इस डील से भारत को अरबों डॉलर का फायदा हुआ था। कतर के साथ अच्छी बिजनेस डील की वजह से ही भारत ने 2003 से लेकर अगले 11 साल तक गैस डील पर 15 अरब डॉलर की बचत की।

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15000 से अधिक भारतीय कंपनियां हैं कतर में

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कतर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (QCCI) के मुताबिक, 15000 से अधिक बड़ी और छोटी भारतीय कंपनियां इस समय कतर में संचालित हैं, जो पूर्ण स्वामित्व वाली और संयुक्त उद्यम हैं। बेहद छोटे क्षेत्रफल में होने के बाद भी कतर की गिनती उन देशों में होती है, जो अंतर्राष्ट्रीय कूटनीतिक और सामरिक विवादों को सुलझाने में अहम भूमिका निभाते हैं। बता दें कि कतर की विदेश नीति स्वतंत्र है। यही वजह है कि उसे विभिन्न देशों और समूहों के साथ संवाद का मौका मिलता है। उसकी यही स्वतंत्र विदेश नीति दोहा को एक तटस्थ मध्यस्थ के रूप में स्थापित करती है। छोटी आबादी, पेट्रो प्रॉडक्ट की प्रचुर मात्रा और बंपर विदेशी मुद्रा के दम पर कतर दुनिया में बड़ा रोल निभाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। अल जजीरा जैसे अंतर्राष्ट्रीय अंग्रेजी चैनलों के जरिये कतर वैश्विक मुद्दों पर नैरेटिव सेट करता है और मध्यस्थ की भूमिका निभाने के लिए जमीन तैयार करता है।

वैश्विक स्तर पर निभाता है मध्यस्थ की अहम भूमिका

गौरतलब है कि, कतर ने अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने के दिशा में केंद्रीय भूमिका निभाई थी। नतीजा ये रहा कि साल 2020 में कतर की राजधानी दोहा में, संयुक्त राज्य अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौता हुआ। इसी समझौते के साथ ही अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी की नींव रखी गई। इसके बाद कतर ने तालिबान के लिए राजनयिक कार्यालय स्थापित किया, जो वार्ता का एक प्रमुख स्थान बना। बता दें कि तालिबानी नेताओं और भारतीय अधिकारियों की मुलाकात भी कतर में ही होती रहती है। 2021 कतर के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया था कि भारतीय अधिकारियों ने तालिबानी नेताओं से गुपचुप मुलाकात की थी। इसके बाद भी तालिबान और भारत के रिश्तों में गर्माहट आने लगी।

दोस्ती निभाने में खरा उतरा भारत

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साल 2017 में एक समय ऐसा भी आया था जब भारत को अपनी दोस्ती की परीक्षा देनी थी, जिसमें वह खरा भी उतरा। दरअसल, जून 2017 में खाड़ी देशों में राजनीतिक उबाल आ गया और 5 जून को युएई, बहरीन, इजिप्ट और सऊदी अरब में कतर से अपने सभी कूटनीतिक सबंध खत्म कर लिए। नतीजतन इन देशों ने कतर के विमानों को अपने हवाई क्षेत्रों में उड़ने के लिए प्रतिबंधित कर दिया। इस विवाद की अगुवाई सऊदी अरब कर रहा था। सऊदी अरब ने ही कतर के लिए जाने वाले अपने देश के समुद्री, हवाई और सड़क मार्ग को ब्लाक कर दिया था। दरअसल, सऊदी अरब का आरोप था कि कतर मुस्लिम ब्रदरहूड और IS को समर्थन देता है और आतंकवाद को बढ़ावा देने का काम करता है। हालांकि कतर ने इन सभी आरोपों को सिरे से नकार दिया था। इस दौरान भारत ने तटस्थ नीति और ऐन मौके पर सऊदी अरब व UAE के साथ अपने रिश्तों को तौलते हुए संयम के साथ काम लिया। रास्ते ब्लॉक की वजह से भारत में कतर को किए जाने वाले निर्यात को कुछ दिन के लिए रोक दिया और जैसे ही स्थिति सामान्य हुई उसने कतर से अपने रिश्ते भी सामान्य कर लिए। भारत ने किसी के दबाव में आकर कतर के साथ अपने संबंध नहीं खराब किये। अपने और कतर के हितों के आगे भारत किसी भी बाहरी दबाव के आगे नहीं झुका।

दोनों देशों के बीच मजबूत  रक्षा संबंध

भारत और कतर के बीच मजबूत रक्षा सहयोग भी है। भारत, कई साझेदार देशों के साथ ही कतर को भी अपने रक्षा संस्थानों में प्रशिक्षण देता है।भारत नियमित रूप से कतर में होने वाले द्विवार्षिक दोहा अंतर्राष्ट्रीय समुद्री रक्षा प्रदर्शनी और सम्मेलन (DIMDEX) में भाग लेता है। वहीं भारतीय नौसेना व तटरक्षक जहाज द्विपक्षीय सहयोग और बातचीत के शामिल होने के लिए अक्सर ही कतर के दौरे पर रहते हैं। भारत-कतर रक्षा सहयोग समझौता, नवंबर 2008 में उस वक्त वजूद में आया जब पीएम ने कतर की यात्रा की और नवंबर 2018 में पांच साल की अवधि के लिए आगे बढ़ाया गया।

 

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