



Russia-Ukraine War: बीते तीन साल से चल रहा रूस-युक्रेन युद्ध पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। इस युद्ध से मानवीय और आर्थिक क्षति तो हुई है, साथ ही वैश्विक स्तर पर बढ़ी महंगाई की मुख्य वजह भी ये बना हुआ है। ऐसे में अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस युद्ध को समाप्त करने की ठान ली है। इसके लिए अब रूस और यूएस के अधिकारियों की एक बैठक सऊदी अरब में होने जा रही है।
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बैठक में नहीं बुलाया गया यूक्रेन को
बता दें कि, यूएस और रूस के अधिकारियों की ये मीटिंग तब होने जा रही है, जब खुद डोनाल्ड ट्रंप ने इस पहल की घोषणा की है। इस मीटिंग के लिए अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो मंगलवार 18 फरवरी को सऊदी अरब पहुंच चुके हैं। अमेरिकी विदेश यहां रूसी विदेश मंत्री और अधिकारियों के मुलाकात करेंगे और युद्ध समाप्त करने की संभावनाएं तलाशेंगे। उम्मीद जताई जा रही है कि इस बैठक के बाद ट्रम्प-पुतिन में बातचीत हो सकती है, लेकिन यहां सबसे बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि ये बैठक बिना यूक्रेन के सफल कैसे हो सकती है। दरअसल, सऊदी अरब में होने वाली इस बैठक में यूक्रेन को नहीं शामिल किया जा रहा है, जिस पर खुद यूरोपीय देशों ने भी एतराज जताया है। ऐसे में ये सवाल उठना लाजमी हो गया है कि क्या ट्रम्प को इस पहल से मनचाहा नतीजा मिल पायेगा, क्या यूक्रेन को बातचीत में शामिल किये बिना रूस-युक्रेन युद्ध को समाप्त किया जा सकता है।
रूस-यूक्रेन युद्ध खात्मे के पक्षधर हैं ट्रंप
गौरतलब है कि ट्रम्प जब सत्ता में नहीं थे, तब भी वह रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के पक्षधर थे और सत्ता में आते ही उन्होंने इसकी पहल भी कर दी। ट्रंप ने ये भी कहा है कि युद्ध को खत्म करने के मकसद से बातचीत शुरू करने के लिए वे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करने में भी गुरेज नहीं करेंगे। एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट में अमेरिकी प्रतिनिधि माइकल मैककॉल के हवाले से कहा गया कि अमेरिका और रूस के अधिकारियों के बीच होने वाली मुलाकात और बातचीत का उद्देश्य ट्रम्प और व्लादिमीर पुतिन के बीच बैठक की व्यवस्था करना है।
बातचीत के लिए उत्साहित है अमेरिका
एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के शीर्ष राजनयिक रुबियो सऊदी अरब में ट्रम्प के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज और व्हाइट हाउस के मध्य पूर्व दूत स्टीव विटकॉफ के अलावा रूसी अधिकारियों से भी मुलाकात करेंगे। यहां ये बात गौर करने वाली है कि रूस ने अभी तक उन अधिकारियों के नाम नहीं जारी किये, जो सऊदी अरब में अमेरिकी अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। इससे भी ज्यादा दिलचस्प ये है कि, यूक्रेन जो इस युद्ध की आग में झुलस रहा है और एक प्रमुख पक्षकार है, उसे वार्ता के लिए आमंत्रित ही नहीं किया गया है। हालांकि, अमेरिका इस बातचीत और युद्ध को खत्म करने को लेकर बेहद उत्साहित है, लेकिन इसमें यूक्रेन का पक्ष और उसकी शर्ते जनाना भी अहम है, जिस दिशा में अमेरिका का ध्यान शायद नहीं गया है। यहां एक सवाल ये भी है कि ये बातचीत सऊदी अरब के क्यों हो रही है, तो आपको बता दें कि रूस और अमेरिका दोनों के साथ सऊदी अरब के अच्छे संबंध हैं।
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कैदियों की अदला-बदली में सऊदी अरब ने निभाई है अहम भूमिका
एक अन्य मीडिया रिपोर्ट के हवाले से कहा जा रहा है कि अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रम्प ने खुले तौर पर सऊदी अरब को रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध पर बातचीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का समर्थन किया है। दरअसल, सऊदी अरब पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) का एक प्रमुख सदस्य है। साथ ही ऊर्जा और जियो पॉलिटिक्स जैसे क्षेत्रों में प्रभुत्व रखने की वजह से रूस के साथ उसके मजबूत संबंध है। इधर, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडोमिर ज़ेलेंस्की में बीच भी अच्छी दोस्ती है। इसी रिश्ते की बदौलत ही पिछले कुछ वर्षों में रूस और यूक्रेन के बीच कई कैदियों की अदला-बदली में भी सऊदी अरब ने अहम भूमिका निभाई है।
ट्रंप ने युद्ध खत्म कराने की खाई है कसम
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यूएस और रूस के बीच होने वाली मीटिंग में कोई यूक्रेनी प्रतिनिधिमंडल शामिल नहीं होगा, लेकिन जब बातचीत आगे बढ़ेगी तो यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की इसमें शामिल होंगे। बता दें कि गत रविवार को ट्रम्प ने कहा था, “हां, वे (जेलेंस्की) इसमें शामिल होंगे।” गौरतलब है कि, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने पिछले साल अपने चुनाव प्रचार अभियान के दौरान रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने पर जोर दिया था और सत्ता के आते ही इसे खत्म करने की कसम भी खाई थी।
संभव नहीं है स्थायी शांति
मगंलवार 18 फरवरी को सऊदी अरब में होने वाली यूएस और रूसी अधिकारियों की मुलाकात में यूक्रन को न शामिल किये जाने पर यूरोपीय देशों ने चिंता जाहिर की है। इस मुद्दे को लेकर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की पहल पर पेरिस में एक आपातकालीन बैठक आहूत की गई। इस बैठक में इटली, स्पेन, ब्रिटेन, जर्मनी, पोलैंड, यूक्रेन और यूरोपीय आयोग के प्रतिनिधि शामिल हुए। इन देशों का कहना है कि यूक्रेन के भविष्य से संबंधित किसी भी फैसले में उनकी भागीदारी होनी आवश्यक है। किसी भी बातचीत में बिना यूरोप को शामिल किये कोई भी समझौता स्थायी शांति नहीं ला सकेगा।
रुबियो का बयान- यूक्रेन को भी किया जायेगा शामिल
इस बीच अमेरिकी विदेश मंत्री रुबियो ने कहा, “आने वाले कुछ सप्ताह और दिन तय करेंगे कि युद्ध समाप्ति की दिशा में शुरू की गई ये बातचीत गंभीरता से आगे बढ़ेगी या नहीं, सिर्फ एक फोन कॉल से शांति नहीं आती, एक फोन कॉल से इस तरह के जटिल युद्ध का समाधान नहीं किया जा सकता है।” रुबियो ने ट्रंप के यूक्रेन दूत कीथ केलॉग की उन टिप्पणियों का भी खंडन किया, जिसमें केलॉग ने कहा था कि, यूक्रेन शांति वार्ता में शामिल होगा, लेकिन यूरोपीय देश इसमें शामिल नहीं होंगे। बता दें कि केलॉग ने ये टिप्पणी बीते शनिवार को की थी। अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा, ” यह वास्तविक वार्ता है, लेकिन हम अभी तक वहां नहीं पहुंचे हैं, अगर बातचीत सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ती है तो यूक्रेन को इसमें शामिल होना होगा, क्योंकि उस पर हमला किया गया था। साथ ही यूरोपीय देशों को भी इस बातचीत में शामिल होना होगा क्योंकि युद्ध शुरू होने के बाद उन्होंने पुतिन और रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाये हैं।”
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